दोस्ती पर भाजपा का रुख नरम शिवसेना की झिझक कायम

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में सबसे बड़े दल के रूप में उभरने के बाद भाजपा ने शिवसेना के साथ दोस्ती बहाली के मुद्दे पर नरम रुख दिखाया है। इसके बावजूद चुनाव के दौरान भाजपा पर तीखे हमले करने वाली शिवसेना की झिझक कायम है।

By Anjani ChoudharyEdited By: Publish:Fri, 17 Oct 2014 10:31 PM (IST) Updated:Fri, 17 Oct 2014 10:31 PM (IST)
दोस्ती पर भाजपा का रुख नरम शिवसेना की झिझक कायम

मुंबई, ओमप्रकाश तिवारी। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में सबसे बड़े दल के रूप में उभरने के बाद भाजपा ने शिवसेना के साथ दोस्ती बहाली के मुद्दे पर नरम रुख दिखाया है। इसके बावजूद चुनाव के दौरान भाजपा पर तीखे हमले करने वाली शिवसेना की झिझक कायम है।

भाजपा महाराष्ट्र में पूर्ण बहुमत मिलने या त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में शिवसेना संग सरकार बनाने का विकल्प खुले रखती दिख रही है। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने गत दिवस कहा कि भाजपा की ओर से शिवसेना के लिए दरवाजे बंद नहीं हुए हैं। महाराष्ट्र भाजपा के अध्यक्ष देवेंद्रफणनवीस ने भी शिवसेना को भाजपा का प्राकृतिक मित्र बताया है। भाजपा के दिवंगत नेता गोपीनाथ मुंडे की पुत्री और युवा नेता पंकजा मुंडे भी मानती हैं कि चुनावी कड़वाहट मतदान के साथ ही खत्म हो चुकी है। भाजपा नेताओं के ये बयान संकेत देते हैं कि भाजपा दोनों परिस्थितियों में शिवसेना को साथ रखना चाहती है। चाहे उसे पूर्ण बहुमत प्राप्त हो या त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति बने।

भाजपा के इस रुख पर नरमी तो शिवसेना भी दिखा रही है, लेकिन चुनाव के दौरान उद्धव ठाकरे समेत पार्टी के अन्य नेताओं द्वारा किए गए हमले शिवसेना को पुन: भाजपा के नजदीक आने से रोक रहे हैं। शिवसेना प्रवक्ता संजय राऊत ने भाजपा नेताओं की भावनाओं का आदर करने की बात करते हुए दोहराया है कि बहुमत शिवसेना को ही मिलेगा और उद्धव ठाकरे अगले मुख्यमंत्री होंगे। सूत्रों के अनुसार शिवसेना भाजपा के प्रस्ताव को खुलकर स्वीकारने में इसलिए झिझक रही है क्योंकि एक तो वह राज्य में छोटे भाई की भूमिका में रहना नहीं चाहती। दूसरे, भाजपा के साथ सरकार बनाने पर राज्य के विरोधी दल उस पर सत्ता का लालची होने का आरोप लगाना शुरू कर देंगे।

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