लोकसभा चुनाव-2019, 10 साल तक मुख्यमंत्री रहने के बावजूद दिग्विजय सिंह नहीं बचा पाए अपनी सीट, पढ़े और जानें.

लोकसभा चुनाव-2019 10 साल तक मुख्यमंत्री रहने के बावजूद दिग्विजय सिंह नहीं बचा पाए अपनी सीट पहली बार चुनाव लड़ी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने हराया

By VinayEdited By: Publish:Thu, 23 May 2019 06:59 PM (IST) Updated:Thu, 23 May 2019 06:59 PM (IST)
लोकसभा चुनाव-2019, 10 साल तक मुख्यमंत्री रहने के बावजूद दिग्विजय सिंह नहीं बचा पाए अपनी सीट, पढ़े और जानें.
लोकसभा चुनाव-2019, 10 साल तक मुख्यमंत्री रहने के बावजूद दिग्विजय सिंह नहीं बचा पाए अपनी सीट, पढ़े और जानें.

नई दिल्ली, जेएनएन। दिग्विजय सिंह 10 साल तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे, उसके बावजूद वो सांसद का चुनाव हार गए, वो अपनी ही सीट नहीं बचा पाए। 2003 तक मुख्यमंत्री रहने के बाद वो साल 2019 तक न तो कोई चुनाव लड़े न जीते। अब जब 2019 में सांसद का चुनाव लड़ने की तैयारी की तो एक साध्वी ने उनको हरा दिया। भाजपा ने मालेगांव कांड में आरोपित साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को टिकट दिया, साध्वी ने ही उनको हराया। साध्वी ने चुनाव प्रचार के दौरान कई विवादित बयान भी दिए उसके बाद भी वो चुनाव जीत गई। जानते हैं दिग्विजय सिंह का अब तक का राजनीतिक सफर।

दिग्विजय सिंह 10 साल (वर्ष 1993 से वर्ष 2003 तक) तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं, इस बार भाजपा ने उनके सामने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को मैदान में उतारा। दिग्विजय सिंह की पहचान एक राजनेता के तौर पर है। साल 2008 में मालेगांव में हुए ब्लास्ट के बाद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर का नाम सामने आया। वो भी मध्य प्रदेश से हैं। भाजपा ने उनकी लोकप्रियता को देखते हुए उन्हें यहां से दिग्विजय सिंह के सामने खड़ा कर दिया। 

दिग्विजय सिंह का जन्म 28 फ़रवरी 1947 में हुआ। वो एक राजनेता, मध्यप्रदेश राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता है। वर्तमान में इस पार्टी में महासचिव के पद पर है। लोकसभा चुनाव 2019 में मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी बनाये गये हैं। उनके सामने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर उम्मीदवार हैं।

मध्य प्रदेश का चुनाव दिग्विजय सिंह VS प्रज्ञा ठाकुर रहा। साध्वी ने 2002 में उन्होंने 'जय वन्दे मातरम् जन कल्याण समिति' बनाई. टेलीविजन पर एक कार्यक्रम के दौरान साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने मालेगांव विस्फोट मामले में उनका नाम आने के बाद एटीएस के अधिकारियों के हाथों मिली यातना का जिक्र किया। उन दिनों को याद करते हुए उन्होंने बताया कि तमाम जुल्म के बीच भी एक दिन उन्होंने गीत गाया, ‘मधुबन खुशबू देता है, सागर सावन देता है, जीना उसका जीना है, जो औरों का जीवन देता है.' यह उनकी तेजतर्रार और फायरब्रांड विचारधारा के साथ ही उनके दिल के एक कोने में छिपे कोमल भाव की मासूम अभिव्यक्ति थी। 

दिग्विजय सिंह ने प्रारंभिक शिक्षा डेली कॉलेज इंदौर से प्राप्त की है। इसके बाद श्री गोविन्दराम सेकसरिया प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान संस्थान, इंदौर से इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की। दिग्विजय सक्रिय राजनीति में 1971 में आये, जब वह राघोगढ नगरपालिका अध्यक्ष बने। 1977 में कांग्रेस टिकट पर चुनाव जीत कर राघोगढ़ विधान सभा क्षेत्र से विधान सभा सदस्य बने। 1978-79 में दिग्विजय को प्रदेश युवा कांग्रेस का महासचिव बनाया गया। 1980 में वापस राघोगढ़ से चुनाव जीतने के बाद दिग्विजय को अर्जुन सिंह मंत्रिमंडल में राज्यमंत्री का पद दिया गया तथा बाद में कृषि विभाग दिया गया। 1984, 1992 में दिग्विजय को लोकसभा चुनाव में विजय मिली। 1993 और 1998 में इन्होंने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। दिग्विजय 10 साल तक (वर्ष 1993 से वर्ष 2003 तक) मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं।

दिग्विजय सिंह ने मध्य प्रदेश के 15वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की। वो इस समय 72 साल के हो चुके हैं, उनका चुनावी क्षेत्र राघोगढ़ है। उनकी पहली पत्नी का नाम आशा सिंह है, वो आशा के साथ 1969–2013 तक रहे। उन्होंने दूसरी शादी टीवी जगत की पत्रकार अमृता राय के साथ की। प्रज्ञा वर्ष 2008 में हुए मालेगांव विस्फोट मामले में आरोपी हैं और फिलहाल जमानत पर हैं। भाजपा द्वारा हिन्दुत्व चेहरा साध्वी प्रज्ञा को दिग्विजय के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारने के बाद भोपाल सीट देश की हॉट सीट बन गई है। चुनाव प्रचार के दौरान यह सीट मुख्य रूप से चर्चा का विषय रही।

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