DATA STORY: साइबर फिरौती से भारत समेत दुनिया को हो रहा इतना नुकसान, समस्या का हल तलाशने में लग जाते हैं इतने दिन

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता संजय कुमार कहते हैं कि साइबर अपराधी लगातार नई-नई तकनीकों से साइबर फ्रॉड को अंजाम देते हैं। नॉरटन लाइफ लॉक का एक सर्वे आया था जिसमें सामने आया था कि साइबर अपराधियों ने भारतीयों को 1.2 लाख करोड़ रुपये का चूना लगाया है।

By Vineet SharanEdited By: Publish:Tue, 05 Oct 2021 08:54 AM (IST) Updated:Tue, 05 Oct 2021 05:10 PM (IST)
DATA STORY: साइबर फिरौती से भारत समेत दुनिया को हो रहा इतना नुकसान, समस्या का हल तलाशने में लग जाते हैं इतने दिन
डाटा ब्रीच से होने वाले आर्थिक नुकसान के मामले में अमेरिका नंबर एक पर है।

नई दिल्ली, अनुराग मिश्र। साइबर क्रिमिनल एक तरफ डाटा में सेंध लगाकर जहां सुरक्षा के लिए बड़ी चुनौती पेश कर रहे हैं तो दूसरी तरफ इसकी वजह से बड़ा आर्थिक नुकसान का भी सामना करना पड़ रहा है। आईबीएम की कॉस्ट ऑफ डाटा ब्रीच रिपोर्ट 2021 में कहा गया है कि 2020 के मुकाबले 2021 में डाटा सेंध की वजह से नुकसान में दस फीसद का इजाफा हुआ है।

आईबीएम की रिपोर्ट में कहा गया है कि डाटा कॉस्ट से होने वाला कुल नुकसान दुनिया भर में 4.24 मिलियन अमेरिकी डॉलर का है। रिपोर्ट में सावधान करने वाली बात यह है कि डाटा चोरी की वजह से होने वाले आर्थिक नुकसान की लागत लगातार बढ़ती जा रही है। 2020 में यह नुकसान 3.86 मिलियन अमेरिकी डॉलर का ही था। 2020 में डेटा चोरी की वजह से औसत नुकसान 2019 के मुकाबले 9.4 फीसद की बढ़ोत्तरी के साथ 14 करोड़ रुपये हो गई। वहीं 2015 से अब तक डाटा में सेंध की वजह से होने वाला आर्थिक नुकसान 11.9 फीसद बढ़ गया है। 

भारतीयों को ऐसे लगा रहे हैं चपत

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता संजय कुमार कहते हैं कि साइबर अपराधी लगातार नई-नई तकनीकों से साइबर फ्रॉड को अंजाम देते हैं। वे लगातार नई तकनीकी का इस्तेमाल करते हैं। नॉरटन लाइफ लॉक का एक सर्वे आया था जिसमें सामने आया था कि साइबर अपराधियों ने भारतीयों को 1.2 लाख करोड़ रुपये का चूना लगाया है। अगर आप आंकड़ों को देखें तो दुनिया भर में रैनसमवेयर में 62 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। उत्तरी अमेरिका में 158 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। यूरोप, साउथ ईस्ट एशिया और अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों में बीते एक दशक में साइबर इंश्योंरेंस का बाजार जनरल इंश्योरेंस के आकार के बराबर पहुंच गया है।

हर रीजन में इतना है नुकसान

डाटा ब्रीच से होने वाले आर्थिक नुकसान के मामले में अमेरिका नंबर एक पर है। डाटा सेंध के मामले से होने वाला नुकसान अमेरिका, मध्य एशिया, कनाडा, जर्मनी और जापान में सबसे अधिक होता है। आंकड़ों की बात करें तो 2021 में अमेरिका को 9.05 मिलियन अमेरिकी डॉलर के नुकसान का सामना करना पड़ा। 2020 में यह घाटा 8.64 अमेरिकी डॉलर का था। कनाडा में यह नुकसान 2021 में 5.40 मिलियन अमेरिकी डॉलर था। 2020 में यह क्षति 4.50 अमेरिकी डॉलर की थी। भारत में 2020 में जहां डाटा चोरी से 2 मिलियन डॉलर का नुकसान हुआ तो 2021 में यह बढ़कर 2.21 मिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।

