COVID-19 Outbreak: इन वजहों से मिलता है चीन में कोरोना वायरस की उत्पत्ति के सिद्धांत को बल

डब्ल्यूएचओ की टीम ने इस आशंका से इन्कार कर दिया था कि कोरोना वायरस वुहान की प्रयोगशाला से फैला। इस पर विज्ञानियों ने सवाल खड़े कर दिए। कहा इतनी जल्दी निष्कर्ष पर कैसे पहुंचा गया। एमआइटी टोक्नोलॉजी रिव्यू में एंटोनियो ने लिखा था ‘विशेषज्ञों को वुहान में आजादी नहीं थी।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Tue, 13 Apr 2021 11:37 AM (IST) Updated:Tue, 13 Apr 2021 11:56 AM (IST)
COVID-19 Outbreak: इन वजहों से मिलता है चीन में कोरोना वायरस की उत्पत्ति के सिद्धांत को बल
कुछ वर्षों से वहां बैट (चमगादड़) वायरस पर प्रयोग चल रहा है जो कोविड वायरस का जनक माना जाता है।

नई दिल्‍ली, जेएनएन। वायरस की उत्पत्ति के सिद्धांत को बल वर्ष 2019 के आखिर में जब चीन के वुहान शहर में कोरोना संक्रमण फैलने लगा तो पूरी दुनिया सहम गई। एहतियाती कदम उठाए गए, लेकिन तब तक चीन से निकला यह वायरस दुनिया के बड़े हिस्से में फैल चुका था। अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने स्पष्ट तौर पर कहा था कि कोरोना वायरस चीन से निकला है।

हालांकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन वायरस की उत्पत्ति के स्थान को लेकर कुछ भी कहने से बचता रहा। इसी साल जनवरी-फरवरी में जांच के लिए वुहान पहुंची डब्ल्यूएचओ की टीम के कुछ सदस्य भी उपलब्ध कराए गए साक्ष्यों से संतुष्ट नहीं थे। शायद इसीलिए कि वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी न सिर्फ वायरस का संग्रह करता है, बल्कि प्रयोगों के जरिये उनके नए वैरिएंट भी तैयार करता है। कुछ वर्षों से वहां बैट (चमगादड़) वायरस पर प्रयोग चल रहा है जो कोविड वायरस का जनक माना जाता है।

शोध के जरिये विज्ञानी मजबूती से रख रहे पक्ष: कोरोना संक्रमण की शुरुआत से लेकर अब तक यह शोध व चर्चा का विषय है कि कोरोना वायरस कैसे और कहां पैदा हुआ। लगभग सभी विज्ञानी इस बात पर सहमत हैं कि कोरोना वायरस चमगादड़ (बैट) से मनुष्यों में आया, लेकिन वह मनुष्यों तक किस प्रकार पहुंचा, इसे लेकर मतभेद है। विज्ञानियों का एक धड़ा मानता है कि यह खतरनाक वायरस प्राकृतिक रूप से चमगादड़ से मनुष्यों में पहुंचा, जबकि दूसरा धड़ा तर्क देता है कि वह वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी से लीक होकर मनुष्यों में पहुंचा। पिछले एक साल में ऐसे कई शोध प्रकाशित हुए हैं, जिन्होंने इस बात पर बल दिया है कि लैब लीक के पहलू को दरकिनार नहीं किया जा सकता।

जहां पहली बार फैला कोरोना उसके करीब है इंस्टीट्यूट: अमेरिका स्थित डार्टमाउथ कॉलेज में मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर नॉरमैन पैराडाइज ने अनडार्क नामक पत्रिका में प्रकाशित एक लेख में कहा था कि जहां पहली बार कोविड-19 महामारी फैली थी, वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी उससे मात्र 16 किलोमीटर दूर है। उन्होंने कहा था, ‘इंस्टीट्यूट क्षेत्र से जंगली कोरोना वायरस का संग्रह करता है और कथित तौर पर उनमें बदलावों के जरिये नया व असरदार स्ट्रेन तैयार करता है।’

चीनी सेना की भी मिलीभगत!: अमेरिकी विदेश विभाग ने जनवरी में कहा था, दुनिया की कई प्रयोगशालाओं में वायरस पर शोध चल रहे हैं। ज्यादातर में भविष्य में सामने वाली बीमारियों को रोकने के संबंध में प्रयोग किए जा रहे हैं। हालांकि, वुहान इंस्टीट्यूट की गोपनीय परियोजनाओं में चीनी सेना की साझेदारी होती है। अनडार्क में प्रकाशित एक अन्य लेख में चाल्र्स श्मिट ने लिखा था, ‘वुहान की प्रयोगशाला में विज्ञानी वायरस में बदलाव करते हैं, ताकि वे मनुष्यों को संक्रमित कर सकें और ज्यादा संक्रामक साबित हों।’ हालांकि, कई विज्ञानियों ने इस लेख का नैतिक आधार पर विरोध भी किया था।

वायरस में किए जाते हैं कई बदलाव: इसी साल न्यूयॉर्क पत्रिका में प्रकाशित एक लेख में निकोलसन बैकर ने विस्तार से बताया था कि कैसे प्रयोगशालाओं में वायरस से छेड़छाड़ होता है। उन्होंने लिखा था, ‘पिछले कुछ दशकों में विज्ञानियों ने सीखा है कि वायरस से कैसे छल किया जाता है। खासकर एक जीव से दूसरे जीव में प्रवेश और एक सेल कल्चर से दूसरे में गतिशीलता पैदा करना। उन्होंने मशीनें बना ली हैं जिनके जरिये बैट डिजिज के वायरल कोड का मनुष्यों को होने वाली बीमारियों के कोड के साथ मिश्रण किया जा सकता है।’ 1995 के एक शोध का हवाला देते हुए बैकर कहते हैं कि यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ कैरोलिना के एक विज्ञानी माउस कोरोना वायरस को हम्सटर (चूहे जैसा जीव) सेल को संक्रमित करने के लिए तैयार कर रहे थे। पहले सफलता नहीं मिली, लेकिन कई परीक्षणों के बाद ऐसा संभव हो गया।

चूक भी हो सकती है जिम्मेदार: निकोलसन बैकर वुहान इंस्टीट्यूट से वायरस के प्रसार के संदर्भ में तर्क देते हैं। वह कहते हैं कि प्रयोग के दौरान किसी μलास्क के टूटने से वायरस फर्श पर बिखरा होगा। र्सिंरज या अन्य चीजों के जरिये प्रयोगशाला से बाहर आया होगा। इसके बाद उसका प्रसार हुआ होगा। हालांकि, इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर कहते हैं कि उनका कोई विज्ञानी या छात्र संक्रमित क्यों नहीं हुआ।

क्लीन चिट में जल्दबाजी: डब्ल्यूएचओ की टीम ने इस आशंका से इन्कार कर दिया था कि कोरोना वायरस वुहान की प्रयोगशाला से फैला। इस पर विज्ञानियों ने सवाल खड़े कर दिए। कहा कि इतनी जल्दी निष्कर्ष पर कैसे पहुंचा गया। एमआइटी टोक्नोलॉजी रिव्यू में एंटोनियो रेगालाडो ने लिखा था, ‘विशेषज्ञों को वुहान में आजादी नहीं थी। वे शायद सिर्फ चीन की जांच में शामिल होने के लिए गए थे, न कि नया तथ्य खोजने।’ उठते सवालों के बीच डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक को कहना पड़ा था, ‘सभी आशंकाएं बरकरार हैं। आगे और विश्लेषण व अध्ययन की जरूरत है।’

chat bot
आपका साथी