Coronavirus Prevention Tips: आइसोलेशन में भी रहना होगा सक्रिय, रखें इन बातों का ध्यान

Coronavirus Prevention Tips सीएनएन के अनुसार घर में लंबे समय तक कैद रहने से दिल व फेफड़े कमजोर हो सकते हैं। दिमाग भी प्रभावित हो सकता है। इसलिए आइसोलेशन में रहते हुए भी आपको खुद को सक्रिय रखना होगा।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Tue, 29 Sep 2020 08:54 AM (IST) Updated:Tue, 29 Sep 2020 12:12 PM (IST)
Coronavirus Prevention Tips: आइसोलेशन में भी रहना होगा सक्रिय, रखें इन बातों का ध्यान
घर में लंबे समय तक कैद रहने से दिल व फेफड़े कमजोर हो सकते हैं।

नई दिल्‍ली, जेएनएन। Coronavirus Prevention Tips कोरोना संक्रमण से दिनचर्या भी प्रभावित हुई है। लोगों ने बाहर निकलना कम कर दिया है। दफ्तर का काम भी घरों से ही निपटा रहे हैं। इस तरह आप कोरोना से तो बच सकते हैं, लेकिन कई दूसरी समस्याएं पैदा हो सकती हैं। सीएनएन के अनुसार घर में लंबे समय तक कैद रहने से दिल व फेफड़े कमजोर हो सकते हैं। दिमाग भी प्रभावित हो सकता है। इसलिए, आइसोलेशन में रहते हुए भी आपको खुद को सक्रिय रखना होगा।

हृदय व फेफड़ों का कमजोर होना : प्रोफेसर बार ने कहा कि यदि आप व्यायाम नहीं कर रहे हैं तो इसका अर्थ है कि आप हृदय की गति को नहीं बढ़ा रहे हैं। शारीरिक श्रम से दिल भी मजबूत होता है। सीएनएन के अनुसार फेफड़ों की बीमारी से ग्रसित लोगों को पहले से ही कोरोना वायरस के लिए संवेदनशील माना जाता है, क्योंकि यह श्वसन से जुड़ी बीमारी है। हालांकि, उनके लिए भी क्रियाशील रहना बेहद जरूरी है, ताकि उनके फेफड़े भी क्रियाशील रहें।

कमजोर होने लगती हैं मांसपेशियां : हफ्ते भर तक घर में रहकर आप सुकून जरूर महसूस कर सकते हैं, लेकिन यह निष्क्रियता आपकी शारीरिक शक्ति को कमजोर कर देती है। इसका कारण है कि मांसपेशियां बनने में महीनों लग सकते हैं, लेकिन सिर्फ एक सप्ताह में ये कमजोर पड़ सकती हैं। कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी डेविस के मॉलिक्यूलर एक्सरसाइज फीजियोलॉजी विभाग के प्रोफेसर कीथ बार कहते हैं कि मांसपेशियों के कमजोर पड़ने के साथ ही आपकी शारीरिक क्षमता भी कमजोर पड़ जाती है। शारीरिक क्षमता से ही यह तय होता है कि आपका जीवन कितना लंबा होगा। आप जितना मजबूत होंगे, उतने ही दिनों तक जीवित रहेंगे।

बढ़ सकता है वजन : नॉट्रे डेम यूनिवर्सिटी में एनाटॉमी और फीजियोलॉजी के एसोसिएट प्रोफेसर जाइल्स डफील्ड के अनुसार, जब आप घर से बाहर होते हैं तो आपके खाने की अवधि 10-12 घंटे होती है। यानी आप इसी अवधि में रुक-रुक कर खाना खाते हैं। लेकिन, घर पर रहने के दौरान यह अवधि 15 घंटे हो जाती है। यानी आप ज्यादा खाना खाते हैं। इससे आपका इंसुलिन बढ़ता है। सीएनएन के अनुसार इंसुलिन वसा के अन्य मॉलिक्यूल को वजन में बदल देता है। प्रोसेस्ड फूड में वसा और चीनी की मात्रा बहुत अधिक होती है। तनाव के कारण भी वजन बढ़ता है। कोरोना काल में तो तनाव ज्यादा है ही।

नींद भी हो सकती है प्रभावित : डफील्ड के अनुसार, यदि आप अधिक समय तक घर में रहते हैं तो इससे आपकी नींद भी प्रभावित होती है। सुबह के समय ज्यादा समय तक सूर्य की रोशनी में रहने से आपके सोने व जागने का क्रम व्यवस्थित होता है। यदि आप खुले में टहलते हैं, काम करते हैं और व्यायाम करते हैं तो सूर्य की सीधी रोशनी में रहने की उतनी जरूरत नहीं होती।

दिमाग हो जाता है धीमा : बैठे रहने की जीवनचर्या आपके दिमाग को भी धीमा कर देती है। व्यायाम आपके दिमाग में कई तरह के रसायन बनाता है जो विषाक्त तत्वों को खून में और यहां तक कि दिमाग में जाने से रोकता है। आपके मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर रखने के लिए क्रियाशील रहना बेहद जरूरी है।

बैठने का तरीका भी कर सकता है प्रभावित : बैठने का तरीका भी आपको काफी प्रभावित कर सकता है। इससे बचने के लिए आपको हर घंटे सीट से उठकर स्ट्रेचिंग करनी चाहिए। साथ ही जमीन पर लेटकर अपनी कमर को सीधा करना चाहिए।

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