नाबालिग से दुष्कर्म और दोहरे हत्याकांड में तीन दिन बाद होनी थी फांसी, सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक...
साल 2010 में मनोहरन और उसके साथी ने नाबालिग बच्ची और उसके सात वर्षीय भाई को एक मंदिर के बाहर से अगवा कर लिया था।
नई दिल्ली, पीटीआइ। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कोयंबटूर दोहरे हत्याकांड के दोषी की मौत की सजा के अमल पर 16 अक्टूबर तक रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने दुष्कर्म और दोहरे हत्याकांड के इस अपराधी की सजा पर पिछले महीने मुहर लगाई थी और 20 सितंबर को उसकी मौत की सजा पर अमल होना था।
मनोहरन को एक नाबालिग बच्ची से दुष्कर्म करने और उसके तथा उसके छोटे भाई की हत्या करने के जुर्म में मौत की सजा सुनाई गई है। शीर्ष अदालत ने पिछले महीने ही एक के मुकाबले दो के बहुमत से मनोहरन की मौत की सजा की पुष्टि की थी। मनोहरन की मौत की सजा को बरकरार रखते हुए कहा था कि यह अपराध दुर्लभतम (Rarest of Rare) श्रेणी में आता है।
न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने शीर्ष अदालत के एक अगस्त के फैसले पर पुनर्विचार के लिए दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए मनोहरन की मौत की सजा के अमल पर रोक लगाई। मनोहरन की वकील ने दलील दी कि वह इस मामले में बहस करने से पहले निचली अदालत में रखे इस मुकदमे के रिकार्ड का निरीक्षण करना चाहती हैं।
दोषी की वकील को अंतिम अवसर
पीठ ने दोषी की वकील को अंतिम अवसर देते हुए स्पष्ट किया कि उन्हें इस मामले में 16 अक्टूबर को बहस करनी होगी, क्योंकि यह मौत की सजा से संबंधित मामला है। दोषी की वकील ने न्यायालय से कहा कि इस मामले में सात वकील बदले गए जिसकी वजह से निचली अदालत से लेकर शीर्ष अदालत तक दोषी का सही तरीके से प्रतिनिधित्व नहीं हुआ।
जहर देकर मारने की कोशिश
बता दें कि 29 अक्टूबर, 2010 को मनोहरन और सह-अभियुक्त मोहनकृष्णन ने नाबालिग बच्ची और उसके सात वर्षीय भाई को एक मंदिर के बाहर से अगवा कर लिया था, जब दोनों स्कूल जा रहे थे। उन्होंने बच्ची के साथ दुष्कर्म किया और दोनों को जहर देकर मारने की कोशिश की। इसके बाद आरोपियों ने दोनों नाबालिगों को नहर में फेंक दिया, जहां वे डूब गए।