छत्तीसगढ़ सरकार ने महिला नेतृत्व को प्रोत्साहित करने लिए त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था में दिया 50 फीसद आरक्षण
त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था में छत्तीसगढ़ सरकार ने महिला नेतृत्व को प्रोत्साहित करने के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण दिया है। बावजूद इसके अब भी उनके फैसलों पर उनके पति या अन्य स्वजन का हस्तक्षेप होता है। अब पंचायती राज मंत्रालय ने स्पष्ट कहा है
विकास पांडेय, कोरबा। त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था में छत्तीसगढ़ सरकार ने महिला नेतृत्व को प्रोत्साहित करने के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण दिया है। बावजूद इसके अब भी उनके फैसलों पर उनके पति या अन्य स्वजन का हस्तक्षेप होता है। अब पंचायती राज मंत्रालय ने स्पष्ट कहा है कि पंचायत कार्यालय परिसर में महिला पंचायत पदाधिकारियों के काम में उनका कोई भी सगा-संबंधी, स्वजन या रिश्तेदार हस्तक्षेप नहीं करेंगे। ऐसा करने पर महिला प्रतिनिधि पर पंचायती राज अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी।
छत्तीसगढ़ सरकार ने इस पर अमल शुरू कर दिया है। प्रदेश में 60 फीसद महिला जनप्रतिनिधि गांव की सरकार चला रहीं हैं। अनारक्षित क्षेत्रों में भी पुरुषों को पीछे छोड़ रही हैं। अब नए आदेश से सही मायने में महिला नेतृत्व को बल मिलेगा। प्रदेश में 11 हजार 664 ग्राम पंचायतें, 146 जनपद पंचायतें और 27 जिला पंचायतें हैं। पंच-सरपंच समेत तीनों इकाइयों के निर्वाचित प्रतिनिधियों की संख्या लगभग एक लाख 90 हजार है। इनमें आधे से अधिक पदों पर महिलाएं हैं।
राज्य सरकार ने सन 2008 में महिला आरक्षण 33 से बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया है, ताकि पंचायतों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाई जा सके। प्रशिक्षण दें, बताएं अधिकार व पद का महत्व : राजनीति शास्त्री डा. अविनाश कुमार लाल का मानना है कि पंचायतों में चुनी गई महिला प्रतिनिधियों में 70 प्रतिशत अपने पति या स्वजन के बताए अनुसार ही फैसले लेती हैं।
अनारक्षित सीटों पर धमक बनाने वालीं महिलाएं अपने ग्राम या क्षेत्र विकास के लिए स्वयं निर्णय नहीं ले पातीं। महिलाएं किसी भी पैमाने में पुरुषों से कम नहीं, बस उन्हें यह बताना होगा कि जिस पद पर वे हैं, वह कितना महत्वपूर्ण है और उसकी गरिमा कायम रखने के उनके अधिकार क्या हैं। शासन-प्रशासन कुछ शक्तिशाली महिला प्रतिनिधियों को चिह्नित कर उन्हें बाकियों को जागृत व प्रशिक्षित कर सशक्त व स्वयंसक्षम बनाने का उद्देश्य पाया जा सकता है।
सभी जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को पत्र लिखकर निर्देश का पालन करने कहा गया है। संविधान के 73वें संशोधन में समस्त आर्थिक विकास एवं सामाजिक न्याय के 29 विषयों (संविधान की 11वीं अनुसूची) का क्रियांवयन पंचायतों के माध्यम से किए जाने का प्रविधान है। छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम 1993 में बने प्रविधान के अनुसार, प्रदेश में पंचायती राज संस्थाओं का संचालन एवं गतिविधियों का क्रियांवयन किया जाता है।