वैक्‍सीन की बूस्‍टर डोज या दोनों खुराक..? सरकार को किस पर करना चाहिए फोकस, जानें विशेषज्ञों की राय

कोरोना के ओमिक्रोन वैरिएंट के सामने आने के बाद कोविड रोधी वैक्‍सीन की बूस्‍टर डोज की जरूरत बताई जाने लगी है। सरकार को वैक्‍सीन की दोनों डोज लगाने या बूस्‍टर डोज देने पर ध्‍यान देना चाहिए। जानें विशेषज्ञों की राय...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Sat, 04 Dec 2021 04:40 PM (IST) Updated:Sat, 04 Dec 2021 06:14 PM (IST)
वैक्‍सीन की बूस्‍टर डोज या दोनों खुराक..? सरकार को किस पर करना चाहिए फोकस, जानें विशेषज्ञों की राय
सरकार को वैक्‍सीन की दोनों डोज लगाने या बूस्‍टर डोज देने पर ध्‍यान देना चाहिए। जानें विशेषज्ञों की राय...

नई दिल्‍ली, पीटीआइ। कोरोना के ओमिक्रोन वैरिएंट के खतरे के बीच वैज्ञानिकों का कहना है कि भारत जैसे देश को कोविड रोधी वैक्‍सीन की बूस्‍टर डोज देने के बजाए वयस्‍कों को टीके की दोनों खुराकों को देने पर फोकस करना चाहिए। वैज्ञानिकों का यह सुझाव ऐसे वक्‍त में सामने आया है जब कोरोना के ओमीक्रोन वैरिएंट को लेकर चिंताओं के बीच कोविड रोधी वैक्‍सीन की बूस्टर डोज दिए जाने की जरूरत समझी जा रही है। यही नहीं इंसाकोग ने भी 40 साल से ज्‍यादा उम्र के लोगों को वैक्‍सीन की बूस्टर डोज देने की वकालत की है।

तीसरी खुराक का सुझाव देना बेमानी

रोग प्रतिरोधक क्षमता विज्ञानी विनीता बल ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा कि देश में 18 साल से कम उम्र के लोगों की बड़ी आबादी है। ऐसे में जब तक इन लोगों का भी टीकाकरण नहीं हो जाता तब तक कोविड रोधी वैक्‍सीन की तीसरी खुराक का सुझाव देना बेमतलब की बात होगी। विनीता कहती हैं कि देश में कोरोना के खिलाफ बड़े स्तर पर टीकाकरण मार्च 2021 में ही शुरू हुआ। ऐसे में हमको सबसे पहले वैक्‍सीन की दोनों डोज लगाने पर फोकस करने की दरकार है। यही नहीं यदि हो सके तो 18 साल से कम उम्र वालों के टीकाकरण पर जोर देना चाहिए।

दोनों डोज हैं कारगर

पुणे के भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान में गेस्‍ट टीचर विनीता बल कहती हैं कि जिन लोगों को कोविड रोधी वैक्‍सीन की दोनों डोज लगाई जा चुकी हैं। देखा जा रहा है कि उनमें संक्रमण होने की दशा में बीमारी उतनी गंभीर नहीं बन रही है बनिस्बत ऐसे लोगों में जिन्होंने कोविड रोधी वैक्‍सीन की कोई खुराक नहीं ली है। इस बात से साबित हो जाता है कि देश में कोविड रोधी वैक्‍सीन लगवा चुके लोगों में गंभीर संक्रमण से बचाने लायक रोग प्रतिरक्षा क्षमता बन रही है।

बूस्टर डोज पर स्‍थि‍ति स्‍पष्‍ट नहीं

वहीं नई दिल्ली के राष्ट्रीय प्रतिरक्षा विज्ञान संस्थान (एनआईआई) में विशेषज्ञ सत्यजीत रथ ने कहा कि अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि कोविड रोधी टीकों की बूस्टर डोज की जरूरत है या नहीं। भले ही हाल के कुछ अध्ययनों में प्रतिरक्षा की अवधि और कोविड-19 से सुरक्षा में अंतर दिख रहा हो लेकिन मौजूदा वक्‍त में मैं इनके आधार पर वैक्‍सीन की बूस्टर खुराक के बारे में कोई निश्चित राय देने में असमर्थ हूं।

बूस्‍टर डोज एक अस्थायी समाधान

वहीं मुंबई के एक अस्पताल में संक्रामक रोग विशेषज्ञ और महाराष्ट्र सरकार के कोविड-19 कार्यबल के सदस्य वसंत नागवेकर का कहना है कि भले ही कोविड रोधी वैक्‍सीन की बूस्टर डोज काम कर रही हो... फ‍िर भी यह अस्थायी समाधान ही होगा। हम वायरस के हर बदलाव के साथ बूस्टर खुराक नहीं दे सकते हैं। यही नहीं हर छह महीने पर बूस्‍टर शाट देने भी उचित नहीं है। बेहतर होगा कि सभी को मास्क लगाने पर जोर दिया जाए। मास्क के इस्‍तेमाल से संक्रमण 53 फीसद तक घट सकता है।  

सरकार ने कही है यह बात 

उल्‍लेखनीय है कि केंद्र सरकार का कहना है कि देश में कोविड रोधी वैक्‍सीन की बूस्टर डोज और बच्चों के टीकाकरण पर फैसला वैज्ञानिक सलाह के आधार पर किया जाएगा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने शुक्रवार को विपक्षी दलों को देश के विज्ञानियों पर भरोसा रखने की सलाह देते हुए कहा था कि ओमिक्रोन के प्रसार को रोकने के लिए सरकार पूरा प्रयास कर रही है। इस वैरिएंट के मद्देनजर जोखिम वाले देशों से अब तक आए 16,000 यात्रियों की आरटी-पीसीआर जांच कराई गई है।

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