Coronavirus in India: गांवों में कोरोना इलाज से लेकर वैक्सीनेशन तक को तैयार सीएससी, आसानी से लड़ी जा सकती है बड़ी लड़ाई

Coronavirus in India आइटी व इलेक्ट्रानिक्स मंत्रालय के तहत काम करने वाले कामन सर्विस सेंटर (सीएससी) से देश भर के ग्रामीण इलाके में कोरोना की जांच और इलाज के साथ वैक्सीनेशन अभियान को भी सफल बनाया जा सकता है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Publish:Tue, 18 May 2021 09:35 PM (IST) Updated:Tue, 18 May 2021 09:48 PM (IST)
Coronavirus in India: गांवों में कोरोना इलाज से लेकर वैक्सीनेशन तक को तैयार सीएससी, आसानी से लड़ी जा सकती है बड़ी लड़ाई
सीएससी पर टेलीमेडिसिन से होगा इलाज तो कोरोना टेस्ट भी संभव (फाइल फोटो)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। ग्रामीण इलाके में कोरोना की जांच, इलाज और वैक्सीनेशन सरकार के लिए चुनौती साबित हो रही है। लेकिन आइटी व इलेक्ट्रानिक्स मंत्रालय के तहत काम करने वाले कामन सर्विस सेंटर (सीएससी) से देश भर के ग्रामीण इलाके में कोरोना की जांच और इलाज के साथ वैक्सीनेशन अभियान को भी सफल बनाया जा सकता है। इस अभियान को सफल बनाने के लिए सीएससी को सरकार से फंड की दरकार है ताकि बड़े पैमाने पर ग्रामीण भारत में कोरोना के इलाज और वैक्सीनेशन को अंजाम दिया जा सके।

देश भर में लगभग चार लाख सीएससी हैं औऱ इनमें से 2.5 लाख सीएससी ग्रामीण इलाके में हैं। सीएससी पर टेलीमेडिसिन के जरिये मरीजों के इलाज की सुविधा पहले से है। वहीं पिछले 15 दिनों से ग्रामीण सीएससी पर कोरोना वैक्सीनेशन के लिए रजिस्ट्रेशन भी किया जा रहा है।

टेलीमेडिसिन

सीएससी के प्रबंध निदेशक दिनेश त्यागी ने बताया कि पिछले 15 दिनों में ग्रामीण इलाके में वैक्सीनेशन के लिए सीएससी के माध्यम से 3.10 लाख रजिस्ट्रेशन किया गया और हम इस संख्या को आराम से एक करोड़ तक ले जा सकते हैं। लेकिन सरकार को इस काम के लिए गांवों में सीएससी चलाने वाले विलेज लेवल इंट्रेप्रेन्योर (वीएलई) को कुछ इनसेनटिव देना पड़ेगा। इनसेनटिव मिलने से वीएलई घर-घर जाकर वैक्सीनेशन के लिए रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि वीएलई वैक्सीन लगाने के कार्यक्रम को आयोजित करने में मदद कर सकता है और हाथ के हाथ वैक्सीन लगवाने वालों के डाटा की एंट्री कर सकता है।

त्यागी ने बताया कि ग्रामीण इलाके में मरीजों के लिए इलाज के लिए पहले से सीएससी के देश के 200 एलोपैथ डाक्टर जुड़े हुए हैं। वहीं 80 होम्योपैथ डाक्टर तो कुछ आयुर्वेदिक डाक्टर भी सीएससी से जुड़े हुए हैं। रोजाना एक लाख लोग इन डाक्टरों से डिजिटल तरीके से संपर्क करते हैं और टेलीमेडिसिन की मदद से सीएससी मरीजों की दवा भी मंगवा देता है। त्यागी ने बताया कि अलग से इंसेनटिव देने पर गांवों में कोरोना से बीमार पड़ने वाले मरीज का घर बैठे इलाज हो सकता है क्योंकि वीएलई को गांव की पूरी जानकारी होती है।

कोरोना जांच 

सीएससी इन दिनों झारखंड में कंप्यूटर से लैस वैन से कोरोना की एंटीजेन जांच का भी काम कर रहा है। सरकार की तरफ से उन्हें एंटीजेन जांच की किट दे दिए जाते हैं और वह वैन गांव-गांव जाकर लोगों की जांच करती है और हाथ के हाथ लोगों के डाटा भी भर दिए जाते हैं। त्यागी ने बताया कि इन सभी काम को बड़े पैमाने पर कराने के लिए फंड की आवश्यकता है।

कुछ विदेशी संस्थाएं सीएससी को फंड मुहैया कराने के लिए तैयार हैं, लेकिन विदेशी योगदान कानून में संशोधन की वजह से वे संस्थाएं सीएससी को दान नहीं दे पा रही हैं। उन्होंने इस संबंध में गृह मंत्रालय को पत्र भी लिखा है। उन्होंने बताया कि अगर सार्वजनिक क्षेत्र की या कारपोरेट कंपनियां सामाजिक दायित्व के तहत सीएससी को योगदान देती हैं तो ग्रामीण भारत में कोरोना के खिलाफ आसानी से बड़ी लड़ाई लड़ी जा सकती है।

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