कंपनी के आपराधिक कृत्य के लिए उसके चेयरमैन या एमडी स्वत: जवाबदेह नहीं, सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि किसी कंपनी के आपराधिक कृत्य के लिए उसके चेयरमैन प्रबंधन निदेशक (एमडी) कार्यकारी निदेशक उप महाप्रबंधक योजनाकार और निष्पादक जैसे वरिष्ठ अधिकारियों को आपराधिक कानून के तहत स्वत ही जवाबदेह नहीं ठहराया जा सकता।
नई दिल्ली, आइएएनएस। सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि किसी कंपनी के आपराधिक कृत्य के लिए उसके चेयरमैन, प्रबंधन निदेशक (एमडी), कार्यकारी निदेशक, उप महाप्रबंधक, योजनाकार और निष्पादक जैसे वरिष्ठ अधिकारियों को आपराधिक कानून के तहत स्वत: ही जवाबदेह नहीं ठहराया जा सकता, जब तक कि उनके खिलाफ विशिष्ट आरोप न हों।
जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने कहा कि मजिस्ट्रेट को प्राथमिक तौर पर इससे संतुष्ट होना होगा कि किसी अपराध में कंपनी के प्रबंध निदेशक, कंपनी सचिव और निदेशक ने क्या भूमिका निभाई, जो उनके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू करने के लिए अनिवार्य है।
मंगलोर स्पेशल इकोनोनिक जोन लिमिटेड एवं उसके अधिकारियों के खिलाफ दायर अपील को खारिज करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि चेयरमैन, प्रबंध निदेशक, कार्यकारी निदेशक, उप महाप्रबंधक, योजनाकार और निष्पादक के रूप में वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा निभाई गई भूमिका के संबंध में कोई विशिष्ट आरोप नहीं हैं। एक व्यक्ति ने कंपनी और इन लोगों के खिलाफ दर्ज शिकायत में आरोप लगाया था कि बिनी किसी नियम और अधिकार के उसकी जमीन में पानी की पाइपलाइन बिछा दी गई और इसके लिए परिसर की दीवार और 100 पेड़ काट दिए गए।
पीठ ने कहा कि इन लोगों को सिर्फ इसलिए अपराध के लिए जवाबदेह नहीं ठहराया जा सकता, क्योंकि ये कंपनी में बडे़ पदों पर हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाई कोर्ट और सत्र न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा, जिसमें आरोपियों को समन जारी करने के मजिस्ट्रेट के आदेश को रद कर दिया गया था।
पीठ ने कहा कि जब दीवार गिराई गई और पेड़ काटे गए तब चेयरमैन और कार्यकारी निदेशक हैदराबाद में थे, मौके पर मौजूद नहीं थे। अदालत ने कहा कि आरोपितों के खिलाफ शिकायतकर्ता के इस बयान को छोड़कर कि इन लोगों ने एक-दूसरे से साठगांठ की है, कोई विशेष आरोप नहीं हैं।