ग्वालियर : कोरोना के साइड इफेक्ट जारी, अब मेनिनजाइटिस के बढ़ने लगे केस

मनोचिकित्सक डॉ.अभिजीत श्रीवास्तव का कहना है कि कोरोना के ऐसे मरीज जो कोरोना का हरा चुके हैं या फिर जिनका काम-धंधा चौपट गया है नौकरी चली गई ऐसे लोगों में नींद की कमी खानपान में अरुचि से कमजोरी घबराहट व तनाव और अवसाद में जाने की शिकायतें बढ़ी हैं।

By Neel RajputEdited By: Publish:Tue, 27 Jul 2021 10:21 PM (IST) Updated:Tue, 27 Jul 2021 10:21 PM (IST)
ग्वालियर : कोरोना के साइड इफेक्ट जारी, अब मेनिनजाइटिस के बढ़ने लगे केस
ग्वालियर के जयारोग्य अस्पताल में दिमागी बुखार के नौ मरीज भर्ती

ग्वालियर, जेएनएन। कोरोना ने लोगों को शारीरिक तौर पर ही नहीं मानसिक तौर पर भी कमजोर कर दिया है। कुछ लोग कोरोना से तो उबर गए, फिर रोजगार और धंधा चौपट होने से इन्हें अवसाद और तनाव ने घेर लिया है। अब उन्हें मेनिनजाइटिस (दिमागी बुखार) जैसी बीमारियां अपनी गिरफ्त में ले रही हैं। गजराराजा मेडिकल कॉलेज से संबद्ध जयारोग्य अस्पताल के न्यूरोलॉजी विभाग में दिमागी बुखार वाले मरीज तेजी से बढ़ने लगे हैं।

विभागाध्यक्ष डॉ.दिनेश उदैनियां का कहना है कि दिमागी बुखार के कई कारण हो सकते हैं। इस वक्त नौ मरीज दिमागी बुखार के भर्ती हैं। इनमें फंगस की शिकायत भी सामने आई है। मनोचिकित्सक डॉ.अभिजीत श्रीवास्तव का कहना है कि कोरोना के ऐसे मरीज जो कोरोना का हरा चुके हैं या फिर जिनका काम-धंधा चौपट गया है, नौकरी चली गई, ऐसे लोगों में नींद की कमी, खानपान में अरुचि से कमजोरी, घबराहट व तनाव और अवसाद में जाने की शिकायतें बढ़ी हैं। इससे लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर बुरा असर पड़ा है। इस कारण लोगों में दिमागी बुखार सहित अन्य मानसिक व शारीरिक रोग उत्पन्न होने की आशंका बढ़ गई है।

न्यूरोलॉजिस्ट डॉ.अरविंद गुप्ता का कहना है कि रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने से दिमागी बुखार की समस्या हो जाती है। एक मरीज का उदाहरण देते हुए वे बताते हैं कि 38 वर्षीय युवक निजी कंपनी में मैनेजर था। पहली लहर के बाद युवक की नौकरी छूट गई। इसके बाद खुद काम जमाने का प्रयास किया पर सफल नहीं हो सका। दूसरी लहर में कोरोना संक्रमित होने पर इलाज चला। अब दिमागी बुखार से पीड़ित है।

यह होता है मेनिनजाइटिस

मेनिनजाइटिस मस्तिष्क तथा मेररज्जु को ढंकने वाली सुरक्षात्मक झिल्लियों (मस्तिष्कावरण) में सूजन होती है। यह सूजन वायरस, बैक्टीरिया तथा अन्य सूक्ष्मजीवों से संक्रमण के कारण हो सकती है। सामान्यत: यह रोग 10-15 दिन में ठीक हो जाता है, लेकिन कारगर इलाज न हो तो मृत्यु और लकवा भी हो सकता है। ज्यादा भीड़-भाड़ में संक्रमित रोगी से संपर्क, रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होना इसकी मुख्य वजह हैं। एचआइवी पीड़ित व कैंसर रोगी को यह आसानी से हो जाता है। गर्भवती महिलाओं को दिमागी बुखार का खतरा ज्यादा होता है। बैक्टीरिया, वायरस, प्रोटोजोआ आदि से होने वाला संक्रमण जब दिमाग व रीढ़ की हड्डी की बाहरी झिल्ली को संक्रमित करता है तो मेनिनजाइटिस का कारण बनता है।

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