जीएसटी संग्रह को लेकर पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी में शामिल करने की राह मुश्किल

जीएसटी के तहत आ जाने के बाद इन पर एक समान टैक्स लगेगा और टैक्स की दर भी राज्यों की तरफ से लागू मौजूदा दर से कम होगी।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Sat, 07 Dec 2019 07:46 PM (IST) Updated:Sat, 07 Dec 2019 07:46 PM (IST)
जीएसटी संग्रह को लेकर पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी में शामिल करने की राह मुश्किल
जीएसटी संग्रह को लेकर पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी में शामिल करने की राह मुश्किल

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। पेट्रोलियम मंत्री धर्मेद्र प्रधान पिछले हफ्ते एक सार्वजनिक कार्यक्रम में और दोबारा लोकसभा में पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी में शामिल करने की मांग कर चुके हैं। प्रधान पिछले एक वर्ष के दौरान तकरीबन दर्जन बार यह उम्मीद जता चुके हैं। सड़क राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी भी इस प्रस्ताव का समर्थन कर चुके हैं।  जीएसटी संग्रह की मौजूदा स्थिति और राज्यों को मिलने वाले कंपनसेशन में हो रही देरी को देखते हुए इस उम्मीद के पूरा होने की संभावना दूर दूर तक नहीं है। वित्त मंत्रालय मोटे तौर पर तो इसके पक्ष में है, लेकिन अपनी तरफ से फिलहाल दबाव बनाने के मूड में नहीं है।

पेट्रोलियम उत्पाद जीएसटी के दायरे से बाहर

जुलाई, 2017 में जब जीएसटी लागू किया गया था तब पेट्रोल, डीजल के अलावा कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस, एटीएफ जैसे पेट्रोलियम उत्पादों को इसके दायरे से बाहर रखा गया। राज्यों के राजस्व में पेट्रो उत्पादों से प्राप्त राजस्व का हिस्सा बहुत ज्यादा होता है। कुछ राज्यों के कुल राजस्व में पेट्रोलियम उत्पादों की हिस्सेदारी 60 फीसद तक है। यही वजह है कि राज्य इसकी वसूली भी केंद्र को देने को तैयार नहीं हुए। तब यह सहमति बनी थी कि अगले पांच वर्ष बाद इन उत्पादों को जीएसटी में शामिल कर लिया जाएगा।

राज्य पेट्रो उत्पादों को जीएसटी में शामिल करने को तैयार नहीं

अभी जो राजस्व की जो स्थिति है उसे देखते हुए ऐसा प्रतीत हो रहा है कि राज्य पांच वर्ष बाद भी पेट्रो उत्पादों को शायद ही जीएसटी में शामिल करने को तैयार हों। जीएसटी काउंसिल की पिछले दोनों बैठकों में इस बारे में जब भी इस मुद्दे को उठाने की कोशिश की गई तो राज्यों ने उसे एक सिरे से खारिज किया है। यह भी ध्यान रहे कि पिछले एक वर्ष में भाजपा ने छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान और अब महाराष्ट्र में सत्ता गवा दी है।

आर्थिक मंदी की वजह से जीएसटी संग्रह अनुमान से कम

चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों के दौरान जीएसटी संग्रह अनुमान से कम है। राज्यों का कहना है अभी जबकि आर्थिक मंदी की वजह से गैर-पेट्रोलियम उत्पादों से होने वाले राजस्व में भारी कमी हो रही है तब उन्हें पेट्रोलियम उत्पादों से हो रहे रेवेन्यू से ही मदद मिल रही है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में राज्यों को तमाम पेट्रोलियम उत्पादों से 51,600 करोड़ रुपये का राजस्व हासिल हुआ है। इसमें पेट्रोल, डीजल, एटीएफ व गैस से हासिल बिक्री कर की राशि 46,176 करोड़ रुपये की थी।

पेट्रो उत्पादों को जीएसटी में शामिल होने से आमदनी प्रभावित होगी

पेट्रो उत्पादों को जीएसटी में शामिल होने से उनकी आमदनी का यह स्त्रोत भी प्रभावित हो जाएगा। वर्ष 2018-19 में राज्यों को पेट्रो उत्पादों से कुल 2,30,130 करोड़ रुपये का रेवेन्यू आया था जो इसके पिछले वर्ष के मुकाबले 13 फीसद ज्यादा था। इस रेवेन्यू में सबसे बड़ा योगदान पेट्रोल व डीजल से बिक्री कर वसूली का है। अभी पेट्रोल पर राज्यों की तरफ से 17 फीसद से 36 फीसद तक बिक्री कर या वैट वसूला जाता है जबकि डीजल पर यह दर 8 फीसद से 18 फीसद के बीच लगाया जाता है।

पेट्रोल व डीजल की खुदरा कीमतों में तेजी को लेकर जीएसटी में शामिल करने की उठी मांग

दरअसल, वर्ष 2018-19 में घरेलू बाजार में पेट्रोल व डीजल की खुदरा कीमतों में तेजी से वृद्धि को देखते हुए इन्हें भी जीएसटी में शामिल करने की मांग उठ रही है। मांग के पीछे कारण यह है कि अभी पेट्रोल व डीजल पर राज्यों की तरफ से अलग अलग दर से टैक्स वसूला जाता है जो काफी ज्यादा होता है। जीएसटी के तहत आ जाने के बाद इन पर एक समान टैक्स लगेगा और टैक्स की दर भी राज्यों की तरफ से लागू मौजूदा दर से कम होगी। इससे जीएसटी में आने से ग्राहकों को राहत मिलने के आसार हैं। पेट्रोलियम क्षेत्र से जुड़े तमाम उद्योग भी जीएसटी लागू करने की मांग कर रहे हैं।

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