संस्कृति मंत्रालय ने बताया, आजादी का अमृत महोत्सव के तहत सात माह में 7000 कार्यक्रम हुए

देश की आजादी की 75वीं वर्षगांठ मनाने के लिए 12 मार्च 2021 को आजादी का अमृत महोत्सव अभियान की शुरुआत की गई थी। संस्कृति सचिव गोविंद मोहन ने कहा अभियान सरकारी विभागों द्वारा चलाया जा रहा है और इससे निजी क्षेत्र को भी जुड़ना चाहिए।

By Nitin AroraEdited By: Publish:Sat, 23 Oct 2021 01:14 PM (IST) Updated:Sat, 23 Oct 2021 01:19 PM (IST)
संस्कृति मंत्रालय ने बताया, आजादी का अमृत महोत्सव के तहत सात माह में 7000 कार्यक्रम हुए
संस्कृति मंत्रालय ने बताया, आजादी का अमृत महोत्सव के तहत सात माह में 7000 कार्यक्रम हुए

नई दिल्ली, प्रेट्र। आजादी का अमृत महोत्सव के तहत सरकार ने सात माह में सात हजार कार्यक्रम आयोजित किए हैं। देश की आजादी की 75वीं वर्षगांठ मनाने के लिए 12 मार्च 2021 को अभियान की शुरुआत की गई थी। पब्लिक अफेयर्स फोरम आफ इंडिया के डिजिटल माध्यम से आयोजित आठवें राष्ट्रीय फोरम में संस्कृति सचिव गोविंद मोहन ने कहा, अभियान सरकारी विभागों द्वारा चलाया जा रहा है और इससे निजी क्षेत्र को भी जुड़ना चाहिए। अभियान के तहत हम एक सहयोगात्मक तालमेल बनाने का प्रयास कर रहे हैं। इसका सार यह है कि हम विभिन्न मंत्रालयों, विभागों और सरकारों के सामान्य कामकाज में बदलाव लाना चाहते हैं। हम साथ मिलकर काम करने का प्रयास कर रहे हैं। सहयोगात्मक रवैये के कारण ही आर्थिक प्रगति को बल मिलेगा।

उन्होंने कहा कि चाहे वह 'ईज आफ डूइंग बिजनेस' या 'गति शक्ति' जैसे कार्यक्रम हों, यह तभी काम कर पाएंगे जब हम साइलो अप्रोच को छोड़ दें और कन्वर्जेंस अप्रोच पर काम करने लग जाएं। 'इस अभियान में अभी बड़ी संख्या में निजी भागीदारी को भाग लेना बाकी है। हम अगले तीन महीनों के दौरान चैंबर्स को एक साथ लाना चाहते हैं और अभियान से जोड़ना चाहते हैं।

मोहन ने कहा कि यह कार्यक्रम उन लोगों के बलिदान को पहचानने के लिए मनाया जा रहा है, जिन्होंने देश की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी लेकिन उन्हें याद नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम देश के विकास के लिए एक्शन लेने का रोडमैप तैयार करने का भी एक तरीका है।

उन्होंने कहा कि सरकार स्वतंत्रता के गुमनाम नायकों की जानकारी वेबसाइटों पर अपलोड करेगी, जिसमें लोग भी भूले हुए स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्ष को सामने लाने में अपना योगदान दे सकते हैं।

उन्होंने आगे कहा कि 200 से अधिक देशों में प्रवासी भारतीयों और भारतीय मिशनों को नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व वाली भारतीय राष्ट्रीय सेना में सैनिकों की तरह गुमनाम नायकों का जश्न मनाने के लिए शामिल किया जाएगा।

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