स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, निजी क्षेत्र के हिस्से की वैक्सीन भी खरीद रही है केंद्र सरकार
75 फीसद वैक्सीन मुफ्त में सरकार की ओर से उपलब्ध कराये जाने के कारण भी लोगों ने निजी अस्पतालों में जाना पसंद नहीं किया। स्थिति यह आ गई कि निजी क्षेत्र के अस्पताल अपने हिस्से की 25 फीसद के बजाय महज सात-आठ फीसद वैक्सीन ही खरीद रहे थे।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। केंद्र सरकार निजी क्षेत्र के अस्पतालों के हिस्से की वैक्सीन भी खरीदकर राज्यों को मुफ्त उपलब्ध करा रही है। निजी क्षेत्र के अस्पतालों में टीकाकरण की धीमी रफ्तार और अपने हिस्से की 25 फीसद वैक्सीन नहीं खरीद पाने के कारण केंद्र सरकार ने यह फैसला किया है। मंगलवार को स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने राज्यसभा में यह जानकारी दी।
दरअसल, केंद्र सरकार ने कोरोना टीकाकरण में निजी क्षेत्र की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए एक मई से देश में उत्पादित 25 फीसद वैक्सीन उनके लिए रिजर्व करने का फैसला किया था। शुरू में निजी अस्पतालों ने इसमें दिलचस्पी दिखाई, लेकिन जून महीने में वैक्सीन की लागत से केवल 150 रुपये अधिक लेने की शर्त लगाने के बाद निजी अस्पतालों ने रूचि दिखानी कम कर दी है। वहीं दूसरी ओर 75 फीसद वैक्सीन मुफ्त में सरकार की ओर से उपलब्ध कराये जाने के कारण भी आम लोगों ने निजी अस्पतालों में जाना पसंद नहीं किया। जुलाई के पहले हफ्ते तक स्थिति यह आ गई कि निजी क्षेत्र के अस्पताल अपने हिस्से की 25 फीसद के बजाय महज सात-आठ फीसद वैक्सीन ही खरीद रहे थे।
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए देश में अधिकतम लोगों का जल्द से जल्द टीकाकरण करना जरूरी है। इसे देखते हुए पूरी नीति को बदलने के बजाय सरकार ने निजी क्षेत्र के हिस्से की बची हुई वैक्सीन को केंद्रीय कोटे से राज्यों को मुफ्त उपलब्ध कराने का फैसला किया है। मांडविया ने कहा कि इस संबंध में वैक्सीन उत्पादक दोनों कंपनियों-भारत बायोटेक और सीरम इंस्टीट्यूट को जानकारी दे दी गई है।
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