डेल्टा वेरिएंट म्यूटेट कर हुआ डेल्टा प्लस, मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल को दे सकता है मात
वैज्ञानिकों का कहना है कि रूप बदलने के बाद अब वायरस पर एंटीबॉडी कॉकटेल दवा भी असरदार नहीं रह गया है। यह वायरस अपने आप को डेल्टा प्लस में म्यूटेट कर चुका है और पहले से अधिक खतरनाक है।
नई दिल्ली, जेएनएन। कोरोना वायरस से लड़ रही दूनियां को अब इसके ने वेरिएंट का बी सामना करना पड़ रहा है। कोरोना वायरस लगातार अपने आप को बदल रहा है। एक अध्ययन में कहा गया है कि कोरोना का डेल्टा वेरिएंट म्यूटेट कर डेल्टा प्लस में बदल गया है, जो मौजूदा वैरिएंट से अधिक घातक साबित हो सकता है। वैज्ञानिकों को का मानना है कि कोरोना संक्रमण के इलाज के लिए मरीजों को दी जा रही मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज कॉकटेल को बी यह वेरिएंट मात दे सकता है।
बता दें कि वायरस से संक्रमित होने या उसके खिलाफ टीकाकरण के बाद जो एंटीबॉडी बनती है, वो वायरस से लड़ने में बहुत प्रभावी होती है। एक वायरस आमतौर पर एक सेल में प्रवेश करके खुद की संख्या को बढ़ाता है और समय आने पर नई कोशिकाओं को अपना शिकार बनाता है। हमारे शरीर में मौजूद एंटीबॉडी वायरस से चिपक जाती है और अन्य कोशिकाओं तक पहुंच को खत्म कर देती है।
हाल ही में डब्ल्यूएचओ ने भारत में पहली बार पहचाने गए कोरोना के वैरिएंट बी.1.617.1 और बी.1.617.2 को 'कप्पा' और 'डेल्टा' नाम दिया था। जबकि, ब्रिटेन में पहली बार मिले वैरिएंट बी.1.17 को 'अल्फा', दक्षिण अफ्रीका में पहचाने गए वैरिएंट को 'बीटा' और ब्राजील के वैरिएंट को 'गामा' नाम दिया गया। हालांकि इनकी वैज्ञानिक पहचान में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
दूरी तरफ कोविड-19 के डेल्टा वेरिएंट के मामलों की रफ्तार को देखते हुए ब्रिटेन 21 जून को समाप्त होने वाली लॉकडाउन की तमाम पाबंदियों को और चार सप्ताह तक जारी रखने पर विचार कर रहा है। वहीं पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड (पीएमई) के अनुसार, डेल्टा वेरिएंट से संक्रमित होने वालों की संख्या में पिछले एक सप्ताह में करीब 30,000 का इजाफा हुआ है और यह 42,323 पहुंच गयी है।