कोरोना महामारी के दौर में 33 साल से जेल में बंद पिता से पहली बार मिली बेटी
माकपा की सक्रिय कार्यकर्ता अजिता ने कभी अपने पिता को नहीं देखा था क्योंकि 1988 में जब उसका जन्म हुआ तो उसके एक महीने बाद ही शिवाजी हत्या के एक मामले में गिरफ्तार किए जा चुके थे ।
तिरुअनंतपुरम, आइएएनएस। कोविड-19 महामारी के इस दौर में हत्या के आरोप में सजा भुगत रहे 33 साल से जेल में बंद पिता की पहली बार उनकी बेटी से मुलाकात हो पाई। राज्य की राजधानी की सेंट्रल जेल में सजा काट रहे 65 वर्षीय शिवाजी को खुशी है कि उसकी 33 वर्षीया बेटी आर. अजिता उनसे मिली। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर शिवाजी को तीन महीने का पैरोल मिला है।
माकपा की सक्रिय कार्यकर्ता अजिता ने कभी अपने पिता को नहीं देखा था, क्योंकि 1988 में जब उसका जन्म हुआ तो उसके एक महीने बाद ही शिवाजी हत्या के एक मामले में गिरफ्तार हो गया। तब से शिवाजी ने चार बार जेल से फरार होने का प्रयास किया और हर बार पकड़ा गया।
अलपुझा जिले में रहने के दौरान शिवाजी ने झगड़े में कांग्रेस के एक कार्यकर्ता को घायल कर दिया था। 1985 में हुए संघर्ष में कांग्रेस कार्यकर्ता मारा गया और शिवाजी भाग निकला। भूमिगत रहने के दौरान ही शिवाजी ने शादी की, लेकिन 1988 में उसे हत्या के आरोप में जिस समय गिरफ्तार किया गया था उस समय अजिता एक महीने की थी। शिवाजी के गिरफ्तार होने के बाद उसकी मां ने आत्महत्या कर ली और नानी की देखरेख में उसका लालन-पालन हुआ। रिश्तेदारों से उसे अपने पिता का नाम मालूम हुआ और उसने खोज शुरू की थी। एक टीवी कार्यक्रम से पता चला कि उसके पिता राज्य की राजधानी की सेंट्रल जेल में बंद हैं।