Chhattisgarh Coronavirus: छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचा कोरोना की दूसरी लहर का कहर
छत्तीसगढ़ में कोरोना की दूसरी लहर का कहर गांवों तक पहुंच गया है। कोरोना के पहले दौर में राज्य के गांव सुरक्षित थे जबकि करीब चार लाख से अधिक प्रवासी लौटे थे। प्रवासी श्रमिकों के लौटने का क्रम अब शुरू हो रहा है लेकिन संक्रमण गांवों तक पहुंच चुका है।
रायपुर, राज्य ब्यूरो। छत्तीसगढ़ में कोरोना वायरस की दूसरी लहर का कहर गांवों तक पहुंच गया है। कोरोना के पहले दौर में राज्य के गांव पूरी तरह सुरक्षित थे, जबकि करीब चार लाख से अधिक प्रवासी लौटे थे। इस बार प्रवासी श्रमिकों के लौटने का क्रम अब शुरू हो रहा है, लेकिन वायरस का संक्रमण गांवों तक पहुंच चुका है। स्वास्थ्य विभाग के अफसरों के अनुसार इस बार कुल संक्रमितों में करीब 40 फीसद से अधिक गांवों से आ रहे हैं। इसे देखते हुए सरकार ने फिर से हर ग्राम पंचायत में क्वारंटाइन सेंटर बनाने का निर्देश जारी कर दिया है। बाहर से आने वाले लोगों को टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आने तक वहां रखा जाएगा। इसके लिए सरपंच और कोटवारों को जिम्मेदारी दी जा रही है।
सीएम भी बार-बार कर रहे हैं गांवों में संक्रमण बढ़ने का जिक्र
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ग्रामीण क्षेत्रों में वायरस का संक्रमण बढ़ने को लेकर बेहद चिंतित हैं। विभिन्न बैठकों में वे इस बात का उल्लेख विशेष रूप से कर रहे हैं। सोमवार को पार्टी नेताओं के साथ चर्चा के दौरान भी उन्होंने राज्य में एयरपोर्ट व रेलवे स्टेशनों छत्तीसगढ़ आने वाले यात्रियों की जांच की व्यवस्था की तरह गांवों में भी आवश्यक व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए कहा है। सीएम ने कहा कि इस बार गांवों में भी संक्रमण तेजी से फैल रहा है। इसे रोकने के लिए बाहर से आने वाले प्रवासी लोगों की जांच कराना आवश्यक है।
इस वजह से गांवों तक पहुंचा संक्रमण
सरकार मान रही है कि राज्य में कोरोना की दूसरी लहर का वायरस महाराष्ट्र से आया है। वजह यह है कि यहां के लोग बड़ी संख्या में महाराष्ट्र के विभिन्न शहरों में रहते हैं। प्राय: त्योहार के दौरान वे अपने गांव लौटते हैं। इस बार भी होली में महाराष्ट्र से आए लोग अपने साथ वायरस लेकर आए थे।
पिछली बार यह एहतियात बरती गई
पिछली बार करीब छह लाख लोग अधिक लोग विभिन्न राज्यों से लौटे थे। इनमें करीब चार लाख लोग ग्रामीण थे। सरकार ने ऐसे प्रवासी श्रमिकों के लिए कारीब 21 हजार से अधिक क्वारंटाइन सेंटर बनाया था। गांव वाले भी सजग थे, बिना जांच या आइसोलेशन के किसी को भी गांव में प्रवेश करने नहीं दे रहे थे। इस बार यह सवाधानी नहीं रखी गई।