COVID-19 Myths vs Facts: कोरोना वायरस से जुड़े कई मिथक सच मानते हैं भारतीय

COVID-19 Myths vs Facts इप्सोस ने सर्वे किया है जिसमें 9 मिथकों में से छह को सच मानने वालों में अन्य देशों के मुकाबले में भारतीयों की संख्या सर्वाधिक थी।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Sat, 11 Jul 2020 08:44 AM (IST) Updated:Sat, 11 Jul 2020 10:56 AM (IST)
COVID-19 Myths vs Facts: कोरोना वायरस से जुड़े कई मिथक सच मानते हैं भारतीय
COVID-19 Myths vs Facts: कोरोना वायरस से जुड़े कई मिथक सच मानते हैं भारतीय

नई दिल्‍ली, जेएनएन। COVID-19 Myths vs Facts कोरोना वायरस के सामने आने के बाद से ही दुनिया भर में अलग-अलग मिथक प्रचलन में आए हैं। बहुत से लोग इन मिथकों को सच मान लेते हैं। ऐसे लोगों में भारत के लोगों की संख्या बहुत अधिक है। इसे लेकर इप्सोस ने सर्वे किया है, जिसमें 9 मिथकों में से छह को सच मानने वालों में अन्य देशों के मुकाबले में भारतीयों की संख्या सर्वाधिक थी।

सर्वे में ‘लहसुन का सेवन कोविड-19 को रोकता है‘ जैसे मिथक शामिल किए गए। जिन्हें बहुत से लोग सही मानते हैं। स्टेटिस्टा के मुताबिक, भारत में सोशल मीडिया पर बड़ी संख्या में राजनीति और दूसरे विषयों को लेकर फेक न्यूज प्रसारित की जाती है और कोविड-19 भी इसका अपवाद नहीं है। यह सर्वे 16 देशों के 16 से 74 आयु वर्ग के लोगों के मध्य किया गया। इसमें इन इन देशों के 15,872 लोगों को शामिल किया गया।

पार्सल से फैल सकती है महामारी पर विश्वास: सर्वे के दौरान भारतीयों ने जिस मिथक पर सर्वाधिक विश्वास किया गया, उसमें ‘कोविड-19 प्रभावित देशों से आने वाले पार्सल से यह महामारी फैल सकती है’ पर राय जानी गई थी। 54 फीसद लोगों ने इस झूठ पर विश्वास जताया। वहीं दक्षिण अफ्रीका के 50 फीसद लोग भी यही मानते हैं। ‘हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन कोरोना वायरस का इलाज था’ और ‘सूर्य के संपर्क में आने से कोविड-19 को रोका जा सकता है’ जैसे मिथकों पर भी दुनिया के इन देशों के बहुत से लोगों ने भरोसा जताया है।

यहां पर जानकार निकले भारतीय: ऐसा नहीं है कि भारतीयों और दुनिया के दूसरे देशों के लोगों ने सिर्फ गलत बातों को ही ठीक समझा। बहुत से भारतीय ऐसे थे, जो दुनिया के दूसरे मुल्कों के मुकाबले में ज्यादा जानकार निकले। कोरोना वायरस सतह पर कितने समय तक जिंदा रह सकता है, जैसे विषय पर 74 फीसद भारतीयों ने कहा कि यह तीन दिन से ज्यादा जीवित नहीं रह सकता है। इसके साथ ही इटली, जर्मनी और दक्षिण कोरिया के उत्तरदाता इस मिथक को सामने लाने में अधिक सफल रहे।

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