सुप्रीम कोर्ट से सीबीआइ की गुहार, राज्यों के सामान्य सहमति वापस लेने से आ रही जांच में बाधा

सीबीआइ निदेशक एसके जायसवाल ने एक हलफनामे में सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि आठ राज्य सरकारों- बंगाल महाराष्ट्र केरल पंजाब राजस्थान झारखंड छत्तीसगढ़ और मिजोरम ने सामान्य सहमति वापस ली है। अब हर मामले के आधार पर विशेष सहमति प्राप्त करने में काफी समय लगता है

By Manish PandeyEdited By: Publish:Thu, 21 Oct 2021 07:24 AM (IST) Updated:Thu, 21 Oct 2021 07:24 AM (IST)
सुप्रीम कोर्ट से सीबीआइ की गुहार, राज्यों के सामान्य सहमति वापस लेने से आ रही जांच में बाधा
राज्यों के सामान्य सहमति वापस लेने से आ रही जांच में बाधा

नई दिल्ली, आइएएनएस। सीबीआइ ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि एजेंसी की जांच के लिए विभिन्न राज्य सरकारों के सामान्य सहमति वापस लिए जाने का फैसला न सिर्फ जांच के लिए बल्कि मामलों के अभियोजन के लिए भी हानिकारक सिद्ध हो रहा है।

सीबीआइ निदेशक एसके जायसवाल ने एक हलफनामे में सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि आठ राज्य सरकारों- बंगाल, महाराष्ट्र, केरल, पंजाब, राजस्थान, झारखंड, छत्तीसगढ़ और मिजोरम ने सामान्य सहमति वापस ली है। उन्होंने कहा कि अब हर मामले के आधार पर विशेष सहमति प्राप्त करने में काफी समय लगता है और कई बार समयबद्ध एवं त्वरित जांच के लिए हानिकारक भी हो सकता है। उन्होंने बताया कि इन राज्य सरकारों को भेजे गए 150 अनुरोधों में से सिर्फ 18 फीसद को ही मंजूरी प्रदान की गई है और लंबित मामलों में ज्यादातर बैंक धोखाधड़ी से जुड़े हुए हैं।

सीबीआइ निदेशक की नियुक्ति का सामान्य आदेश देने से इन्कार

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि वह सीबीआइ निदेशक की नियुक्ति का सामान्य आदेश जारी नहीं कर सकता। गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) कामन काज ने दलील दी कि सीबीआइ निदेशक का कार्यकाल खत्म होने के बाद उत्तराधिकारी की नियुक्ति तक तदर्थ प्रबंधन नहीं होना चाहिए बल्कि वर्तमान निदेशक को ही बनाए रखना चाहिए। इस पर जस्टिस एल. नागेश्वर राव और जस्टिस बीआर गवई ने अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल से जवाब दाखिल करने को कहा है।

एनआइए के कमान संभालने तक एटीएस की जांच वैध

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बांबे हाई कोर्ट के उस फैसले को बरकरार रखा जिसमें कहा गया था कि महाराष्ट्र में संदिग्ध आइएस आपरेटिव की गिरफ्तारी के मामले में एनआइए मुंबई के जांच संभालने तक एटीएस नांदेड़ को अपनी जांच करने से नहीं रोका गया था। शीर्ष अदालत 2016 में एटीएस द्वारा गिरफ्तार किए गए नासेर बिन अबु बक्र यफई की अपील पर सुनवाई कर रही थी। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि एनआइए मुंबई द्वारा कमान संभालने से पहले एटीएस नांदेड द्वारा जांच जारी रखना वैध था।

सीबीएसई ने कहा, आकलन योजना का पालन किया

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उसने 12वीं के छात्रों के अंकों के मूल्यांकन में आकलन योजना का पूरी तरह पालन किया। कोरोना महामारी की वजह से 12वीं की परीक्षाएं निरस्त कर दी गई थीं। जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी जिनमें आरोप लगाया गया है कि 12वीं के परीक्षा परिणामों से जुड़े विवाद निवारण तंत्र की प्रक्रिया को बोर्ड सही तरीके से लागू करने में विफल रहा है।

वरिष्ठ वकीलों ने की फिजिकल सुनवाई स्थगित करने की मांग

प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने बुधवार को कहा कि सुप्रीम कोर्ट में बुधवार और गुरुवार को मामलों की फिजिकल मोड में सुनवाई के प्रस्ताव को दीपावली की छुट्टियों तक स्थगित करने के वरिष्ठ वकीलों की याचिका पर वह अन्य जजों के साथ विचार-विमर्श करेंगे। कपिल सिब्बल, मुकुल रोहतगी, एएम सिंघवी और सालिसिटर जनरल तुषार मेहता समेत वरिष्ठ वकीलों के समूह ने पीठ के समक्ष इस मसले का उल्लेख किया था। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को फिजिकल सुनवाई को दौरान पत्रकारों को अदालती कक्षों में जाने की अनुमति देने का भी फैसला किया।

बच्चों की शिक्षा के लिए 25 करोड़ रुपये जारी करने पर राजी

महाराष्ट्र सरकार द्वारा एक मामले में पांच साल पहले सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री में जमा कराए गए 25 करोड़ रुपये को सुप्रीम कोर्ट बुधवार को उन बच्चों की शिक्षा के लिए जारी करने पर सहमत हो गया जिन्होंने कोरोना महामारी के दौरान अपने माता या पिता या दोनों को खो दिया है। महाराष्ट्र सरकार ने यह प्रस्ताव किया था।

आम्रपाली के पूर्व निदेशक शिव प्रिया की जमानत याचिका खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मेडिकल आधार पर दाखिल आम्रपाली ग्रुप के पूर्व निदेशक शिव प्रिया की जमानत याचिका खारिज कर दी। शिव प्रिया हजारों घर खरीदारों से धोखाधड़ी के मामले में दो साल से अधिक समय से जेल में बंद हैं। हालांकि जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस सीटी रविकुमार ने ट्रायल कोर्ट से कहा कि वह एक महीने के अंदर नियमित जमानत याचिका पर फैसला करे।

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