सामुदायिक रसोई मामला: सुप्रीम कोर्ट ने हलफनामा दाखिल नहीं करने वाले राज्‍यों पर जुर्माना बढ़ाया

सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में सामुदायिक रसोइयां बनाए जाने के मामले में दिल्ली महाराष्ट्र मनीपुर ओड़िशा और गोवा पर जुर्माना राशि बढ़ाकर 10 लाख रुपये कर दिया है।

By TaniskEdited By: Publish:Mon, 17 Feb 2020 12:29 PM (IST) Updated:Mon, 17 Feb 2020 12:29 PM (IST)
सामुदायिक रसोई मामला: सुप्रीम कोर्ट ने हलफनामा दाखिल नहीं करने वाले राज्‍यों पर जुर्माना बढ़ाया
सामुदायिक रसोई मामला: सुप्रीम कोर्ट ने हलफनामा दाखिल नहीं करने वाले राज्‍यों पर जुर्माना बढ़ाया

नई दिल्ली, एएनआइ। सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में सामुदायिक रसोइयां बनाए जाने के मामले में हलफनामा दाखिल नहीं करने पर दिल्ली, महाराष्ट्र, मनीपुर ओड़िशा और गोवा पर जुर्माने को बढ़ाकर 10 लाख रुपये कर दिया है। बता दें कि कोर्ट ने पिछले हफ्ते हलफनामा दाखिल नहीं करने पर इन राज्यों पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया था। राज्यों ने ये जुर्माना राशि जमा नहीं कराई। इसके बाद कोर्ट ने आज यह फैसला लिया।

साथ ही न्यायमूर्ति एनवी रमना की पीठ ने कई राज्यों द्वारा अनुरोध किए गए जुर्माने को माफ करने से भी इन्कार कर दिया। केंद्र सरकार ने कहा है कि वह मामले में एक अतिरिक्त हलफनामा दायर करेगी।

पिछले हफ्ते, सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि केवल 7 राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों ने खाद्य सुरक्षा और सामुदायिक रसोई मामले में हलफनामा दायर किया है। इनमें अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, कर्नाटक, पंजाब, उत्तराखंड, झारखंड, नागालैंड और जम्मू और कश्मीर शामिल हैं। 

क्या है मामला

एक जनहित याचिका दायर करके देश में भुखमरी की समस्या से निपटने के लिए राज्यों को सामुदायिक रसोई बनाने का निर्देश देने की मांग की गई है। अदालत ने 18 अक्टूबर को सामुदायिक रसोई स्थापित करने के पक्ष में कहा था कि देश को भूखमरी की समस्या से निपटने के लिए इस तरह की व्यवस्था की जरूरत है। कोर्ट ने केंद्र और सभी राज्यों को इसे लेकर नोटिस जारी किए थे और सामुदायिक रसोई स्थापित करने के प्रस्ताव पर उनसे प्रतिक्रियाएं मांगी थीं।

पांच साल से कम उम्र के कई बच्चे हर दिन भूख और कुपोषण से मरते हैं 

याचिका में आरोप लगाया गया है कि पांच साल से कम उम्र के कई बच्चे हर दिन भूख और कुपोषण के कारण मर जाते हैं। यह स्थिति मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है, जिसमें नागरिकों के भोजन और जीवन का अधिकार शामिल है। इसमें तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, उत्तराखंड, ओडिशा, झारखंड, और दिल्ली में चल रही सामुदायिक रसोइयां का जिक्र है, जहां रियायती दरों पर स्वच्छ भोजन परोसा जाता है।

केंद्र को भी नोटिस

न्यायमूर्ति एनवी रमना की अगुवाई वाली पीठ ने पिछली बार सुनवाई के दौरान कहा कि अगले 24 घंटे में हलफनामा दायर करने वाले राज्यों को एक-एक लाख रुपये जुर्माना देने होंगे। कोर्ट ने इस दौरान केंद्र को भी नोटिस जारी करके जवाब मांगा था। राज्यों से भी जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया गया था। 

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