अयोध्या मामले पर विवादास्पद बयान देकर फंसे ओवैसी, कोर्ट में परिवाद दायर
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद विवादास्पद बयान देने वाले हैदराबाद के सांसद व एआइएमआइएम नेता असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ सोमवार को इंदौर जिला कोर्ट में परिवाद दायर किया गया।
इंदौर, जेएनएन। हैदराबाद के सांसद व एआइएमआइएम नेता असदुद्दीन ओवैसी कि मुस्किलें कम होने की नाम नहीं ले रही है। विवादास्पद बयान को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहने वाले अोवैसी अब अपने टिप्पणी से ही फंसते नजर आ रहे हैं। अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद विवादास्पद बयान देने वाले हैदराबाद के सांसद व एआइएमआइएम नेता असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ देश भर में कई जगहों पर वाद दायर किया गया है। ताजा मामला सोमवार को इंदौर जिला कोर्ट में परिवाद दायर किया गया। कोर्ट ने पुलिस को इस मामले में जांच कर प्रतिवेदन प्रस्तुत करने को कहा है।
परिवाद एडवोकेट सुनील वर्मा ने दायर किया है। इसमें कहा गया है कि ओवैसी द्वारा सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर विवादित टिप्पणी करने से सांप्रदायिक विद्वेष फैलने का खतरा पैदा हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम समाज को अयोध्या में ही वैकल्पिक स्थान पर पांच एकड़ जमीन देने को कहा है। ओवैसी ने इस पर कहा था कि मुस्लिम समाज को खैरात में जमीन नहीं चाहिए। इसके अलावा भी ओवैसी ने कई विवादास्पद टिप्पणियां की थीं। इसलिए ओवैसी के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया जाए। वर्मा ने ओवैसी के इस बयान के खिलाफ याचिका भी सुप्रीम कोर्ट भेजी है।
थाने में की शिकायत
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद औवेसी द्वारा भड़काऊ भाषण देने और सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के प्रति मुस्लिमों को बरगलाने के आरोप में एफआइआर दर्ज करने के लिए भोपाल के जहांगीराबाद थाने में कुछ लोगों ने लिखित शिकायत की है। पुलिस मामले की जांच करेगी। बताया गया है कि फेसबुक पर औवेसी के वायरल वीडियो में आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग किया गया। शिकायतकर्ताओं द्वारा फेसबुक का लिंक भी पुलिस को दिया गया है।अधिवक्ता पवन कुमार ने भोपाल के जहांगीराबाद पुलिस थाने में ओवैसी पर राजद्रोह और धर्म विशेष के लोगों को भड़काने का आरोप लगाते हुए एफआइआर दर्ज करने की मांग की है। वकील का कहना है कि ओवैसी के बयान से लोगों की भावनाएं भी आहत हुई हैं।
ओवैसी ने दिया था ये बयान
दरअसल अयोध्या मामले में ओवैसी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बयान देते हुए कहा था कि वह मुस्लिम पसर्नल लॉ बोर्ड की तरह इससे सहमत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट से भी चूक हो सकती है। अगर वहां मस्जिद रहती तो कोर्ट क्या फैसला लेती। यह कानून के खिलाफ है। हमें देश के संविधान पर भरोसा है। हम अपने अधिकार के लिए लड़ रहे थे। पांच एकड़ जमीन की खैरात की जरुरत नहीं है।