इस अध्ययन ने किया दावा- कोरोना से 93 फीसद सुरक्षा देती है कोविशील्ड

सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया (एसआइआइ) की वैक्सीन कोविशील्ड कोरोना महामारी से 93 फीसद सुरक्षा प्रदान करती है। दूसरी लहर के दौरान सशस्त्र सेना चिकित्सा महाविद्यालय (एएफएमसी) द्वारा किए गए एक अध्ययन का संदर्भ देते हुए मंगलवार को केंद्र ने इस बात की जानकारी दी।

By Pooja SinghEdited By: Publish:Wed, 28 Jul 2021 12:41 AM (IST) Updated:Wed, 28 Jul 2021 12:41 AM (IST)
इस अध्ययन ने किया दावा- कोरोना से 93 फीसद सुरक्षा देती है कोविशील्ड
इस अध्ययन ने किया दावा- कोरोना से 93 फीसद सुरक्षा देती है कोविशील्ड

नई दिल्ली, प्रेट्र। सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया (एसआइआइ) की वैक्सीन कोविशील्ड कोरोना महामारी से 93 फीसद सुरक्षा प्रदान करती है। दूसरी लहर के दौरान सशस्त्र सेना चिकित्सा महाविद्यालय (एएफएमसी) द्वारा किए गए एक अध्ययन का संदर्भ देते हुए मंगलवार को केंद्र ने इस बात की जानकारी दी।

यह वैक्सीन मृत्युदर को भी 98 फीसद तक कम करती है। नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डा. वीके पाल ने इस अध्ययन के नतीजे मीडिया के सामने पेश किए। यह अध्ययन 15 लाख डाक्टरों और फ्रंटलाइन वर्कर्स पर किया गया। उन्होंने कहा, 'कोविशील्ड वैक्सीन से 93 प्रतिशत सुरक्षा देखी गई (जिन लोगों को कोविशील्ड टीका लगाया गया) और यह दूसरी लहर के दौरान था जो डेल्टा वायरस की वजह से फैली थी। मृत्युदर में भी 98 प्रतिशत की कमी देखी गई।

'कोरोना के खिलाफ लड़ाई में टीकों की उपयोगिता पर जोर देते हुए पाल ने कहा कि टीका लगवाने से संक्रमण कम होता है लेकिन यह पूर्ण गारंटी नहीं है। उन्होंने कहा, 'कोई टीका यह गारंटी नहीं देता कि संक्रमण नहीं होगा लेकिन गंभीर बीमारी रोकी जाती है और लगभग खत्म हो जाती है। मैं आपसे अनुरोध करूंगा कि कृपया सजग रहें, सतर्क रहें और हमारे टीकों पर भरोसा रखने के साथ ही आने वाले हफ्तों और महीनों को लेकर सावधान रहें।

'समाचार एजेंसी एएनआइ के मुताबिक अपोलो अस्पताल समूह की तरफ से किए गए एक अध्ययन में पाया गया है किकोरोना वैक्सीन संक्रमण से 97 फीसद सुरक्षा प्रदान करती हैं। अगर संक्रमण हो भी जाए तो वैक्सीन उसे गंभीर नहीं होने देती। यह अध्ययन 3,235 स्वास्थ्यकर्मियों पर किया गया। इसमें से 2,480 ने दोनों और 755 ने वैक्सीन की एक डोज ले रखी थी।

वहीं केंद्र सरकार ने मंगलवार को मीडिया में आईं उन खबरों को खारिज कर दिया, जिनमें दावा किया गया है कि भारत जुलाई के अंत तक 50 करोड़ कोविड रोधी टीके लगाने के लक्ष्य से चूक जाएगा। इनमें तथ्यों को स्पष्ट रूप से गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया है।

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