Coronavirus Updates: अक्टूबर तक देश को मिल सकती है कोरोना की वैक्सीन

प्रोफेसर के. विजय राघवन ने कहा कि एक वैक्सीन पर काम करने की जगह हम लोग एक ही समय में 100 से अधिक वैक्सीन पर काम कर रहे हैं।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Thu, 28 May 2020 05:00 PM (IST) Updated:Fri, 29 May 2020 12:04 AM (IST)
Coronavirus Updates:  अक्टूबर तक देश को मिल सकती है कोरोना की वैक्सीन
Coronavirus Updates: अक्टूबर तक देश को मिल सकती है कोरोना की वैक्सीन

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कोरोना के खिलाफ छिड़ी चौतरफा जंग में वैज्ञानिकों के मोर्चे से एक बड़ी खबर आयी है। इसके तहत अक्टूबर तक देश को कोरोना की वैक्सीन मिल सकती है। हालांकि इसका इस्तेमाल कब से होगा, यह कहना अभी थोड़ा जल्दबाजी होगा। लेकिन यह साफ है कि अक्टूबर से देश में बन रही करीब छह वैक्सीन प्री-क्लीनिकल ट्रायल के स्टेज में पहुंच जाएगी। इनमें दो वैक्सीन ऐसी है, जिनका निर्माण सीएसआईआर और आईसीएमआर की लैब में किया जा रहा है। इसके साथ ही ड्रग्स को लेकर भी तेजी से चल रहे ट्रायल का भी अगले कुछ ही महीनों में परिमाण सामने आ सकता है। फिलहाल इस ट्रायल में एचसीक्यू भी शामिल है।

करीब छह वैक्सीन पर शुरू हो जाएगा प्री-क्लीनिकल ट्रायल

कोरोना से निपटने के लिए वैज्ञानिक मोर्चे पर चल रहे कामों की प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार डाक्टर के. विजय राघवन ने गुरूवार को जानकारी दी। उन्होंने बताया कि देश में कोरोना की वैक्सीन बनाने के काम में 30 ग्रुप इस समय अलग-अलग फार्मा कंपनियों और शैक्षणिक संस्थानों के साथ जुटे हुए है। इनमें से करीब 28 का काम काफी अच्छा चल रहा है। इनमें से निजी क्षेत्र की आठ और सीएसआईआर व आईसीएमआर की लैब में तैयार की जा रही करीब छह वैक्सीन का काम काफी आगे है। ऐसे में अक्टूबर तक निजी क्षेत्र की चार और सीएसआईआर व आईसीएमआर लैब में बन रही दो वैक्सीन प्री-क्लीनिकल ट्रायल में पहुंच जाएगी। जबकि बाकी फरवरी तक इस स्टेट में पहुंचेगी।

भारत दुनिया भर में वैक्सीन बनाने का एक हब

उन्होंने बताया कि वैक्सीन बनाने का यह काम चार अलग-अलग तरीकों से किया जा रहा है। वैसे भी भारत दुनिया भर में वैक्सीन बनाने का एक हब है। उसके पास इस काम को तेजी से करने की पूरी क्षमता है। जो कर भी रहे है। इसके अलावा भी हम दुनिया के दूसरे देशों के साथ मिलकर ज्वाइंट वेंचर में भी वैक्सीन को लेकर काम कर रहे है। इनमें कुछ जगहों पर हम खुद लीड कर रहे है, जबकि कुछ जगहों पर दूसरे देशों की अगुवाई में काम कर रहे है।

नई दवाओं ओर पहले से चल रही दवाओं पर हो रहा काम

राघवन ने बताया कि वैक्सीन तैयार करना एक कठिन प्रक्रिया है, बावजूद इसके देश में अच्छा काम चल रहा है। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि ड्रग्स के क्षेत्र में भी काम हो रहा है। इनमें दो तरीके से काम किया जा रहा है। पहला नई दवाओं का तैयार करने का है, जबकि दूसरा तरीका मौजूदा दवाओं को लेकर ही ट्रायल चल रहा है। इनमें एचसीक्यू भी है। इन सभी की स्टडी रिपोर्ट जल्द ही आ जाएगी।

एक साल में वैक्सीन बनने से खर्च में बढ़ोतरी

उन्होंने कहा कि आम तौर पर वैक्सीन बनाने में 10 से 15 साल लग जाते हैं और उनकी लागत 20 करोड़ से 30 करोड़ डॉलर तक आती है। चूंकि कोविड-19 के लिए एक साल में वैक्सीन डेवलप करने का लक्ष्य है, ऐसे में खर्च बढ़कर सौ गुना यानी 20 अरब से 30 अरब डॉलर हो सकता है।

प्रो. राघवन ने कहा कि भारत में तैयार वैक्सीन दुनिया में बेहतरीन गुणवत्ता का है। यह देश के लिए गौरव की बात है कि दुनियाभर के बच्चों को जो तीन वैक्सीन दी जाती है, उनमें दो भारत में बनते हैं। पिछले कुछ वर्षों में वैक्सीन कंपनियां न केवल उत्‍पादन कर रही हैं, बल्कि वो आर एंडडी में भी निवेश कर रही हैं। इसी तरह हमारे स्टार्टअप्स भी इस क्षेत्र में बड़ा योगदान कर रहे हैं। साथ ही, व्‍यक्तिगत स्‍तर पर एकेडमिक भी इस पर काम कर रहे हैं।

जुलाई से हर दिन पांच लाख देशी टेस्टिंग किट होगी तैयार

नीति आयोग के सदस्य और कोराना से निपटने के लिए गठित उच्चाधिकार प्राप्त कमेटी के अध्यक्ष डा वी के पॉल ने इस दौरान टेस्टिंग किट बनाने से जुड़ी जानकारी भी साझा की। उन्होंने बताया कि भारत अब टेस्टिंग किट बनाने में खुद सक्षम है। जुलाई से हर दिन हम देश में विकसित की गई पांच लाख टेस्टिंग किट तैयार करने में सक्षम होंगे। साथ ही घरेलू जरूरतों के पूरा होने पर हम इनका निर्यात भी करेंगे। बता दें कि अभी कोरोना की जांच के लिए टेस्टिंग किट दूसरे देशों से खरीदनी पड़ रही है। इस तरह देश ने पीपीई के मामले में भी बड़ी सफलता हासिल की है।

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