Coronavirus Prevention Tips: अनलॉक छूट नहीं समझदारी की परीक्षा, इन बातों का रखें विशेष ध्यान
कोरोना संक्रमण से देश तभी आजाद होगा जब हर नागरिक न केवल अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाएगा बल्कि दूसरों को भी सावधान रहने के लिए प्रेरित करेगा। कोरोना से बचाव के लिए लोग क्या सावधानी बरतें बता रहे हैं एम्स पटना के निदेशक डॉ. प्रभात कुमार सिंह
पवन मिश्र। कोरोना वायरस के खिलाफ अभी तक न तो कोई दवा है और न ही वैक्सीन। चूंकि अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिहाज से अनलॉक घोषित किए जा रहे हैं। फिलहाल जारी अनलॉक 4.0 में सड़क, बाजार, कार्यालय हर जगह भीड़ ही भीड़ दिख रही है। शारीरिक दूरी के नियम का पालन तो दूर कई लोग मास्क तक नहीं पहन रहे, जो पहनते भी हैं, उनमें से 50 फीसद के नाक या मुंह खुले रहते हैं।
लोगों की इस लापरवाही ने डॉक्टरों की चिंता बढ़ा दी है। हाल के दिनों में संक्रमितों की संख्या में हुई रिकॉर्ड बढ़ोत्तरी ने डॉक्टरों की आशंका को सच साबित कर दिया है। अनलॉक में कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए लोग क्या सावधानी बरतें, बता रहे हैं एम्स, पटना के निदेशक डॉ. प्रभात कुमार सिंह और कोरोना नोडल पदाधिकारी डॉ. संजीव कुमार...
लापरवाही पड़ेगी भारी: कोरोना के वायरस सॉर्स कोव-2 को जिंदा रहने के लिए वाहक यानी हमारे शरीर की जरूरत होती है। इस वायरस को पूरी तरह नष्ट करने के लिए जब तक हम अपनी जिम्मेदारी नहीं समझेंगे, तब तक सभी सरकारी उपाय नाकाफी होंगे। सरकार अपने स्तर से टेस्टिंग (संक्रमितों की पहचान), ट्रेसिंग (संक्रिमतों के सीधे संपर्क में आए लोगों की जांच) और ट्रीटमेंट (इलाज) में निरंतर प्रयास कर रही है, लेकिन आमजन का सहयोग नहीं मिलने से संक्रमितों की संख्या में तेजी आ रही है।
इसका कारण है कि अनलॉक होते ही लोगों ने लॉकडाउन में जिन सावधानियों को जीवनशैली में शामिल किया था, अब उनसे किनारा कर लिया है। अगर यही लापरवाही जारी रही तो आने वाला वक्त और भी घातक होगा। असल मायने में अनलॉक का अर्थ है, सावधानी बरतकर कोरोना संक्रमण को मात देते हुए देश की अर्थव्यवस्था को सुधार की ओर ले जाने का संकल्प। इसके लिए बहुत कुछ करने की जरूरत भी नहीं है। घर के बाहर मास्क पहनकर ही रहना है, कम से कम दो गज की दूरी बरकरार रखनी है और किसी भी अंजान सतह को छूने के बाद हाथों को धोना या सैनिटाइज करना है। भीड़भाड़ वाली जगहों या यात्रा से बचना ही उचित है।
इन आदतों से करें परहेज
इन बातों का रखें ध्यान
डॉक्टर की सलाह जरूरी: कोरोना पॉजिटिव अपनी मर्जी से होम क्वारंटाइन का निर्णय ले रहे हैं। ऐसे में कई बार वे जब तक अस्पताल पहुंचते हैं, हालत बहुत गंभीर हो चुकी होती है। ऐसे में जरूरी है कि सरकारी टोल फ्री नंबर पर डॉक्टर को समस्याओं के बारे में बताएं और उनकी राय पर ही अस्पताल या होम क्वारंटाइन का निर्णय लें। यदि आपमें कोई लक्षण नहीं होगा या बहुत हल्के लक्षण होंगे तब ही होम क्वारंटाइन उचित है। तेज बुखार हो, खून में ऑक्सीजन का स्तर कम हो या सांस लेने में दिक्कत हो तो तुरंत अस्पताल जाना चाहिए।
हरदम रहें तैयार: कोरोना संक्रमण कब, किसको, कहां अपनी गिरफ्त में लेगा, कोई नहीं जानता है। ऐसे में अपने दोस्तों, सहयोगियों व रिश्तेदारों का समूह बनाएं और तमाम जरूरतों का इंतजाम करने की जिम्मेदारी आपस में तय कर लें। इससे अचानक बीमार होने पर जब आपके साथी या रिश्तेदार को आपकी जरूरत हो तब जांच से लेकर भर्ती कराने तक की सारी व्यवस्थाएं इसी समूह के जरिए सुचारू रूप से जल्द से जल्द हो सकें।
गंभीर रोगी रखें खास ख्याल: 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोग कोरोना संक्रमण के आसान शिकार हैं। इसके अलावा यदि मधुमेह, किडनी व ब्लड प्रेशर से जुड़ी तकलीफ के साथ जी रहे हैं तो ऐसे लोगों को खतरा और बढ़ जाता है। ये लोग नियमित रूप से जारी दवाओं को समय से लेते हुए संयमित खानपान और व्यायाम से मधुमेह और ब्लड प्रेशर नियंत्रित रखें। नियमित रूप से शुगर लेवल और ब्लड प्रेशर नापें। यदि इसमें बदलाव हो तो चिकित्सक से फोन पर परामर्श लें और उसके अनुसार दवा की डोज कम या ज्यादा करें। संक्रमण से बचने के लिए बिना फोन पर डॉक्टर की सलाह के अस्पताल या क्लीनिक न जाएं।
जीवनशैली रखें दुरुस्त: समय पर हरी सब्जियों, मौसमी फलों के साथ पौष्टिक आहार, योग-ध्यान-व्यायाम और पर्याप्त नींद से हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। खाने में 60 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट यानी गेहूं या उससे बनी चीजें, 15 से 20 फीसद कैलोरी जैसे दाल या सूखे मेवे, 200 मिलीग्राम कोलेस्ट्राल यानी मक्खन, देशी घी, मलाईयुक्त दूध और तीन से पांच बार अच्छे से धोकर मौसमी ताजे फल अवश्य खाएं। अंकुरित चना-मूंग रोज खाएं, उसना चावल एवं चोकर सहित गेहूं का ही प्रयोग करें।