Positive India: इस तरह के सरफेस पर जिंदा नहीं रहेगा कोरोना का वायरस, आईआईटी के शोधकर्ताओं ने सुझाया

कोरोना से प्रभावित किसी व्यक्ति का ड्रापलेट अगर सरफेस पर गिरता है तो वह बीमारी फैलाने का संभावित और प्रबल स्रोत हो सकता है। इसे बीमारी फैलने का फॉर्माइट रुट जाना जाता है। इसमें ड्रापलैट का जलीय तत्व वायरस के जीवित रहने का कारण बनता है।

By Vineet SharanEdited By: Publish:Thu, 06 May 2021 11:31 AM (IST) Updated:Thu, 06 May 2021 05:01 PM (IST)
Positive India: इस तरह के सरफेस पर जिंदा नहीं रहेगा कोरोना का वायरस, आईआईटी के शोधकर्ताओं ने सुझाया
वायरस को किसी सतह पर मारने के लिए माइक्रोटेक्सचर बनाने होंगे। इन सरफेस को एंटीवायरल सरफेस कहा जाता है।

नई दिल्ली, अनुराग मिश्र। आईआईटी मुंबई के शोधकर्ताओं के ऐसे सरफेस को सुझाया है जिसमें कोरोना प्रभावित व्यक्ति का ड्रापलेट बेहद जल्दी मर जाएगा। जैसा कि हम जानते हैं कि कोरोना से प्रभावित किसी व्यक्ति का ड्रापलेट अगर सरफेस पर गिरता है तो वह बीमारी फैलाने का संभावित और प्रबल स्रोत हो सकता है। इसे बीमारी फैलने का फॉर्माइट रुट जाना जाता है। इसमें ड्रापलैट का जलीय तत्व वायरस के जीवित रहने का कारण बनता है।

ड्रापलेट का लाइफ स्पैन इस बात का कारक होता है कि सतह वायरस को कितना फैलाएगी। हालांकि 99.9 फीसदी ड्रापलेट लिक्विड कुछ मिनट में ही उड़ जाता है। एक थिन फिल्म (पानी की हल्की परत) जीवित रहती है। यह पानी की परत जल्दी सूखती नहीं है। जिससे वायरस के जीवित रहने की संभावना रहती है। यह थिन फिल्म आंखों से दिखाई नहीं देती है। इन सब बातों के आधार पर एक प्रश्न उठता है कि क्या किसी ऐसे सरफेस को डिजाइन किया जा सकता है जो वायरस के जीवित रहने के समय को कम कर सकें। आईआईटी के शोधकर्ताओं ने इसका हल खोज निकाला है। शोधकर्ताओं का कहना है कि एक उत्कृष्ट रूप से डिजाइन की गई सतह तेजी से वायरल लोड का क्षय करेगी, जिससे वायरस के प्रसार होने की संभावना कम हो जाएगी।

ऐसी होनी चाहिए सतह

आईआईटी मुंबई के शोधकर्ता रजनीश भारद्वाज का कहना है कि हमारे शोध में सामने आया है कि माइक्रोटेक्सचर सरफेस पर वायरस मौजूदा सरफेस की तुलना में कम देर तक जिंदा रहेगा। इस पर ड्रापलेट जल्दी सूख जाती है। उदाहरण के तौर पर यदि स्मूथ सरफेस पर वायरस 12 घंटे तक जीवित रहता है तो माइक्रोटेक्सचर सरफेस पर यह छह घंटे तक जीवित रहेगा। इस बात को एक कमल के पत्ते के उदाहरण से समझ सकते हैं। कमल के पत्ते की सतह माइक्रोटेक्सचर होती है इसलिए यह हमेशा साफ रहता है। यही नहीं इसकी सतह बेहद जल्दी सूखती है। मोटे तौर पर कहा जाए तो वायरस को किसी सतह पर मारने के लिए माइक्रोटेक्सचर बनाने होंगे। इन सरफेस को एंटीवायरल सरफेस कहा जाता है।

उन्होंने बताया कि भौतिक विज्ञान के संदर्भ में, सॉलिड लिक्विड इंटरफेसियल एनर्जी को हमारे द्वारा प्रस्तावित सरफेस इंजीनियरिंग के कांबीनेशन से बढ़ाया जा सकता है। इससे पतली फिल्म के पतली फिल्म के भीतर आसन्न दबाव बढ़ेगा। इससे पतली फिल्म के सूखने की गति तेज होगी।

किस तरह के माइक्रोटेक्सचर बेहतर

रजनीश भारद्वाज ने बताया कि लंबे और कम दूरी वाली माइक्रोटेक्सचर सतह सबसे अधिक प्रभावी होती है। लंबे और दूर-दूर दूरी वाली सरफेस इसके मुकाबले कम प्रभावशाली होती है। छोटी और दूर-दूर वाली सतह इन दोनों के मुकाबले कम असरकारक होती है।

इन सरफेस पर इतने समय तक जिंदा रहता है वायरस

आईआईटी मुंबई के कुछ दिन पहले किए गए शोध के अनुसार पोरस सरफेस जैसे कि पेपर और कपड़े में वायरस कम समय तक जिंदा रहता है। इन सतह पर वायरस कुछ घंटों तक ही जिंदा रहता है। वहीं ग्लास, स्टैनलेस स्टील और प्लास्टिक में वायरस क्रमश: चार, सात और सात दिन जिंदा रहता है। पेपर पर वायरस तीन घंटे से कम समय तक ही जीवित रहता है। कपड़ों में यह वायरस दो दिन तक जीवित रहता है। 

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