विवादों के समाधान के लिए कोर्ट में जाने के लिए बनाएं आखिरी विकल्प, मुख्य न्यायाधीश रमना की सलाह
मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने व्यापार जगत से अपने विवाद न्यायालय के बाहर निपटाने को प्राथमिकता देने का आह्वान किया है। उनका कहना है कि किसी विवाद का न्यायालय में समाधान का विकल्प आखिरी होना चाहिए। पढ़ें रिपोर्ट...
नई दिल्ली, आइएएनएस। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने व्यापार जगत से अपने विवाद न्यायालय के बाहर निपटाने को प्राथमिकता देने का आह्वान किया है। कहा है कि किसी विवाद का न्यायालय में समाधान का विकल्प आखिरी होना चाहिए। इससे पहले किसी को मध्यस्थ बनाकर या समझौता कर या पंचायत के जरिये विवाद के समाधान की कोशिश होनी चाहिए। जस्टिस रमना ने यह बात इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन एंड मीडिएशन सेंटर, हैदराबाद में आयोजित समारोह में कही।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, कारोबार में विचारों की भिन्नता का समाधान बातचीत के जरिये होना सबसे अच्छा विकल्प है। इसमें दोनों पक्षों को किसी ऐसे व्यक्ति की मदद लेने से नहीं हिचकना चाहिए जो दोनों पक्षों के हितों को ध्यान में रखते हुए बीच का रास्ता निकालने में सक्षम हो। इस तरह के व्यक्ति कई हो सकते हैं जिन पर दोनों पक्षों को विश्वास हो। जब इन तरीकों से विवाद न सुलझे तब मामले को न्यायालय में ले जाना चाहिए। जस्टिस रमना ने कहा कि कानूनी पेशे में विभिन्न भूमिकाओं में 40 वर्ष से ज्यादा गुजारने के बाद उनकी यह राय है।
जस्टिस रमना ने कहा, विवाद के निपटारे के आखिरी विकल्प के रूप में न्यायालय का इस्तेमाल करना चाहिए। यह सलाह वह इसलिए दे रहे हैं कि बातचीत के जरिये विवादों के समाधान से रिश्ते बने रहते हैं जबकि न्यायालय में जाने से कटुता पैदा होने का खतरा होता है।
जस्टिस रमना ने कहा, हमारे नित्य प्रति के जीवन में अक्सर विचारों का टकराव होता है, कभी परिवार में, कभी कारोबार में और कभी नौकरी में। कोई भी व्यक्ति विवादों के बिना जीवन जीने की कल्पना नहीं कर सकता। विवाद मनुष्य के जीवन का हिस्सा हैं। हमें इन विवादों के छोटे दायरे में समाधान पर विचार करना चाहिए। प्रत्येक विवाद का एक सही समाधान होता है। इसी सही समाधान की तलाश में प्रयास करना चाहिए। इसके लिए हमें अपने अहंकार, भावनाएं और अधीरता को काबू करना चाहिए, व्यवहारिक नजरिया अंगीकार करना चाहिए।