संक्रमण से उबरे और कोविशील्ड की दोनों डोज लेने वाले डेल्टा वैरिएंट से ज्यादा सुरक्षित, ICMR के अध्‍ययन में दावा

कोरोना संक्रमण से उबरे और कोविशील्ड की दोनों डोज लगवाने वाले लोग वायरस के डेल्टा वैरिएंट से ज्यादा सुरक्षित हैं। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) द्वारा किए गए अध्ययन में ऐसे लोगों में वायरस के इस घातक वैरिएंट के खिलाफ मजबूत प्रतिरक्षा पाई गई है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Wed, 04 Aug 2021 08:08 PM (IST) Updated:Wed, 04 Aug 2021 11:25 PM (IST)
संक्रमण से उबरे और कोविशील्ड की दोनों डोज लेने वाले डेल्टा वैरिएंट से ज्यादा सुरक्षित, ICMR के अध्‍ययन में दावा
कोविशील्ड की दोनों डोज लगवाने वाले लोग वायरस के डेल्टा वैरिएंट से ज्यादा सुरक्षित हैं।

नई दिल्ली, एएनआइ। कोरोना संक्रमण से उबरे और कोविशील्ड की दोनों डोज लगवाने वाले लोग वायरस के डेल्टा वैरिएंट से ज्यादा सुरक्षित हैं। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) और पुणे स्थित राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआइवी) द्वारा किए गए अध्ययन में ऐसे लोगों में वायरस के इस घातक वैरिएंट के खिलाफ मजबूत प्रतिरक्षा पाई गई है। इसमें कोविशील्ड की पहली और दूसरी डोज लेने वाले लोगों और कोरोना से संक्रमित होने के बाद इसी वैक्सीन को एक या दोनों डोज लोग लेने वालों में कप्पा और डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ एंटीबाडी का अध्ययन किया गया था।

इसमें पाया गया कि पूर्ण टीकाकरण यानी कोविशील्ड की दोनों डोज लेने के बाद संक्रमित होने वाले और संक्रमण से ठीक होने के बाद टीके लेने वाले लोगों में उन लोगों की तुलना में मजबूत प्रतिरक्षा पाई गई जिन्होंने कोविशील्ड की एक या दोनों डोज लगवाई हैं। विज्ञानी टीकाकरण के बाद संक्रमण के मामले को ब्रेकथ्रू केस कहते हैं, क्योंकि वायरस टीके की वजह से पैदा हुई प्रतिरक्षा प्रणाली को तोड़कर संक्रमित करता है। अध्ययन में प्रतिरक्षा प्रणाली को चकमा देने वाले वैरिएंट का पता लगाने का सुझाव भी दिया गया है।

हाल ही में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) द्वारा किए गए अध्‍ययन में भारत बायोटेक की कोरोना रोधी वैक्सीन कोवैक्सीन भी (बीबीवी152) डेल्टा प्लस वैरिएंट (एवाई.1) के खिलाफ प्रभावी पाई गई थी। बायोरक्सिव में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि आइजीजी एंटीबाडी के मूल्यांकन में पाया गया है कि कोवैक्सीन की पूर्ण डोज यानी दोनों डोज लेने लोगों में कोविड-19 की आशंका लगभग खत्म हो गई। इस अध्‍ययन में डेल्टा, डेल्टा प्लस और बी.1.617.3 के खिलाफ कोवैक्सीन का मूल्यांकन किया गया।  

अध्‍ययन में पाया गया कि कोवैक्सीन डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ 65.2 प्रतिशत प्रभावी है। अध्ययन में कहा गया है कि इनमें से एवाई.1 यानी डेल्टा प्लस वैरिएंट का पहली बार भारत में अप्रैल 2021 में पता चला था और बाद में 20 अन्य देशों में भी इसके मामले सामने आए। भारत बायोटेक ने तीन जुलाई को कोवैक्सीन के तीसरे चरण के क्लीनिकल परीक्षणों को पूरी करते हुए कहा था कि यह वैक्सीन कोविड-19 के खिलाफ 77.8 प्रतिशत और बी.1.617.2 डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ 65.2 प्रतिशत प्रभावी रही थी। 

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