शव का भी होता है अधिकार, उसकी भी होती है मानहानि, दुर्व्यवहार पर स्वजन कर सकते हैं क्षतिपूर्ति का दावा
दुनिया के हर धर्म और परंपरा में शव को सम्मान दिए जाने की बात है। कानून भी इससे इत्तेफाक नहीं रखता है। शव के साथ दुर्व्यवहार पर स्वजन क्षतिपूर्ति का दावा भी कर सकते हैं। आइये जानते हैं इस ज्वलंत विषय पर क्या कहते हैं कानून के जानकार...
कुलदीप भावसार, इंदौर। दुनिया के हर धर्म और परंपरा में शव को सम्मान दिए जाने की बात है। कानून भी इससे अलग राय नहीं रखता। उसके मुताबिक शव का भी अधिकार होता है... उसकी भी मानहानि होती है। अपमान करने पर कानूनी धाराओं के अधीन कार्रवाई भी हो सकती है। इतना ही नहीं परिवार वाले क्षतिपूर्ति भी मांग सकते हैं। शव की दुर्गति होने की स्थिति में स्वजन को अधिकार है कि वे अपकृत्य विधि के तहत कार्रवाई कर संबंधित के खिलाफ क्षतिपूर्ति के लिए वाद दायर कर सकते हैं। कानून के विशेषज्ञों का यही कहना है...
क्षतिपूर्ति तय करना अदालतों का काम
दरअसल, इंदौर में कोरोना काल में एक पखवाड़े में शव के साथ लापरवाही के चार मामले सामने आए हैं। यही नहीं देश के अलग अलग हिस्सों में भी शव के साथ दुर्व्यवहार की रिपोर्टें सामने आ चुकी हैं। इस विषय पर हमने कानून के विशेषज्ञों से बातचीत की। कानून के जानकार कहते हैं कि क्षतिपूर्ति कितनी होगी यह अदालतों के विवेक पर निर्भर करता है, लेकिन इसकी कोई अधिकतम सीमा तय नहीं है। पुलिस भी स्वत: संज्ञान लेकर मामला दर्ज कर सकती है।
25 साल पहले आया था एक फैसला
हाई कोर्ट के वरिष्ठ अभिभाषक विनय सराफ कहते हैं कि सर्वोच्च न्यायालय ने 25 साल पहले पंडित परमानंद बनाम भारत सरकार के केस में फैसला दिया था, जो इन मामलों में नजीर है। फैसले में शीर्ष अदालत ने कहा था कि यह हर व्यक्ति का अधिकार है कि मृत्यु के बाद उसके शव का धार्मिक रीति-रिवाजों के मुताबिक क्रियाकर्म किया जाए।
सिर्फ क्षतिपूर्ति ही नहीं, दंड का भी है प्रावधान
अपराध से जुड़े मामलों के विशेषज्ञ एडवोकेट राहुल पेठे कहते हैं कि संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत मिले जीने के अधिकार को लेकर भी कोर्ट ने कहा है कि सिर्फ जिंदा व्यक्ति का ही नहीं मृतक का भी सम्मान होता है। उसके स्वजन दोषी के खिलाफ न्यायालय में केस दाखिल कर सकते हैं।
अपकृत्य विधि के तहत दोषियों पर केस दर्ज
इंदौर हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष एडवोकेट अनिल ओझा के अनुसार, शव का अपमान होने पर मृतक के स्वजन अपकृत्य विधि के तहत दोषियों के खिलाफ क्षतिपूर्ति का केस दायर कर सकते हैं। अस्पताल और कर्मचारियों के खिलाफ जिला उपभोक्ता फोरम में शिकायत की जा सकती है।
साक्ष्य से छेड़छाड़ का मामला भी
कानूनविद एडवोकेट पंकज वाधवानी का कहना है कि शव के साथ दुर्व्यवहार करना भादंवि के तहत दंडनीय अपराध है क्योंकि ऐसा करके साक्ष्य के साथ छेड़छाड़ की जाती है। अपराध सिद्ध होने पर तीन से सात साल तक की सजा का भी प्रावधान है।
कोरोना मरीज के शव के निपटान को लेकर है गाइडलाइन
कोरोना संक्रमित व्यक्ति के शव के साथ उचित व्यवहार करने के लिए भी विश्व स्वास्थ्य संगठन ने गाइडलाइन निर्धारित की है। हाल ही में कलकत्ता हाई कोर्ट ने कोरोना मरीजों के शवों का सम्मानपूर्वक निपटान करने के संबंध में दिशा-निर्देश दिए हैं। इसके बावजूद शवों के साथ दुर्व्यवहार की घटनाएं मानवता को शर्मशार कर रही हैं...