पूर्ण राज्य के दर्जे के बाद जम्मू-कश्मीर में हों निष्पक्ष चुनाव: कर्ण सिंह

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कर्ण सिंह ने जम्मू-कश्मीर में आम नागरिकों की हत्या और सुरक्षाकर्मियों के शहीद होने पर दुख प्रकट करते हुए कहा कि वहां पूर्ण राज्य के दर्जे की बहाली के साथ निष्पक्ष चुनाव कराए जाने चाहिए।

By Pooja SinghEdited By: Publish:Thu, 14 Oct 2021 01:07 AM (IST) Updated:Thu, 14 Oct 2021 07:35 AM (IST)
पूर्ण राज्य के दर्जे के बाद जम्मू-कश्मीर में हों निष्पक्ष चुनाव: कर्ण सिंह
पूर्ण राज्य के दर्जे के बाद जम्मू-कश्मीर में हों निष्पक्ष चुनाव: कर्ण सिंह

नई दिल्ली, प्रेट्र। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कर्ण सिंह ने जम्मू-कश्मीर में आम नागरिकों की हत्या और सुरक्षाकर्मियों के शहीद होने पर दुख प्रकट करते हुए कहा कि वहां पूर्ण राज्य के दर्जे की बहाली के साथ निष्पक्ष चुनाव कराए जाने चाहिए। जम्मू-कश्मीर के पहले सदर-ए-रियासत और फिर राज्यपाल रहे कर्ण सिंह ने केंद्र शासित प्रदेश में राजनीतिक प्रक्रिया जल्द शुरू करने पर जोर दिया।

उन्होंने कहा कि उप राज्यपाल और प्रशासन बहुत अच्छा प्रयास कर रहे हैं, लेकिन ये निर्वाचित विधायिका और सरकार का विकल्प नहीं बन सकते हैं। उन्होंने एक बयान में कहा कि परिसीमन की प्रक्रिया लंबी नहीं खिंचनी चाहिए और परिसीमन आयोग को अपना काम पूरा करने के लिए खुद समयसीमा तय करनी चाहिए।

पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल होने के बाद निष्पक्ष एवं स्वतंत्र चुनाव कराने की प्रक्रिया आरंभ हो सकती है। हम कुछ महीनों के भीतर स्थिर सरकार की उम्मीद कर सकते हैं। बता दें, कश्मीर में आतंकवादियों ने बीते दिनों सात लोगों की हत्या की है जिनमें चार लोग गैर मुस्लिम थे।

1984 दंगा बहुत ही वीभत्स था। यह दंगा देश की राजधानी दिल्ली के ऊपर हमेशा के लिए एक धब्बा रहेगा, जिसे कभी हटाया नहीं जा सकता। ये बातें कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डा. कर्ण सिंह ने कहीं। मौका था प्रभा खेतान फाउंडेशन की ओर से एक मुलाकात कार्यक्रम का। इसके आयोजन में सहभागी रहा दैनिक जागरण, दिनेश नंदिनी रामकृष्ण डालमिया फाउंडेशन और अहसास वूमन आफ दिल्ली।

आनलाइन कार्यक्रम में लेखिका लेडी मोहिनी केंट संग बातचीत के दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डा. कर्ण सिंह ने विभिन्न विषयों पर विस्तार से चर्चा की। बातचीत में विभाजन की विभीषिका के दौरान मानवीय व्यवहार पर डा. कर्ण सिंह ने कहा कि वो हिंसा का चरम था। दंगों के दौरान मानवीयता भुला दी गई थी। लोग एक-दूसरे के खिलाफ हिंसक हुए। इसी तरह 1984 के दंगों के दौरान मैं दिल्ली में था। दंगा दिल्ली के ऊपर हमेशा एक धब्बे की तरह रहेगा।

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