स्कूली शिक्षा में बड़ा बदलाव, रटने-रटाने और ब्लैक बोर्ड होंगे खत्म, प्रोजेक्ट बेस्ड लर्निंग से मिलेगी शिक्षा

प्रोजेक्ट बेस्ड लर्निग बच्चों को समझाने का एक ऐसा तरीका है जिसमें उन्हें बड़े ही रोचक और इनोवेटिव तरीके से समझाया जाता है। जिसे वह जीवन भर नहीं भूलते हैं।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Sat, 19 Oct 2019 09:07 PM (IST) Updated:Sat, 19 Oct 2019 09:07 PM (IST)
स्कूली शिक्षा में बड़ा बदलाव, रटने-रटाने और ब्लैक बोर्ड होंगे खत्म, प्रोजेक्ट बेस्ड लर्निंग से मिलेगी शिक्षा
स्कूली शिक्षा में बड़ा बदलाव, रटने-रटाने और ब्लैक बोर्ड होंगे खत्म, प्रोजेक्ट बेस्ड लर्निंग से मिलेगी शिक्षा

अरविंद पांडेय, नई दिल्ली। बदलते दौर के साथ स्कूलों में अब पढ़ने-पढ़ाने का ढंग भी बदलेगा। जहां बच्चों को रटाने या फिर ब्लैक बोर्ड के जरिए पढ़ाने के बजाय प्रोजेक्ट बेस्ड लर्निंग (शिक्षा) दी जाएगी। हालांकि स्कूली शिक्षा में इस बदलाव की पहल काफी पहले की गई थी, लेकिन कुछ चुनिंदा स्कूलों को छोड़कर ज्यादातर स्कूलों में अभी भी रटने-रटाने और ब्लैक बोर्ड के जरिए पढ़ाने का चलन बरकरार है। ऐसे में सरकार ने नए सिरे से स्कूलों को प्रोजेक्ट बेस्ट लर्निग की ओर ले जाने को लेकर बड़ी पहल की है। फिलहाल सरकार को इस काम में यूनेस्को का भी साथ मिला है।

स्कूलों में पढ़ने-पढ़ाने के तरीके में बदलाव की पहल

स्कूलों के पढ़ने-पढ़ाने के तरीके में बदलाव की यह पहल उस समय की गई है, जब दुनिया के तमाम देशों में बच्चों को शिक्षा प्रोजेक्ट बेस्ट लर्निंग के जरिए दी जा रही है। भारत में भी नवोदय और केंद्रीय विद्यालयों में इसे लेकर पहल हुई है, लेकिन अभी यहां इस तरह की लर्निंग से बच्चों को कोई फायदा नहीं मिल रहा है, क्योंकि यह बच्चों को होमवर्क के रूप में कराया जाता है, जिसे बच्चे अपने माता-पिता से कराकर लाते हैं। जबकि इसका असली मकसद बच्चों में बौद्धिक व तार्किक क्षमता का विकास करना है। साथ ही उन्हें देश और समाज की समस्याओं से भी रूबरू कराना है।

सभी स्कूलों में लागू होगी प्रोजेक्ट बेस्ड लर्निंग

स्कूली शिक्षा से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक स्कूली शिक्षा में प्रोजेक्ट बेस्ड लर्निंग (पीबीएल) की जरूरत को समझते हुए इसे नए सिरे से सभी स्कूलों में लागू करने की तैयारी की जा रही है। हालांकि इससे पहले यूनेस्को के साथ मिलकर जवाहर नवोदय विद्यालयों में इसके अमल और छात्रों को मिलने वाले फायदे को लेकर एक अध्ययन भी कराया जा रहा है। जिसका इस्तेमाल प्रोजेक्ट बेस्ट लर्निंग को और मजबूत बनाने में इस्तेमाल किया जाएगा।

नवोदय विद्यालयों में इसी शैक्षणिक सत्र में लागू होगा पीबीएल

मानव संसाधन विकास मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक नवोदय विद्यालयों में यह अध्ययन इसी शैक्षणिक सत्र में होगा। इस पूरे अध्ययन में सामाजिक और भावनात्मक पहलुओं को भी शामिल किया गया है।

गौरतलब है कि स्कूलों में पढ़ने-पढ़ाने के तरीके में बदलाव की यह पहल उस समय शुरु की गई है, जब उन्हें स्मार्ट कक्षाओं में तब्दील करने की मुहिम भी चल रही है। ज्यादातर केंद्रीय विद्यालय इससे लैस हो चुके है।

क्या है प्रोजेक्ट बेस्ड लर्निग

यह बच्चों को पढ़ाने का या समझाने का एक ऐसा तरीका है, जिसमें बच्चों को किसी भी विषय या पाठ को बड़े ही रोचक और इनोवेटिव तरीके से समझाया जाता है। जिसे वह जीवन भर नहीं भूलते हैं। मौजूदा समय में स्कूलों में बच्चों को रट्टा मारकर किसी भी पाठ याद करने या ब्लैक बोर्ड से शिक्षक के लिखे हुए को चुपचाप उतारने की परिपाटी है। जो बच्चों के बौद्धिक और तार्किक विकास में बड़ी बाधा मानी जाती है।

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