Chhattisgarh: कोरोना के बढ़ते मामलों का भय छोड़ टीका लगवाने में आदिवासी सबसे आगे

बस्तर और सरगुजा के आदिवासी बाहुल गांवों में 100 फीसद टीकाकरण ने बढ़ाई उम्मीद। छत्तीसगढ़ के शहरी क्षेत्र की तुलना में इन ग्रामीण क्षेत्रों में न सिर्फ लोग आगे आकर टीका लगवा रहे हैं बल्कि स्वास्थ्य कर्मी भी अपनी पहल से लोगों तक पहुंच रहे हैं।

By Nitin AroraEdited By: Publish:Tue, 27 Apr 2021 08:27 PM (IST) Updated:Tue, 27 Apr 2021 08:27 PM (IST)
Chhattisgarh: कोरोना के बढ़ते मामलों का भय छोड़ टीका लगवाने में आदिवासी सबसे आगे
Chhattisgarh: कोरोना के बढ़ते मामलों का भय छोड़ टीका लगवाने में आदिवासी सबसे आगे

रायपुर, जेएनएन। छत्तीसगढ़ के आदिवासी इलाकों में भले ही कोरोना के मरीजों की संख्या ज्यादा हो, लेकिन वैक्सीन (टीका) लगवाने वालों का जज्बा कम नहीं है। आदिवासी इलाकों में पहाड़ों और नदियों को पार कर वैक्सीनेटर पहुंच रहे हैं और घर-घर जाकर वैक्सीन लगा रहे हैं। आदिवासी बहुल जिलों के जिन गांवों में नेटवर्क, सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं है, वहां के ग्रामीणों ने जागरूकता की मिसाल पेश की है।

बस्तर से लेकर सरगुजा तक इन आदिवासियों से शहरी लोगों को सीख लेनी चाहिए कि कैसे अपने जीवन में संकट के समय संयम के साथ समझदारी दिखानी चाहिए। रायगढ़ के धरमजयगढ़ में भले ही एक हजार से ज्यादा सक्रिय मामले है, लेकिन भरोसे का टीका लगवाने का जोश लोगों में नजर आ रहा है। छत्तीसगढ़ के शहरी क्षेत्र की तुलना में इन ग्रामीण क्षेत्रों में न सिर्फ लोग आगे आकर टीका लगवा रहे हैं, बल्कि स्वास्थ्य कर्मी भी अपनी पहल से लोगों तक पहुंच रहे हैं। धरमजयगढ़ से 35 किलोमीटर दूर पहाड़ी पर एक गांव चल्हा है, जहां 45 वर्ष से ज्यादा आयुवर्ग के सभी लोगों को पहला टीका लग गया है। प्रदेश में यह पहला गांव है, जहां टीका के लिए तय सभी लोगों को टीका लगा दिया गया है।

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की मानें तो गांव से टीकाकरण केंद्र दूर होने के कारण गांव के सचिव ने लोगों को अपनी मोटर साइकिल से पहुंचाने का काम किया। सचिव की पहल के बाद गांव के लोग भी आगे आए और 450 लोगों को टीका लगवाया। यहीं के उप स्वास्थ्य केंद्र में पाराघाटी में पदस्थ कर्मचारी संतोष घोष का जज्बा भी देखने वाला था। संतोष पिछले तीन साल से कैंसर से पीडि़त हैं। संतोष ने अपनी जान की परवाह किए बिना न सिर्फ लोगों को टीका लगाया, बल्कि गांव के लक्षण वाले मरीजों की एंटीजन जांच भी की। रायगढ़ के पहाड़ी कोरवा परिवार भी टीकाकरण को लेकर जागरूक हैं। राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले पहाड़ी कोरवा कुम्हीचुआं, खलबोरा, कीदा गांव में रहते हैं। वहीं, छापकछार, छुहीपहाड़, बरघाट में रह रहे बिरहोर समुदाय के लोगों ने भी टीकाकरण का लक्ष्य पूरा किया है। धरमजयगढ़ के 154 गांव में शत-प्रतिशत टीकाकरण पूरा हो गया है।

कांकेर के ग्रामीण भी दिखा रहे नई राह

कांकेर में भी आदिवासी शहरी क्षेत्र के लोगों को टीकाकरण में राह दिखा रहे हैं। अब तक कांकेर के 10 से ज्यादा गांव में 100 फीसद टीकाकरण हो गया है। यहां के हल्बा, सारवंडी, दुधावा, सामतरा, घोटियावाही, बलरामपुर, सत्य नगर देवडा, राजेंद्र नगर, ईरादाह, गढ़ पिछवाड़ी में 45 वर्ष से ज्यादा आयु वर्ग के लोगों को पहला टीका लग गया है। नया जिला गौरेला-पेंड्रा मरवाही में भी 90 फीसद से ज्यादा लोगों को पहला टीका लग चुका है।

दंतेवाड़ा में 116 ग्राम पंचायत में शत-प्रतिशत टीकाकरणनक्सल प्रभावित जिला दंतेवाड़ा के 116 ग्राम पंचायत में शत-प्रतिशत टीकाकरण हुआ है। यहां की सुकून भरी तस्वीरें और आंकड़ों ने एक भरोसा पैदा किया है। स्वास्थ्य कर्मियों ने इस लक्ष्य को 25 दिन में हासिल किया है। जिले में 127 ग्राम पंचायतें हैं। इनमें से 116 ग्राम पंचायतों के 45 वर्ष से ज्यादा आयुवर्ग के 36 हजार 591 ग्रामीणों ने टीकाकरण करा लिया है। इनमें धुर नक्सल प्रभावित गांव पोटाली, रेवाली, बुरगुम, चेरपाल, गुटोली, पाहुरनार, चिकपाल, एडपाल, पखनाचुआ, मारजूम, गुड़से, परचेली, तेलम, टेटम, सूरनार और इंद्रावती नदी पार की कई पंचायतें शामिल हैं।

छत्तीसगढ़ की राज्य टीकाकरण अधिकारी डा. प्रियंका शुक्ला ने कहा, 'प्रदेश के आदिवासी बाहुल इलाकों में टीकाकरण के लिए स्थानीय स्तर पर लोग जागरूक हैं। स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी भी अंदरूनी इलाकों में कठिनाई का सामना करके पहुंच रहे हैं और टीकाकरण कर रहे हैं, जिसके कारण 45 वर्ष से ज्यादा आयुवर्ग के टीकाकरण में छत्तीसगढ़ का देश में बेहतर स्थान है।'

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