MSP of Kharif crops: आयोग ने केंद्र सरकार को खरीफ फसलों की एमएसपी बढ़ाने का दिया सुझाव

कृषि लागत और मूल्य आयोग ने केंद्र सरकार को आगामी खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 2-13 प्रतिशत तक बढ़ाने का सुझाव दिया है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Mon, 25 May 2020 06:32 PM (IST) Updated:Mon, 25 May 2020 06:32 PM (IST)
MSP of Kharif crops: आयोग ने केंद्र सरकार को खरीफ फसलों की एमएसपी बढ़ाने का दिया सुझाव
MSP of Kharif crops: आयोग ने केंद्र सरकार को खरीफ फसलों की एमएसपी बढ़ाने का दिया सुझाव

नई दिल्ली (एजेंसी)। कृषि लागत और मूल्य आयोग ने केंद्र सरकार को आगामी खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 2-13 प्रतिशत तक बढ़ाने का सुझाव दिया है। आयोग के मुताबिक कोरोना महामारी से कृषि जिंसों की मांग घटी है। ऐसे में एमएसपी बढ़ाकर किसानों के लिए बेहतर रिटर्न पक्की की जा सकती है।

आयोग ने की तिल की एमएसपी में सबसे जयादा बढ़ोत्तरी

आयोग ने सामान्य और ए ग्रेड धान की एमएसपी 53 रुपये बढ़ाकर 1,868-1,888 रुपये प्रति क्विंटल करने का सुझाव दिया है। तिल की एमएसपी में सबसे जयादा बढ़ोत्तरी की सिफारिश की गई है। इस तिलहन का समर्थन मूल्य 755 रुपये बढ़ाकर 6,695 रुपये करने का सुझाव दिया गया है। दूसरी तरफ मूंग की एमएसपी में सबसे कम बढ़ोत्तरी की सलाह दी गई है। इस दलहन की एमएसपी 146 रुपये बढ़ाकर 7,196 रुपये प्रति क्विंटल करने का सुझाव दिया गया है।

आयोग के पैनल ने दलहन की एमएसपी 146-300 रुपये बढ़ाने की सिफारिश की

आयोग के पैनल ने दलहन की एमएसपी 146-300 रुपये बढ़ाने की सिफारिश की है, जबकि खरीफ तिलहन के मामले में 170--235 रुपये बढ़ोत्तरी का सुझाव दिया गया है। सरकार आयात पर निर्भरता कम करने के मकसद से किसानों को तिलहन और दलहन की खेती के लिए प्रोत्साहित करने की कोशिश कर रही है। पैनल की सिफारिशें उत्पादन लागत की 1.5 गुना एमएसपी तय करने के अनुरूप हैं, जो 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य हासिल करने में सरकार की मदद करेगा। सरकार 22 खरीफ और रबी फसलों की एमएसपी तय करती है।

हटेगी स्टॉक होल्डिंग सीमा 

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले हफ्ते घोषणा की थी कि सरकार अनाज, दलहन, तिलहन, प्याज और आलू को स्टॉक होल्डिंग सीमा से हटाने के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन करेगी। इस संशोधन से कृषि क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने और इसे प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद मिलेगी। माना जा रहा है कि इससे किसानों के लिए बेहतर कीमतें भी सुनिश्चित होंगी।

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