कोरोना महामारी की पहली लहर में 23 करोड़ भारतीय हुए गरीब, 47 फीसद महिलाओं को छोड़ना पड़ी नौकरी

लॉकडाउन के बाद लड़खड़ाई आर्थिक व्यवस्था के बाद पिछले एक साल में 23 करोड़ भारतीय गरीब हो गए हैं। अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के एक अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है। ग्रामीण अंचल से ज्यादा गरीबी का असर शहर में हुआ है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Publish:Thu, 06 May 2021 06:03 PM (IST) Updated:Thu, 06 May 2021 06:03 PM (IST)
कोरोना महामारी की पहली लहर में 23 करोड़ भारतीय हुए गरीब, 47 फीसद महिलाओं को छोड़ना पड़ी नौकरी
महामारी का सबसे ज्यादा असर गरीब लोगों पर पड़ा (फाइल फोटो)

नई दिल्ली, आइएएनएस। कोरोना महामारी की पहली लहर और लॉकडाउन के बाद लड़खड़ाई आर्थिक व्यवस्था के बाद पिछले एक साल में 23 करोड़ भारतीय गरीब हो गए हैं। अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के एक अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है। ग्रामीण अंचल से ज्यादा गरीबी का असर शहर में हुआ है। महामारी के दौरान 23 करोड़ लोग ऐसे हैं, जो राष्ट्रीय न्यूनतम मजदूरी सीमा से भी नीचे आ गए हैं। ये आंकड़े अनूप सत्पथी कमेटी की 375 रुपये प्रतिदिन की मजदूरी को आधार बनाकर निकाले गए हैं।

महामारी का सबसे ज्यादा असर गरीब लोगों पर

रिपोर्ट के मुताबिक महामारी का असर हर वर्ग पर पड़ा है, लेकिन इसका सबसे ज्यादा कहर गरीब परिवारों पर बरपा है। पिछले साल अप्रैल और मई में सबसे गरीब लोगों में से बीस फीसद परिवारों की आमदनी पूरी तरह खत्म हो गई। जो धनी हैं, उनको भी अपनी आमदनी में पहले की तुलना में एक बड़े हिस्से का नुकसान हुआ। पिछले साल मार्च से लेकर अक्टूबर लगभग आठ महीने में हर परिवार को दो महीने की आमदनी को गंवाना पड़ा। डेढ़ करोड़ ऐसे श्रमिक थे, जिन्हें पिछले साल अंत तक कोई काम ही नहीं मिला। इस दौरान महिलाओं के रोजगार पर ज्यादा असर पड़ा। लॉकडाउन के दौरान 47 फीसद महिलाओं को स्थाई रूप से अपनी नौकरी छोड़नी पड़ी। 

दुनिया में 15 करोड़ से ज्यादा लोग भुखमरी के कगार पर

समाचार एजेंसी एपी के मुताबिक दुनिया में 15 करोड़ से ज्यादा लोग ऐसे हैं, जिन्हें दो जून का खाना भी मुश्किल से नसीब हो रहा है। संयुक्त राष्ट्र की 55 देशों पर 2020 में तैयार की गई एक रिपोर्ट से यह जानकारी सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार 2019 की तुलना में 2020 में दो करोड़ लोग नए लोग भुखमरी की कतार में शामिल हुए हैं। इनमें से दो तिहाई लोगों की संख्या दस देशों में है। इनमें कांगो, यमन, अफगानिस्तान, सीरिया, सूडान, उत्तरी नाइजीरिया, इथोपिया, दक्षिण सूडान, जिंबांबे और हैती हैं। बुर्किना फासो, दक्षिणी सूडान और यमन में एक लाख 33 हजार वो लोग हैं, जो भूख, अभाव और मौत के बीच जिंदगी को ढो रहे हैं।

chat bot
आपका साथी