कोविशील्ड की दो डोज के बीच अंतराल का फैसला वैज्ञानिक प्रमाणों पर आधारित
टीकाकरण पर गठित राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआइ) के चेयरमैन एनके अरोड़ा ने मंगलवार को कहा कि कोरोना रोधी वैक्सीन कोविशील्ड की दो डोज के बीच अंतराल बढ़ाने का फैसला वैज्ञानिक प्रमाणों के आधार पर पारदर्शी तरीके से लिया गया।
नई दिल्ली, प्रेट्र। टीकाकरण पर गठित राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआइ) के चेयरमैन एनके अरोड़ा ने मंगलवार को कहा कि कोरोना रोधी वैक्सीन कोविशील्ड की दो डोज के बीच अंतराल बढ़ाने का फैसला वैज्ञानिक प्रमाणों के आधार पर पारदर्शी तरीके से लिया गया।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से किए गए ट्वीट के मुताबिक अरोड़ा ने कहा कि अंतराल बढ़ाने के मुद्दे पर समूह के सदस्यों के बीच किसी तरह की दोराय नहीं थी।
अरोड़ा का यह बयान इस मायने में अहम है, क्योंकि समाचार एजेंसी रायटर ने कहा है कि एनटीएजीआइ 14 में से तीन सदस्य अंतराल बढ़ाने के लिए सहमत नहीं थे। समूह के इन सदस्यों ने कहा था कि एनटीएजीआइ के पास इस तरह की सिफारिश करने के लिए पर्याप्त डाटा नहीं थे।
रायटर से समूह के सदस्य और राष्ट्रीय महामारी विज्ञान संस्थान के पूर्व निदेशक एमडी गुप्ते ने कहा कि समूह ने अंतराल को बढ़ाकर 8-12 हफ्ते करने का सुझाव किया था, जैसा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी सलाह दी है। समूह के पास दो डोज के बीच 12 हफ्ते से ज्यादा के अंतर की सिफारिश करने के लिए आंकड़े नहीं थे।
इससे पहले नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ वीके पॉल ने हाल के अध्ययनों का हवाला देते हुए कहा था, 'कुछ मीडिया रिपोर्टों में कहा गया कि कोविशील्ड वैक्सीन की दो खुराक के बीच के अंतर को कम करना बेहतर होगा, लेकिन इस तरह की चिंताओं पर संतुलित रुख की जरूरत है।'
सीओवीआईडी -19 पर एक मीडिया ब्रीफिंग को संबोधित करते हुए, उन्होंने कहा था, 'किसी भी हड़बड़ी की जरूरत नहीं है, खुराक के बीच के अंतर में बदलाव को लेकर। ये सभी निर्णय बहुत सावधानी से लिए जाने चाहिए। हमें याद रखना चाहिए कि जब हमने अंतराल बढ़ाया तो हमें उन लोगों को वायरस से होने वाले जोखिम पर विचार करना पड़ा जिन्होंने केवल एक खुराक ली थी। लेकिन उसका भी जवाब था कि कई और लोगों को पहली खुराक मिल जाएगी और इस तरह अधिक लोगों की एक सीमा तक प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा जाएगी।'