दिल्‍ली-एनसीआर में छाई कोहरे की चादर, जानें- आपके इलाके में कैसा है वायु प्रदूषण का स्‍तर

दिल्‍ली एनसीआर में बुधवार की सुबह कोहरे की चादर छाई हुई थी। हालांकि वायु प्रदूषण अन्‍य दिनों के मुकाबले कुछ कम जरूर हुआ है लेकिन इसके बावजूद ये बेहद खराब से गंभीर स्‍तर पर ही रिकार्ड किया गया है।

By Kamal VermaEdited By: Publish:Wed, 01 Dec 2021 10:01 AM (IST) Updated:Wed, 01 Dec 2021 10:38 AM (IST)
दिल्‍ली-एनसीआर में छाई कोहरे की चादर, जानें- आपके इलाके में कैसा है वायु प्रदूषण का स्‍तर
दिल्‍ली एनसीआर में कोहरे की चादर छाई

नई दिल्‍ली (जेएनएन)। दिल्‍ली और एनसीआर के राज्‍यों में बुधवार सुबह से ही कोहरे की चादर छाई हुई है। हालांकि यदि बात करें वायु प्रदूषण या एक्‍यूआई के स्‍तर की तो वो गंभीर स्‍तर में होने के बाद भी अन्‍य दिनों के मुकाबले कुछ कम रिकार्ड किया गया है।

दिल्‍ली की ही यदि बात करें तो यहां के विभिन्‍न इलाकों में सुबह 9 बजे का एक्‍यूआई का स्‍तर इस प्रकार रिकार्ड किया गया है। श्रीनिवासपुरी में 301, रोहिणी में 376, वजीरपुर में 417, नरेला में 431, बवाना में 362, जहांगीरपुरी में 377, अलीपुर में 401, झिलमिल में 383, आनंद विहार में 418, नजफगढ़ में 229, रिकार्ड किया गया है।

उत्‍तर प्रदेश में ग्रेटर नोएडा के नालेज पार्क-5 में सुबह करीब 9 बजे एक्‍यूआई का स्‍तर 495 और नालेज पार्क-3 में ये 365 रिकार्ड किया गया है। इसके अलावा गाजियाबाद के संजय नगर में 344, इंद्रापुरम में 342, नोएडा के सेक्‍टर 62 में 482, लोनी में 442, बुलंदशहर में 339, हापुड़ में 356, मुरादाबाद में 516, मेरठ में 308 रिकार्ड किया गया है।

दिल्‍ली से सटे हरियाणा की बात करें तो यहां पर भिवाड़ी में सुबह 9 बजे एक्‍यूआई का स्‍तर 220, मानेसर में 300, रोहतक में 236, चरखी दादरी में 225, कैथल में 189, फरीदाबाद में 471, पलवल में 130 गुरुग्राम में 242 और बहादुरगढ़ में 202, यमुना नगर में 406 रिकार्ड किया गया है।

गौरतलब है कि दिल्‍ली एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण के स्‍तर पर सुप्रीम कोर्ट कई बार अपनी चिंता और नाराजगी जता चुका है। इस पर सुप्रीम कोर्ट में मामला भी निलंबित है। इस मामले की पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र और दिल्‍ली सरकार पर उनके रवैये को देखते हुए कड़ी टिप्‍पणी तक की थी। 

दिल्‍ली एनसीआर की खराब होती हवा को लेकर स्‍वास्‍थ्‍य मामलों के जानकार भी चिंता जता चुके हैं। इन विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के वातावरण में कोरोना का वायरस अधिक समय तक बना रह सकता है।  

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