सबसे अधिक हेल्थ इंडस्ट्री को नुकसान

डाटा में सेंध की वजह से हेल्थकेयर इंडस्ट्री को सबसे अधिक नुकसान होता है। 2020 में हेल्थकेयर इंडस्ट्री को 7.3 मिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान होता था जो 2021 में बढ़कर 9.23 मिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया। फाइनेंशियल इंडस्ट्री को जहां 2020 में 5.85 मिलियन अमेरिकी डॉलर का घाटा होता था जिसमें 2021 में मामूली कमी आई है। अब यह घाटा 5.72 मिलियन अमेरिकी डॉलर का हो गया है। टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री में 2020 में जहां 2020 में 5.04 मिलियन अमेरिकी डॉलर का घाटा होता था जो 2021 में कम होकर 4.88 मिलियन अमेरिकी डॉलर का हो गया है।

औसतन इतना पैसा ऐंठते है साइबर ठग

शोध बताते हैं कि सभी रैनसमवेयर मामलों में डाटा चुराने या रिलीज करने की धमकी देते हैं। इसके एवज में साइबर क्रिमिनल औसतन 233,817 अमेरिकी डॉलर ऐंठ रहे हैं। चेक प्वाइंट की रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक स्तर पर रैनसमवेयर हमले से पांच फीसद कारपोरेट प्रभावित हुए है।

डाटा सेंध को पकड़ने और सुधारने में लगते हैं कुल 287 दिन

आईबीएम की रिपोर्ट के अनुसार 2021 में एक डाटा सेंध को पहचानने में औसतन 212 दिन लगते हैं। वहीं 75 दिन उसे पकड़ने में लगते हैं यानी कुल 287 दिनों में यह समस्या पूरी तरह हल हो पाती है। 2020 में इस समस्या के समाधान में कुल 280 दिन लगते थे तो 2019 में 279 दिन लग जाते थे।

बढ़ रहे हैं साइबर फिरौती के मामले

उत्तर प्रदेश के आईपीएस ( एसपी साइबर क्राइम) प्रो त्रिवेणी प्रसाद सिंह कहते हैं कि साइबर अपराधों में पिछले कुछ समय में रैनसमवेयर अटैक बढ़े हैं। इस तरह का हमला करने वाले किसी सिस्टम को हैक कर उसे लॉक कर देते हैं और उसे खोलने के लिए भारी रकम मांगते हैं। लखनऊ में ऐसे कई मामले सामने आए हैं। उत्तर प्रदेश में मथुरा और राजस्थान से लगी सीमा के करीब कुछ साइबर अपराधी सक्रिय हैं। समय- समय पर यहां कार्यवाही कर कुछ अपराधियों को गिरफ्तार भी किया गया है।

कड़ी सजा और त्वरित सुनवाई से बनेगी बात

संजय कुमार कहते हैं कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक अगले 5 सालों में देश में डिजिटल ट्रांजैक्शन प्रति दिन 15 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा। मौजूदा वक्त में रोजाना 1 करोड़ लोग डिजिटल ट्रांजैक्शन करते हैं, जिसकी वैल्यू 5 लाख करोड़ रुपये होती है। ऐसे में हमको आने वाले समय के लिए जबरदस्त और पुख्ता तैयारी करनी होगी क्योंकि इस नुकसान का आंकड़ा दिन-ब-दिन बढ़ता जाएगा। साइबर कानूनों को सख्त करना होगा। कड़े सजा के प्रावधान करने होंगे और मामलों की जल्दी सुनवाई का इंतजाम करना होगा।

तय करनी होगी जवाबदेही

साइबर एक्सपर्ट अमित दुबे कहते हैं कि साइबर क्राइम को रोकने के लिए सरकार को गाइडलाइन सख्त कर देनी चाहिए। कोई भी बैंक अकाउंट बिना पर्सनल वेरिफिकेशन के नहीं खोला जाएगा। अमित कहते हैं कि अब दूसरी बात सिम कार्ड की। यहां सरकार को सख्ती बरतनी चाहिए एक भी सिम कार्ड बिना सही केवाईसी के निकलता है तो टेलीकॉम कंपनियों को पेनाल्टी लगाए। वहीं डाटा प्राइवेसी बिल आ जाएगा तो उससे और ज्यादा फर्क पड़ेगा क्योंकि इससे आपका डाटा आपके देश में ही रहेगा तो बाहर से डाटा लीक होना बंद होगा और यदि होता है तो कंपनियां जवाबदेह होंगी। 

chat bot
आपका साथी