कितना खतरनाक हो सकता है कोरोना का डेल्‍टा प्‍लस वेरियंट, अभी अंदाजा लगाना मुश्किल

एम्स एसोसिएट प्रोफेसर जैव रसायन विभाग डॉ सुभद्रदीप करमाकर ने कहा कि हर वेरिएंट एक अलग तरह की क्‍लीनिकल प्रतिक्रिया के साथ आता है। पिछले संस्करण में ऑक्सीजन का स्तर गिर रहा था लेकिन हमें नहीं पता कि डेल्टा प्लस स्वरूप आने वाले दिनों में किस तरह के परिणाम लाएगा।

By TilakrajEdited By: Publish:Tue, 22 Jun 2021 03:14 PM (IST) Updated:Tue, 22 Jun 2021 03:14 PM (IST)
कितना खतरनाक हो सकता है कोरोना का डेल्‍टा प्‍लस वेरियंट, अभी अंदाजा लगाना मुश्किल
राष्ट्रीय स्तर पर टेस्ट पॉजिटिविटी रेट में कमी आई है

नई दिल्‍ली, पीटीआइ। भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के नए मामलों में लगातार 15 दिनों में कमी देखी जा रही है। इस समय कोविड-19 के नए मामले 5 प्रतिशत से भी कम हैं। इसके मध्यनजर लॉकडाउन की पाबंदियां हटाई जा सकती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी लॉकडाउन की पाबंदियां हटाने की सिफारिश की थी। वहीं, दूसरी तरफ, विशेषज्ञ दूसरी लहर के खत्म होने की घोषणा करने से हिचक रहे हैं। देश में मंगलवार को नए कोविड-19 केस की संख्या 42,640 रही, जो पिछले 91 दिनों में सबसे कम है। साथ ही संक्रमण दर 3.21 प्रतिशत भी हो गई है। संक्रमण दर कम होने की वजह से ऐसा लगने लगा है कि कोरोना की दूसरी लहर खत्म होने ही वाली हो और यह प्रतिबंध हटाने का एक अच्छा समय है। हालांकि, विशेषज्ञों की मानें तो अभी हमें सावधानी बरतने की बेहद जरूरत है।

एम्स एसोसिएट प्रोफेसर, जैव रसायन विभाग डॉ सुभद्रदीप करमाकर ने कहा कि हर वेरिएंट एक अलग तरह की क्‍लीनिकल प्रतिक्रिया के साथ आता है। पिछले संस्करण में, ऑक्सीजन का स्तर गिर रहा था, लेकिन हमें नहीं पता कि डेल्टा प्लस स्वरूप आने वाले दिनों में किस तरह के परिणाम लाएगा। स्कूल ऑफ नेचुरल साइंसेज (एसओएनएस), शिव नादर विश्वविद्यालय, दिल्ली एनसीआर में एसोसिएट प्रोफेसर नागा सुरेश वीरापू ने कहा कि संक्रमण दर जितनी तेजी से बढ़ी, उतनी ही तेजी से गिर गई। जैसा पहले ही विशेषज्ञों ने बताया था। हमें डेल्टा वेरिएंट से भी सावधान रहने की जरूरत है।

प्रोफेसर नागा सुरेश वीरापू ने आगे कहा कि इस साल फरवरी में भारत ने पहली लहर के अंत का जश्न मना रहा था और दूसरी लहर को नजरअंदाज कर दिया था। सार्वजनिक नीति विशेषज्ञ चंद्रकांत लहरिया ने कहा कि जहां मामले कम हो रहे हैं, वहीं मामलों की संख्या अभी भी बहुत ज्यादा है।

दिल्ली के फिजिशियन-एपिडेमियोलॉजिस्ट और हेल्थ सिस्टम्स एक्सपर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर टेस्ट पॉजिटिविटी रेट में कमी आई है, लेकिन अभी भी कई जिले ऐसे हैं जहां टीपीआर 5 फीसदी से ऊपर है। उन्होंने आगे कहा कि दूसरी लहर खत्म हो गई है ये मानने से पहले हमें टीपीआर के 5 प्रतिशत से नीचे आने देना चाहिए।

वैज्ञानिक गौतम मेनन ने लहरिया से सहमति जताते हुए कहा कि केरल जैसे कुछ राज्यों में अभी सकारात्मकता दर 5 प्रतिशत से अधिक देखी जा रही है। उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि क्या यह अन्य राज्यों की तुलना में बेहतर परीक्षण को दर्शाता है या यदि वहां स्थिति में अभी भी सुधार होना है।

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