'हिंदी की स्वैच्छिक वैश्विक संस्थाएं : स्थिति और संभावनाएं' पर हुई व्यापक चर्चा

दूसरे सत्र में हिंदी की स्वैच्छिक वैश्विक संस्थाएं स्थिति और संभावनाएं पर व्यापक चर्चा हुई। दक्षिण अफ्रीका के हिंदी शिक्षा संघ की पूर्व अध्यक्ष मालती रामबली ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका में 1948 में हिंदी शिक्षा संघ की स्थापना से पूर्व हिंदी शिक्षण मंदिरों में होता था।

By Vineet SharanEdited By: Publish:Thu, 28 Jan 2021 08:27 AM (IST) Updated:Thu, 28 Jan 2021 08:27 AM (IST)
'हिंदी की स्वैच्छिक वैश्विक संस्थाएं : स्थिति और संभावनाएं' पर हुई व्यापक चर्चा
इस समय मॉरीशस में हिंदी की 175 पाठशालाएं हैं। यही नहीं विश्वविद्यालय स्तर पर भी हिंदी पढ़ाई जाती है।

नई दिल्ली, जेएनएन। केंद्रीय हिंदी संस्थान तथा विश्व हिंदी सचिवालय के तत्वावधान में वैश्विक हिंदी परिवार की ओर से साप्ताहिक वेब संगोष्ठी आयोजित की गई। इसके प्रथम सत्र में माइक्रोसॉफ्ट के निदेशक (स्थानीयकरण एवं सुगम्यता) बालेन्दु दाधीच ने कंप्यूटर में काम करने के लिए 'पॉवर पाइंट - 2' में पॉवर पाइंट के बारे में रोचक और उपयोगी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इसके जरिये किसी भी विषय को आकर्षक और खूबसूरत ढंग से प्रस्तुत किया जा सकता है।

दूसरे सत्र में 'हिंदी की स्वैच्छिक वैश्विक संस्थाएं : स्थिति और संभावनाएं' पर व्यापक चर्चा हुई। दक्षिण अफ्रीका के 'हिंदी शिक्षा संघ' की पूर्व अध्यक्ष मालती रामबली ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका में 1948 में 'हिंदी शिक्षा संघ' की स्थापना से पूर्व हिंदी शिक्षण मंदिरों में होता था। उन्होंने कहा कि आज उनके देश के हर कोने में हिंदी पढ़ाई जा रही है। हिंदी शिक्षा संघ से जुड़ी लगभग पचास पाठशालाएं हैं। यह संघ स्वयंसेवकों और स्वयंसेविकाओं के सहारे चलता है।

पिछले 17 वर्षों से यूके में काम कर रही साहित्यिक संस्था 'वातायन' कि अध्यक्ष मीरा कौशिक ने बताया कि वे समय के साथ आगे बढ़ रहे हैं। इसका परिणाम यह है कि वे नई पीढ़ी को भी अपने साथ जोड़ने में सफल हो रहे हैं। प्रकाशन योजना और कार्यशालाओं के जरिये वे अपनी संस्था के कार्यों को विस्तार देने का प्रयास कर रहे हैं।

मॉरीशस की 'हिंदी प्रचारिणी सभा' के अध्यक्ष धनराज शम्भु के मुताबिक उनके यहां बहुत सारी स्वेश्चिक संस्थाएं हिंदी के प्रचार-प्रसार में लगी हुई हैं। इनमें से एक प्रचारिणी सभा 1926 में बनी थी और सरकार द्वारा इसका पंजीयन 1935 में हुआ था। पहले यह कन्या पाठशाला के रूप में काम कर रही थी, बाद में पंजीयन के बाद इसका नाम 'हिंदी प्रचारिणी सभा' हो गया। इस समय मॉरीशस में हिंदी की 175 पाठशालाएं हैं। यही नहीं विश्वविद्यालय स्तर पर भी हिंदी पढ़ाई जाती है। इसके अलावा विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करने के लिए छात्रवृति आदि दी जाती है। कई हिंदी प्रेमियों के साथ-साथ भारतीय उच्चायोग भी हमारी आर्थिक मदद करता है।

एक अन्य वक्ता शैलजा सक्सेना ने बताया कि कनाडा में 'हिंदी राइटर्स गिल्ड' कि स्थापना 2008 में हुई थी। गिल्ड अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी का प्रचार-प्रसार कर रही है। यही नहीं भारतीय डायसपोरा को 11 हिंदी नाटकों के माध्यम से साहित्य से जोड़ा। 14 पुस्तकों का प्रकाशन, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर साहित्यिक, सांस्कृतिक, सामाजिक कार्यक्रमों के आयोजन के अलावा कई पुरस्कार भी गिल्ड द्वारा दिए जाते हैं।

'वैश्विक हिंदी परिवार' को सबसे युवा संस्था बताने वाले इसके अंतर्राष्ट्रीय संयोजक पदमेश गुप्त कहा था कि इस समय इसके 162 सदस्य हैं। व्हाट्सप्प ग्रुप से शुरू हुई यह संस्था आज अंतर्राष्ट्रीय आकार ले चुकी है। वहीं वरिष्ठ पत्रकार राहुल देव ने कहा कि सभी भाषाओं को साथ लेकर चलने से ही वैश्विक परिवार बनेगा। कार्यक्रम के अंत में केंद्रीय हिंदी संस्थान के उपाध्यक्ष और वरिष्ठ लेखक अनिल जोशी ने बोलते हुए कहा कि वैश्विक दृष्टि से हिंदी की संस्थाओं के लिए यह स्वर्णिम समय है। इस समय हमें सरकारी और गैर सरकारी दोनों तरह का समर्थन प्राप्त है। यह समय है कि हम हिंदी के प्रचार-प्रसार और विकास के एजेंडे को पूरा करें। कार्यक्रम का संचालन हिंदी भवन, भोपाल के निदेशक जवाहर कर्नावट ने किया। 

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