केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा- गृह मंत्रालय का नागरिकता से संबंधित अधिसूचना का सीएए से संबंध नहीं
केंद्र सरकार (Union Govt) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में कहा है कि 28 मई को गृह मंत्रालय की तरफ से जारी नागरिकता संबंधी अधिसूचना का नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए से कुछ भी लेना देना नहीं है।
नई दिल्ली, आइएएनएस। केंद्र सरकार (Union Govt) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में कहा है कि 28 मई को गृह मंत्रालय की तरफ से जारी नागरिकता संबंधी अधिसूचना का नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए से कुछ भी लेना देना नहीं है। अधिसूचना का उद्देश्य कुछ जिलों को अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से आए गैर मुस्लिमों को नागरिकता प्रदान करने की शक्ति सौंपना है।
अधिसूचना सीएए से संबंधित नहीं
अधिसूचना के खिलाफ इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आइयूएमएल) की याचिका के जवाब में केंद्र सरकार ने हलफनामा दाखिल कर अपना पक्ष रखा है। सरकार ने कहा है कि केंद्र सरकार की तरफ से 2004, 2005, 2006, 2016 और 2018 में भी स्थानीय प्रशासन को अधिकार सौंपे गए थे। केंद्र ने यह भी कहा है कि 28 मई की अधिसूचना सीएए से संबंधित नहीं है, जिसे अधिनियम में धारा 6बी के रूप में शामिल किया गया है।
छूट देने का प्रावधान नहीं
केंद्र सरकार ने कहा है कि अधिसूचना में विदेशियों को छूट देने का प्रावधान नहीं है और केवल उन विदेशियों पर लागू होता है जिन्होंने देश में कानूनी तौर पर प्रवेश किया है। सरकार ने आगे कहा कि उसने नागरिकता अधिनियम की धारा-16 के तहत अपने प्राधिकार का उपयोग करते हुए जिला कलेक्टरों को नागरिकता प्रदान करने की अपनी शक्तियों को प्रदान किया है।
अल्पसंख्यकों नागरिकता देने का फैसला
अधिसूचना में कहा गया है कि नागरिकता कानून-1955 की धारा-16 में दिए गए अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए केंद्र सरकार ने पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों नागरिकता देने का फैसला किया है। ऐसे लोगों को धारा-5 के तहत भारतीय नागरिक के तौर पर पंजीकृत करने या धारा-6 के अंतर्गत भारतीय नागरिकता का प्रमाणपत्र दिया जाएगा।
इन 13 जिलों में रह रहे हैं शरणार्थी
गुजरात के मोरबी, राजकोट, पाटन और वडोदरा, छत्तीसगढ़ के दुर्ग और बलोदाबाजार (छत्तीसगढ़), राजस्थान के जालौर, उदयपुर, पाली, बाड़मेर और सिरोही, हरियाणा के फरीदाबाद और पंजाब के जालंधर में तीन देशों से आए शरणार्थी रह रहे हैं।