जम्मू स्थित वायुसेना स्टेशन में हुए ड्रोन हमले ने बदल दिया आतंकी हिंसा का स्वरूप, सुरक्षा पर खड़े हुए सवाल
जम्मू-कश्मीर में बीते 30 साल से जारी आतंकी हिंसा का स्वरूप वायुसेना के जम्मू स्थित टेक्नीकल एयरपोर्ट पर हुए ड्रोन हमले से पूरी तरह बदल गया है। इसने सभी सुरक्षा एजेंसियों के कड़े सुरक्षा बंदोबस्त पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
नवीन नवाज, जम्मू। जम्मू-कश्मीर में बीते 30 साल से जारी आतंकी हिंसा का स्वरूप वायुसेना के जम्मू स्थित टेक्नीकल एयरपोर्ट पर हुए ड्रोन हमले से पूरी तरह बदल गया है। इसने सभी सुरक्षा एजेंसियों के कड़े सुरक्षा बंदोबस्त, एंटी ड्रोन तकनीक के इस्तेमाल पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस तरह के हमले आतंकी संगठन आइएस ने सबसे पहले इराक में कुर्द लड़ाकों और गठबंधन सेनाओं के खिलाफ किए थे। यह अपनी तरह का जम्मू-कश्मीर ही नहीं पूरे देश में पहला आतंकी हमला है।
आइएस की तर्ज पर हमले की शुरुआत
जम्मू एयरपोर्ट पर ड्रोन हमले से एक बात साबित हो गई है कि जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकियों ने भी आइएस की तर्ज पर हमले की शुरुआत कर दी है।
एक साल में ड्रोन की घटनाएं
14 मई, 2021: जम्मू संभाग के सांबा सेक्टर के रेगाल इलाके में पाकिस्तानी ड्रोन की मदद से हथियार फेंके गए।
24 अप्रैल 2021: जम्मू के अरनिया में हथियार फेंकने आए दो पाकिस्तानी ड्रोन को गोलीबारी कर भगाया गया।
18 जनवरी, 2021 : ड्रोन द्वारा भेजे गए हथियार ले जाते दो ओवरग्राउंड वर्कर रामबन जिले के बटोत में पकड़े।
22 सितंबर, 2020 : जम्मू जिले के अखनूर में ड्रोन द्वारा फेंकी गई एके-47 राइफल और पिस्तौल बरामद।
20 सितंबर, 2020 : जम्मू जिले के अरनिया में 62 किलो हेरोइन, दो पिस्तौल बरामद।
20 जून, 2020 : कठुआ जिले के हीरानगर में हथियार लेकर घुसा पाकिस्तानी ड्रोन मार गिराया।
अपना कैडर बचाना चाहते हैं आतंकी
रक्षा मामलों के विशेषज्ञ मानते हैं कि ड्रोन का इस्तेमाल कर आतंकी अपने कैडर को बचाना चाहते हैं। ड्रोन कोई भी खरीद सकता है। इसे आनलाइन भी मंगवाया जा सकता है। यह विस्फोटक के साथ निशाने पर गिरते हुए धमाका कर सकता है और खुद भी तबाह होकर निशाने को तबाह कर सकता है। उन्होंने बताया कि बाजार में कई ऐसे क्वाडकाप्टर मिलते हैं, जिन्हें 15 किलोमीटर की दूरी तक रात के अंधेरे में भी उड़ा सकते हैं, उनके जरिये किसी क्षेत्र विशेष के सिग्नल प्राप्त कर सकते हैं। यह किसी निशाने पर सामान गिरा सकते हैं और क्रैश भी नहीं होंगे।
संघर्ष विराम की पुनर्बहाली के बाद सबसे बड़ा हमला
सुरक्षा मामलों के विशेषज्ञ मानते हैं कि 25 फरवरी, 2021 को भारत-पाकिस्तान के बीच 2003 के संघर्ष विराम समझौते को फिर से लागू किए जाने के बाद यह सबसे बड़ा आतंकी हमला है। यह हमला वायुसेना की प्रतिरक्षा प्रणाली और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बरती जा रही चौकसी पर भी सवाल उठाता है।
पाकिस्तानी सेना की संलिप्तता से इन्कार नहीं
जम्मू-कश्मीर में आतंकरोधी अभियानों में अहम भूमिका निभा चुके सेवानिवृत्त आइपीएस अधिकारी अशकूर वानी ने कहा कि अगर यह ड्रोन हमला है, तो इसके विभिन्न पहलुओं की गहन जांच जरूरी है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय सीमा से करीब 20-25 किलोमीटर दूर स्थित वायुसेना के अड्डे पर ड्रोन से हमला हो और उसमें पाकिस्तानी सेना का हाथ न हो, यह कैसे हो सकता है। आतंकियों को इस तरह के ड्रोन और टेक्नोलाजी पाकिस्तानी सेना ने ही दी है।
इजरायल से ली जा रही एंटी ड्रोन टेक्नोलाजी
पाकिस्तान और आतंकियों द्वारा ड्रोन के इस्तेमाल को देखते हुए सुरक्षा एजेंसियां इजरायल से एंटी ड्रोन टेक्नोलाजी व उपकरण प्राप्त कर रही हैं। नौसेना ने कुछ समय पहले ही इजरायल से स्मैश-2000 प्लस एंटी ड्रोन सिस्टम हासिल किया है। बीएसएफ और सेना भी इजरायल से जम्मू-कश्मीर व लद्दाख की परिस्थितियों के अनुकूल एंटी ड्रोन टेक्नोलाजी पर आधारित डिफेंस सिस्टम खरीद रही है।