सैन्य प्रतिष्ठानों की सुरक्षा के लिए ड्रोन बना बड़ा खतरा, इस वजह से राडार से बच जाते हैं ड्रोन

जम्मू में वायुसेना के एयरबेस पर ड्रोन से हुए बम हमले को भविष्य के लिए एक बड़े खतरे के रूप में आंकते हुए वायुसेना समेत तमाम सैन्य प्रतिष्ठानों की सुरक्षा का नए सिरे से आडिट कराया जाएगा। पढें यह रिपोर्ट...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Sun, 27 Jun 2021 09:30 PM (IST) Updated:Mon, 28 Jun 2021 07:03 AM (IST)
सैन्य प्रतिष्ठानों की सुरक्षा के लिए ड्रोन बना बड़ा खतरा, इस वजह से राडार से बच जाते हैं ड्रोन
वायुसेना समेत तमाम सैन्य प्रतिष्ठानों की सुरक्षा का नए सिरे से आडिट कराया जाएगा।

नई दिल्ली, जेएनएन। जम्मू में वायुसेना के एयरबेस पर ड्रोन से हुए बम हमले को भविष्य के लिए एक बड़े खतरे के रूप में आंकते हुए वायुसेना समेत तमाम सैन्य प्रतिष्ठानों की सुरक्षा का नए सिरे से आडिट कराया जाएगा। भारत में वायुसेना स्टेशन पर पहली बार हुए ड्रोन हमले की नई चुनौती को देखते हुए सैन्य प्रतिष्ठानों की फूलप्रूफ सुरक्षा सुनिश्चित करना बेहद अहम हो गया है। इसके मददेनजर ही ड्रोन हमलों को रोकने की तकनीक पर शुरुआती मंत्रणा का दौर शुरू हो गया है।

सैन्य सुरक्षा के लिए नया खतरा

सरकारी सूत्रों ने बताया कि जम्मू में वायुसेना के टेक्निकल एरिया में हुआ ड्रोन हमला सैन्य सुरक्षा के लिए नए तरह का खतरा है। एयरबेस ही नहीं दूसरे तमाम सैन्य प्रतिष्ठानों के लिए कम ऊंचाई पर उड़ने वाले ड्रोन को इंटरसेप्ट करना आसान नहीं है।

तकनीक की कमी

इसके लिए सैन्य प्रतिष्ठानों के पास तकनीक और उपकरण दोनों की कमी है। इस लिहाज से देखा जाए तो जम्मू की घटना एक बहुत बड़ा खतरा होते-होते टल जाने सरीखा है और ऐसे में अब सैन्य प्रतिष्ठानों को इस तरह के हमलों से बचाने के लिए यथाशीघ्र उपकरणों व तकनीक से लैस करना होगा।

ड्रोन नई चुनौती

खासकर यह देखते हुए कि पाकिस्तानी एजेंसियां आतंकी संगठनों को ड्रोन समेत दूसरे आधुनिक उपकरण व तकनीक मुहैया करा रही हैं। सीमा पार करा आतंकियों को जम्मू-कश्मीर में भेजने की लगातार दुरूह होती राह को देखते हुए आइएसआइ और पाक सेना तकनीक के सहारे आतंकी हमलों को अंजाम देने की नई कोशिश में जुटी हैं। इसके मद्देनजर ही सैन्य प्रतिष्ठानों की सुरक्षा के लिए बेहद नीचे स्तर पर उड़ान भरने वाले ड्रोन नई चुनौती हैं।

अमेरिकी एजेंसियां भी फेल

सऊदी अरब के सबसे बड़े तेल डिपो पर कुछ अरसा पहले ड्रोन से हुए आतंकी हमले का उदाहरण बहुत पुराना नहीं है। अमेरिकी एजेंसियां भी इस ड्रोन मिसाइल को इंटरसेप्ट नहीं कर पाई थीं।

हेलीकॉप्टर हैंगर के करीब हमला

जम्मू एयरपोर्ट के जिस टेक्निकल एरिया में ड्रोन से बम हमला हुआ वह वायुसेना के हेलीकॉप्टर हैंगर के करीब था। बताया जाता है कि वायुसेना के ध्रुव हेलीकाप्टर इस हैंगर में पार्क हैं। राहत की बात यही है कि इस हमले में कोई भारी नुकसान नहीं हुआ। जम्मू की घटना के बाद वायुसेना ने श्रीनगर, अवंतीपुरा, अंबाला और पठानकोट और अवंतीपुरा जैसे सीमावर्ती एयरबेस की सुरक्षा को अलर्ट कर दिया है।

