डोकलाम विवाद के बाद चीन ने LAC पर दिखाए नापाक इरादे, तीन साल में दोगुनी की रक्षा तैनाती

India China Tension चीन ने डोकलाम विवाद के बाद एलएसी पर 13 नए सैन्य ठिकानों के निर्माण का काम शुरू किया। इसमें तीन सैन्य हवाई अड्डे पांच स्थाई रक्षा तैनातियां और पांच हेलीपोर्ट को भी शामिल किया गया है।

By Shashank PandeyEdited By: Publish:Wed, 23 Sep 2020 09:22 AM (IST) Updated:Wed, 23 Sep 2020 09:22 AM (IST)
डोकलाम विवाद के बाद चीन ने LAC पर दिखाए नापाक इरादे, तीन साल में दोगुनी की रक्षा तैनाती
बीते 3 साल में तीन सैन्य हवाई अड्डे, पांच स्थाई रक्षा तैनातियां और 5 हेलीपोर्ट शामिल।

नई दिल्ली, प्रेट्र। India China Tension, साल 2017 में भारत और चीन के बीच डोकलाम तनाव के बाद से वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के करीब चीन ने कम से कम 13 नए सैन्य ठिकानों के निर्माण का काम शुरू कर दिया है। इसमें तीन सैन्य हवाई अड्डे, पांच स्थाई रक्षा तैनातियां और पांच हेलीपोर्ट शामिल हैं। ग्लोबल सिक्योरिटी कंसल्टेंसी स्ट्रैटेजिक की रिपोर्ट के मुताबिक चार नए हेलीपोर्ट पर निर्माण कार्य तभी शुरू हुआ जब मई की शुरुआत में पूर्वी लद्दाख पर चीनी सेना के साथ भारत का तनाव बढ़ा है।

डोकलाम प्रकरण के बाद से चीन ने अपनी रणनीति बदल ली है. इसके चलते पिछले तीन सालों में चीन ने अपने वायुसैनिक अड्डों, वायुसैनिक स्थितियों और हेलीपोर्टों की तादाद दोगुनी कर ली है। रक्षा विशेषज्ञ सिम टैक की तैयार की गई रिपोर्ट में मंगलवार को बताया गया कि चीन के निर्माण परियोजनाओं के अभियान भविष्य की सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने की झलक भर हैं। ऐसे में साफ है कि वह भारत के साथ लंबे समय तक क्षेत्रीय तनाव बरकरार रखना चाहता है।यह तनाव भारत समेत दो देशों के दायरे से बाहर भी जा सकता है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि हाल में भारतीय वायुसेना का राफेल युद्धक विमान हासिल करना वाकई एक बड़ी राहत है, पर भारत को भविष्य में भी और घातक हथियारों को हासिल करना होगा और उनका उत्पादन करना होगा। चूंकि डोकलाम के बाद से चीन की यह रणनीति है कि वह भारत को समक्ष सैन्य घेराबंदी का ऐसा व्यूह रचे जिसका तोड़ भारत के पास बिल्कुल भी न हो। इससे चीन अपनी सेना को उन इलाकों में भी आगे बढ़ा सकेगा जहां सीमा पर विवाद है। दक्षिण चीन सागर में भी चीन की यही रणनीति रही है। पेंगांग झील में कब्जे की नाकाम कोशिश के बाद भारत और चीन की सेनाएं पूर्वी लद्दाख में पांच मई के बाद बढ़ा दी गई हैं।

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