OBC Reservation: ओबीसी आरक्षण के वर्गीकरण पर रोहणी कमीशन और राज्यों के साथ चर्चा टली, 11 राज्यों के साथ होनी थी चर्चा
अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के उप-वर्गीकरण की राह में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद फिलहाल एक बड़ा रोड़ा आ गया है। इसके चलते रोहणी कमीशन ने राज्यों के साथ चर्चा की अपनी पूरी योजना टाल दी है। अब केंद्र सरकार के अगले कदम के इंतजार में है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के उप-वर्गीकरण की राह में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद फिलहाल एक बड़ा रोड़ा आ गया है। इसके चलते रोहणी कमीशन ने राज्यों के साथ चर्चा की अपनी पूरी योजना टाल दी है। अब केंद्र सरकार के अगले कदम के इंतजार में है। कमीशन ने यह कदम तब उठाया, जब सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में राज्यों की ओबीसी सूची को ही गलत बता दिया और कहा है कि राज्यों को इस तरह की कोई सूची बनाने का अधिकार नहीं है।
कमीशन से जुड़े एक वरिष्ठ सदस्य के मुताबिक राज्यों के साथ चर्चा टालने का यह फैसला सुप्रीम कोर्ट की ओर से मराठा आरक्षण पर सुनवाई के दौरान दिए गए फैसले का अध्ययन करने के बाद लिया गया। वैसे भी राज्यों के साथ यह चर्चा उनकी ओबीसी सूची को लेकर की जानी थी, लेकिन कोर्ट ने ही जब सूची को गलत बता दिया, तो राज्यों के साथ चर्चा का कोई औचित्य नहीं बनता है।
हालांकि इस फैसले से केंद्र ने असहमति जताई है और कहा कि वह राज्यों को उनके अधिकार वापस देगी। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने इसे लेकर संसद में विधेयक भी लाने के संकेत दिए हैं। कमीशन से जुड़े सदस्य के मुताबिक ओबीसी की केंद्रीय सूची के आधार पर वैसे तो आयोग ने अपना काम पूरा कर लिया है। जिसमें शामिल करीब 26 सौ जातियों का ब्योरा और कब उन्हें इस सूची में शामिल किया गया है इससे जुड़ी पूरी जानकारी जुटा ली गई है।
साथ ही ओबीसी को मिले 27 फीसद आरक्षण से किसी जाति को अब तक कितना लाभ मिला है, इसकी भी पूरी जानकारी तैयार कर ली गई है। इस बीच वर्गीकरण का जो प्लान भी बनाया गया है, उनमें ओबीसी की बड़ी जातियों को ज्यादा आरक्षण भी दिया जाएगा। जो करीब दस फीसद तक होगा। इन जातियों की संख्या करीब सौ है। हालांकि अब तक ओबीसी को मिलने वाले आरक्षण का सबसे ज्यादा लाभ यही अगड़ी जातियां ही लेती रही हैं। वहीं ओबीसी की करीब 16 सौ ऐसी जातियां भी चिह्नित की गई हैं, जिन्हें अब तक आरक्षण का कोई लाभ नहीं मिला है। हालांकि इनकी संख्या बेहद कम है।
ऐसे में इन जातियों को भी अब दो से तीन फीसद आरक्षण देने की योजना बनाई गई है। बाकी करीब 14 फीसद आरक्षण को ओबीसी की बाकी जातियों के बीच दो से तीन श्रेणियों में बांटने की योजना है। हालांकि उनका मानना है कि केंद्र ने राज्यों की सूची को बहाल किया तो नए सिरे से वर्गीकरण पर विचार करना होगा। फिलहाल कमीशन का कार्यकाल अभी दिसंबर 2021 तक है।
11 राज्यों के साथ होनी थी चर्चा
कमीशन ने ओबीसी आरक्षण का वर्गीकरण कर चुके जिन 11 राज्यों के साथ चर्चा की योजना बनाई थी, उनमें आंध्र प्रदेश, बंगाल, झारखंड, बिहार, हरियाणा, कर्नाटक, तेलंगाना, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, जम्मू-कश्मीर और पुडुचेरी शामिल हैं।