छत्तीसगढ़: नक्सलियों ने फोर्स के लिए बिछाई थी बारूदी सुरंग, विस्फोट में ग्रामीण के उड़े चिथड़े

छत्तीसगढ़ की सीमा से लगे झारखंड के बारेसांड़ थाना क्षेत्र के लाटू जंगल में नक्सलियों ने फोर्स के लिए बारूदी सुरंग बिछा रखा था। रविवार को बलरामपुर जिले के ग्राम पीपरढाबा निवासी 40 वर्षीय टूनू यादव इसकी चपेट में आ गया।

By Shashank PandeyEdited By: Publish:Mon, 19 Jul 2021 10:10 AM (IST) Updated:Mon, 19 Jul 2021 10:10 AM (IST)
छत्तीसगढ़: नक्सलियों ने फोर्स के लिए बिछाई थी बारूदी सुरंग, विस्फोट में ग्रामीण के उड़े चिथड़े
नक्सलियों ने फोर्स के लिए बिछा रखा था बारूदी सुरंग।(फोटो: दैनिक जागरण)

बिलासपुर, जेएनएन। छत्तीसगढ़ की सीमा से लगे झारखंड के बारेसांड़ थाना क्षेत्र के लाटू जंगल में नक्सलियों ने फोर्स के लिए बारूदी सुरंग बिछा रखी थी। रविवार को बलरामपुर जिले के ग्राम पीपरढाबा निवासी टूनू यादव (40) इसकी चपेट में आ गए। घटना की जानकारी मिलने के बाद स्वजन किसी तरह मौके पर पहुंचे और क्षत-विक्षत शव को जंगल से बाहर निकाला। बता दें कि मवेशियों को चराने के लिए टूनू शनिवार को जंगल की ओर निकला था। शाम तक घर वापस नहीं आने पर स्वजन चिंतित हुए। रविवार दोपहर बाद जंगल में स्वजन ने खोजबीन शुरू की तो क्षत-विक्षत शव मिला। विस्फोट में टूनू के शरीर के कई टुकड़े हो गए थे, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई होगी। घटना की सूचना पुलिस को दे दी गई, लेकिन सुरक्षा कारणों से रविवार को पुलिस घटनास्थल तक नहीं पहुंची थी। स्वजन द्वारा ही मृतक के शव को ढोकर जंगल से गांव लाया गया।

ओडिशा में दो नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण

छत्तीसगढ़ की सीमा से लगे ओडिशा के मलकानगिरी जिले में पुलिस के समक्ष दो नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया। समर्पित नक्सलियों में एक महिला नक्सली सुकमा जिले के किस्टाराम इलाके में सक्रिय थी।

शनिवार को झारखंड सीमा में बारेसांड़ थाना अंतर्गत टूनू इसका शिकार हो गया। मृतक मवेशियों को चराने निकला था शनिवार शाम तक वापस घर नही पहुंचा। रविवार दोपहर जंगल में स्वजनों ने खोजबीन शुरू की तो क्षत-विक्षत शव मिला। जोरदार ब्लास्ट में टूनू के दोनों पैर-हाथ सहित शव के कई टुकड़े हो गए थे। जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई थी। दरअसल नक्सलियों द्वारा पुलिस और सुरक्षाबलों को निशाना बनाने के लिए बुढ़ा पहाड व आसपास के इलाके में बारूदी सुरंग बिछा कर रखा जाता है।

कोई घटना न हो इसलिए ग्रामीणों को जंगल में आवागमन व मवेशियों को चराने ले जाने से रोका जाता है। इसके पूर्व भी ऐसी घटना हो चुकी है जिसमें इंसानों के साथ मवेशियों की भी मौत हुई है।

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