चीन ने भारत के चरोटा से नाता तोड़ा, मलेशिया-ताइवान-वियतनाम ने जोड़ा

चरोटा बीज की गिरी का उपयोग काफी बनाने में होता है। बीज के गोंदनुमा पदार्थ से पान मसाला बनता है। चर्म रोग और फंगस के लिए मलहम के साथ-साथ वातरोग की दवा बनाई जाती है। ऐसे में एशियाई देशों में चरोटा की काफी मांग रहती है।

By Tilak RajEdited By: Publish:Thu, 24 Sep 2020 10:51 PM (IST) Updated:Thu, 24 Sep 2020 10:51 PM (IST)
चीन ने भारत के चरोटा से नाता तोड़ा, मलेशिया-ताइवान-वियतनाम ने जोड़ा
चरोटा बीज की गिरी का उपयोग काफी बनाने में होता है

बिलासपुर, राधाकिशन शर्मा। सीमा पर तनाव के कारण छत्तीसगढ़ के चरोटा बीज का मुख्य आयातक चीन चुप्पी साध गया है। चर्म और वात रोगों में कारगर चरोटा का बाजार सुस्त पड़ा गया था। निर्यातक निराश होने लगे थे। हाल ही में वियतनाम, ताइवान व मलेशिया ने चरोटा की पूछ-परख बढ़ा दी है। इससे 1200 से 1300 रुपये क्विंटल बिक रहे चरोटा की कीमत में 200 से 300 रुपये तक की तेजी आई है। कोरोना काल में मार्च से टूटे चरोटा बाजार को अब बल मिला है। तीनों देशों से अब तक 30 हजार टन की मांग आ चुकी है। पिछले साल चीन को 20 हजार टन चरोटे का निर्यात किया गया था।

विवाद के चलते भारत और चीनी बीच कारोबारी संबंध भी टूट गए हैं। इन संभावनाओं के साथ वियतनाम, ताइवान और मलेशिया को 1500 रुपये प्रति क्विंटल की दर से निर्यात किया जा रहा है। निर्यातकों को भरोसा है कि मांग 50 हजार टन तक पहुंच सकती है। नवंबर से नई फसल से साथ डिमांड बढ़ने की संभावना है।

काफी, पान मसाला व दवा बनाने में उपयोग

चरोटा बीज की गिरी का उपयोग काफी बनाने में होता है। बीज के गोंदनुमा पदार्थ से पान मसाला बनता है। चर्म रोग और फंगस के लिए मलहम के साथ-साथ वातरोग की दवा बनाई जाती है। ऐसे में एशियाई देशों में चरोटा की काफी मांग रहती है। चीन इसका मुख्‍य आयातक रहा है।

संचालक बाहुबली इंडस्ट्रीज भूपेंद्र चंदेरिया ने बताया कि चीन ने चरोटा की खरीद बंद कर दी है। मलेशिया-ताइवान-वियतनाम से डिमांड आने से बाजार में तेजी आई है। चीन से हमारी निर्भरता खत्म हो गई है। यह हमारे लिए अच्छी बात है। तीनों देशों से 30 हजार टन की मांग आ चुकी है। 50 हजार टन आपूर्ति की संभावना देख रहे हैं। भारत को ऐसे ही अन्‍य चीजों में भी चीन का विकल्‍प तलाशना होगा।

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