छत्तीसगढ़: मतांतरण के बाद तीन आदिवासी परिवार मूल धर्म में लौटे, ईसाई धर्म में हुआ था मतांतरण
छत्तीसगढ़ में मतांतरण के बाद तीन आदिवासी परिवार मूल धर्म में लौट गए हैं। इन सभी लोगों का ईसाई धर्म में मतांतरण हुआ था। तीन आदिवासी परिवारों की लगभग एक साल बाद फिर से सरना धर्म में वापसी हो गई है।
चाईबासा, ब्यूरो। ईसाई धर्म अपनाने और चर्च जाने से कोई बीमारी नहीं होगी। इस धर्म में आकर सभी तकलीफें दूर हो जाएगी। यहां कई तरह की अन्य सुविधाएं भी मिलेंगी, जिससे जिंदगी संवर जाएगी। कुछ इसी तरह का प्रलोभन देकर लगभग एक साल पूर्व चाईबासा जिला के जगन्नाथपुर प्रखंड स्थित जलडीहा गांव के तीन आदिवासी परिवारों का मतांतरण सरना से ईसाई धर्म में करा दिया गया। हालांकि किए गए वादे पूरे नहीं हुए। इससे क्षुब्ध तीन आदिवासी परिवारों की लगभग एक साल बाद फिर से सरना धर्म में वापसी हो गई है।
वापस सरना धर्म में लौटे सुनाय उर्फ पिरकली कुई, शिवनाथ सिकू व मुक्ता कुई ने ग्रामीण मुंडा बामिया सिकू को बताया कि परिवार के कुछ सदस्यों को बुखार हो गया था, वे ठीक नहीं हो पा रहे थे। इस बीच किसी ने बताया कि ईसाई धर्म अपना लो। इसके बाद बीमारी, दुख--तकलीफ दूर हो जाएगी। चर्च में स्वादिष्ट भोजन भी मिलेगा। इस तरह के कई प्रलोभन मिलने के बाद दबाव में आकर वे मतांतरित हो गए, लेकिन मतांतरण के बाद समझ में आया कि सब छलावा है। ऐसा कुछ नहीं होता।
आदिवासी समाज युवा महासभा ने मतांतरित परिवारों को समझाकर सरना धर्म वापसी कराई। महासभा के जिलाध्यक्ष गब्बर हेंब्रम ने कहा कि तीन परिवार के 12 सदस्यों की सरना धर्म में आदिवासी विधि--विधान वापसी हुई है। वापस लौटे लोगों ने संकल्प लिया है कि वे न तो फिर कभी ऐसी गलती करेंगे और न ही लोगों को करने देंगे।