महासागरों में चीन की बढ़ती सक्रियता के खिलाफ ठोस रूप ले सकता है चार देशों का गठबंधन

सिंगापुर में पीएम की अमेरिकी उपराष्ट्रपति, आस्ट्रेलियाई पीएम के साथ साथ वार्ता में रणनीतिक साझेदारी को ठोस रूप देने पर हुआ विचार

By TaniskEdited By: Publish:Wed, 14 Nov 2018 09:22 PM (IST) Updated:Wed, 14 Nov 2018 09:22 PM (IST)
महासागरों में चीन की बढ़ती सक्रियता के खिलाफ ठोस रूप ले सकता है चार देशों का गठबंधन
महासागरों में चीन की बढ़ती सक्रियता के खिलाफ ठोस रूप ले सकता है चार देशों का गठबंधन

नई दिल्ली, ब्यूरो। हिंद और प्रशांत महासागर में चीन की बढ़ती गतिविधियों को लेकर दो वर्ष पहले भारत, अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया के बीच एक गठबंधन बनाने की जो सोच थी उसे ज्यादा ठोस रूप लेते हुए देखा जा सकता है।पीएम नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भारत भी अब इन देशों के गठबंधन को लेकर एक स्पष्ट नीति अख्तियार करते हुए दिख रहा है। यही वजह है कि सिंगापुर में अपने दो दिवसीय दौरे के दौरान पीएम मोदी ने इन देशों के साथ उच्चस्तरीय वार्ता की जिसे दुनिया भर के विशेषज्ञ भावी गठबंधन की तैयारियों के तौर पर देख रहे हैं।

पीएम मोदी की बुधवार को सिंगापुर में अमेरिका के उप राष्ट्रपति माइकल पेंस और आस्ट्रेलिया के पीएम स्कॉट मॉरीसन के साथ हुई द्विपक्षीय वार्ता मे हिद-प्रशांत महासागर का मुद्दा सबसे अहम रहा।

मोदी और पेंस के बीच हुई वार्ता के बारे में अमेरिकी सरकार की तरफ से जारी यह जानकारी में बताया गया कि दोनों नेताओं के बीच अमेरिका भारत रणनीतिक साझेदारी पर बात हुई और हिंद-प्रशांत क्षेत्र को सभी के लिए खुला रखने के साझा उद्देश्य पर भी विमर्श हआ। दोनों देशों के बीच सुरक्षा संबंधों को और मजबूत बनाने से जुड़े मुद्दों पर भी चर्चा हुई है। इसी तरह से आस्ट्रेलिया के नवनियुक्त पीएम से मिलने के बाद मोदी ने ट्वीट किया कि मॉरीसन के साथ उनकी बातचीत में आर्थिक, सांस्कृतिक और सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर खासतौर पर चर्चा हुई।

सरकारी अधिकारियो का कहना है कि पीएम मोदी की सिंगापुर के पीएम ली हेन लूंग के साथ मुलाकात में भी हिंद-प्रशांत क्षेत्र का मुद्दा बेहद अहम रहा। पीएम मोदी की उक्त दोनों नेताओं के साथ शीर्षस्तरीय वार्ता के अलावा चारों देशों के विशेष प्रतिनिधयों की भी अलग से मुलाकात हो रही है।

सूत्रों का कहना है कि चारों देशों ने जिस तरह से लगातार दूसरी बार ईस्ट आसियान समिट के दौरान इस बैठक को आयोजित करने का फैसला किया है उसके अपने मायने हैं। चारों देशों ने पहली बार मनीला में आयोजित ईस्ट एशिया समिट में इस तरह की एक बैठक आयोजित की थी।

सूत्रों के मुताबिक चारों देशों के बीच इस बात को लेकर सहमति बनी है कि अब इस नए गठबंधन को जमीनी तौर पर उतरने की रणनीति बननी चाहिए। इसके लिए दो मुख्य मुद्दे हैं जिन पर बातचीत की जा रही है। इसमें पहला है वैश्विक कनेक्टिविटी परियोजनाओं को साथ मिल कर आगे बढ़ाना। इस बारे में पिछले दिनों पीएम मोदी ने जापान के पीएम शिंजो एबी से भी बात की थी। इस समूचे क्षेत्र में चीन जिस तरह से बंदरगाह, सड़क व अन्य बुनियादी सुविधाओं का विकास कर रहा है उसे देखते हुए इस गठबंधन में शामिल चारों देश समग्र तौर पर एक रणनीति बनाने की बात कर रहे हैं।

भारत-अमेरिका-जापान के बीच होने वाले संयुक्त सैन्य अभ्यास में आस्ट्रेलिया को शामिल करना दूसरा मुद्दा है। सैन्य अभ्यास में आस्ट्रेलिया को शामिल किया जाएगा या नहीं, इस पर निश्चित तौर पर अभी फैसला होने के आसार नहीं है।

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