चुनौतियों को थामने की कसरत तेज

जाहिर तौर पर भविष्य के लिए बड़े खतरों की ओर इशारा कर रही जम्मू की घटना को रक्षा महकमे ने बेहद गंभीरता से लेते हुए तत्काल ऐसी चुनौतियों को थामने की कसरत तेज कर दी। वायुसेना ने कहा भी है कि जम्मू की घटना में किसी भी उपकरण को कोई नुकसान नहीं हुआ और असैन्य सरकारी एजेंसियों के साथ मिलकर इसकी जांच की जा रही है।

रक्षा मंत्री भी सक्रिय

वहीं रक्षा मंत्री के कार्यालय ने इस पर ट्वीट करते हुए बताया कि राजनाथ सिंह ने घटना के बारे में वायुसेना के उप प्रमुख एयर मार्शल एचएस अरोड़ा से बात की। जबकि वायुसेना ने तत्काल एयर मार्शल विक्रम सिंह को स्थिति का जायजा लेने और जांच के लिए वहां भेजा है।

आतंकियों को रास नहीं आ रही शांति 

बांग्लादेश के दौरे पर गए वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया भी जम्मू की घटना का लगातार अपडेट ले रहे हैं। वैसे सरकारी एजेंसियां इस आतंकी घटना के पीछे जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक प्रक्रिया की बहाली के लिए केंद्र सरकार की शुरू की गई पहल में अड़चन डालने की मंशा से इनकार नहीं कर रही हैं। 

अन्य एयरफोर्स स्टेशनों की बढ़ाई गई सुरक्षा

हमले को देखते हुए जम्मू, टेक्निकल एयरबेस ऊधमपुर, श्रीनगर के अंवतीपोरा, पठानकोट और अंबाला टेक्निकल एयरपोर्ट की सुरक्षा को बढ़ा दिया गया है। कश्मीर के इंस्पेक्टर जनरल विजय कुमार ने दोपहर बाद केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआइएसएफ), सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ), एनआइए व पुलिस के आला अधिकारियों के साथ बैठक कर सुरक्षा का जायजा लिया। 

बड़ा सवाल : कहां से आया ड्रोन

भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा से 18 किलोमीटर भीतर स्थित जम्मू एयरफोर्स स्टेशन पर हमले में इस्तेमाल ड्रोन कहां से उड़ाया गया। इसमें किस प्रकार के विस्फोटक थे। क्या यह ड्रोन पाकिस्तान से आया था या इसके पीछे प्रदेश में सक्रिय पाक समर्थित आतंकी संगठनों का हाथ है। यह ड्रोन रडार में क्यों नहीं दिखा और अति संवेदनशील एयरफोर्स स्टेशन में लगे जैमरों ने क्यों काम नहीं किया। यह सभी सवाल अभी जांच का विषय हैं। फिलहाल, माना जा रहा है कि ड्रोन हमला सैन्य छावनी सतवारी के आसपास से ही हुआ है।

सभी एंगल पर जांच

विशेषज्ञों के अनुसार, सीमा पार से 18 किलोमीटर भीतर आकर ड्रोन से हमले को अंजाम देना संभव नहीं लगता। एयरफोर्स स्टेशन के साथ चट्ठा, गाढ़ीगड़, गोबिंदपुर, रायपुर सतवारी, जवाहर नगर, बेलीचराना आदि कई बस्तियां है। सूत्रों का कहना है कि ड्रोन एयरफोर्स स्टेशन के आसपास स्थित इन बस्तियों से भी उड़ाया जा सकता है, जो ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम (जीपीएस) से लैस हो सकता है। फिलहाल, पाकिस्तान की साजिश सहित हर पहलू से मामले की जांच की जा रही है।

एयर चीफ मार्शल ने घायल जवानों का हाल जाना

एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने बांग्लादेश से फोन कर जम्मू एयरफोर्स स्टेशन पर हुए घायल दो जवानों का हाल जाना। भदौरिया इन दिनों बांग्लादेश के दौरे पर हैं। अधिकारियों ने उन्हें बताया कि दोनों जवानों की हालत खतरे से बाहर है। दोनों का इलाज सतवारी सैन्य अस्पताल में चल रहा है। घायलों की पहचान वारंट आफिसर अर¨वद ¨सह और ली¨डग एयरक्राफ्टमैन एसके ¨सह के रूप में हुई है। अर¨वद ¨सह को पीठ में दो छर्रे लगे हैं।

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