उस काली रात की पूरी कहानी बयां करती है ये एक तस्‍वीर, विश्‍व की चुनिंदा तस्‍वीरों में है शामिल

2-3 दिसंबर की रात को भारत कभी नहीं भूल सकता है। एक ही रात में भोपाल के दो हजार लोगों की मौत का दर्द कभी भुलाया भी नहीं जा सकता है। ये आजाद भारत की सबसे काली रात थी।

By Kamal VermaEdited By: Publish:Thu, 03 Dec 2020 11:36 AM (IST) Updated:Fri, 04 Dec 2020 10:53 PM (IST)
उस काली रात की पूरी कहानी बयां करती है ये एक तस्‍वीर, विश्‍व की चुनिंदा तस्‍वीरों में है शामिल
भोपाल गैस त्रासदी की एक आइकॉनिक फोटो

नई दिल्ली (ऑनलाइन डेस्‍क )। भोपाल गैस कांड और इससे जुड़ी एक तस्‍वीर को भारत और यहां के लोग कभी नहीं भूल सकेंगे। ये तस्‍वीर 4 दिसंबर 1984 को फोटोग्राफर रघु राय ने खींची थी। उस वक्‍त ये ब्‍लैक एंड व्‍हाइट थी। इसके बाद इस तस्‍वीर को पाब्‍लो बार्थोलमियो ने कलर इमेज के साथ नया रूप दे दिया था। पाब्‍लो एक स्‍वतंत्र फोटो जर्नलिस्‍ट के तौर पर काम करते थे। ये फोटो यूं तो भापोल गैस हादसे के दो दिन बाद खींची गई थी, लेकिन इस फोटो ने देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में तहलका मचाया था। ये फोटो आज भी इस हादसे की कहानी बयां करती है। इस हादसे में एक ही रात में दो हजार से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। जबकि इसमें मारे गए कुल लोगों की संख्‍या करीब 16 हजार तक थी।

आज तक नहीं हटा जहरीला कचरा

भोपाल गैस कांड को 36 वर्ष गुजर चुके हैं इसके बाद भी आज तक यूनियन कार्बाइड कारखाने में पड़े 340 टन जहरीले कचरे को नष्ट नहीं किया जा सका है। इसकी वजह से आसपास का पानी दूषित हो रहा है। कोर्ट इस पर नाराजगी जता चुका है। इस रासायनिक कचरे की वजह से यहां की करीब 50 कालोनियों में पानी का प्रदूषण स्‍तर सामान्‍य से कहीं अधिक है।

नहीं मिला इंसाफ खत्‍म हो गए कई अहम लोग

36 वर्षों के बाद भी इस हादसे के पीडि़तों को पूरा न्‍याय नहीं मिल सका है। आज भी कोर्ट के अंदर इसके मुआवजे का मामला लंबित है। इस बीच इस हादसे के मुख्‍य आरोपी और फैक्ट्री के संचालक वॉरेन एंडरसन की 29 सितंबर 2014 को उसकी मौत हो गई। इसके अलावा भोपाल गैस त्रासदी को लेकर आवाज उठाने वाले और पीडि़तों को न्‍याय दिलाने की लड़ाई लड़ने वाले अब्‍दुल जब्‍बार का भी 14 नवंबर 2019 को निधन हो गया। उन्‍हें भारत सरकार ने पद्म श्री से सम्‍मानित किया था। वे भोपाल गैस पीड़िता महिला उद्योग संगठन के संयोजक थे। आपको बता दें कि भोपाल गैस हादसा दुनिया के कुछ बड़े औधोगिक हादसों में शामिल किया जाता है। इस गैस हादसे उन्‍होंने भी अपने माता-पिता और भाई को भी खोया था।

इस हादसे की वजह से 2-3 दिसंबर की रात की गिनती देश के इतिहास में काला दिन के तौर पर होती है। इस हादसे की वजह यूनियन कार्बाइड कंपनी के कारखाने में हुआ जहरीली गैस का रिसाव था। ये ऐसे समय में हुआ था जब लोग अपने घरों में सो रहे थे। रिसाव शुरू होने के कुछ घंटे बाद ही इसकी गिरफ्त में भोपाल का बड़ा हिस्‍सा आ चुका था। धीरे-धीरे लोगों को आंखों में जलन और सांस लेने में दिक्‍कत हो गई थी। किसी को ये नहीं समझ नहीं आ रहा था कि आखिर ये सब कुछ क्‍यों हो रहा है। रातों-रात लोगों को उलटी शुरू हो गई और सड़कों पर पड़ी लाशों की गिनती बढ़ने लगी थी। मध्‍य प्रदेश की तत्‍कालीन सरकार ने इस हादसे में 3787 लोगों के मारे जाने की पुष्टि की थी। इस हादसे की चपेट में पांच लाख लोग आए थे। जिस गैस की वजह से भोपाल के लोगों की हालत खराब हुई थी उसका नाम मिथाइल आइसो साइनाइट (Methyl Isocyanate Gas) था। इसका उपयोग कीटनाशक के तौर पर किया जाता है।

यूं घटी घटना

इस हादसे की जांच के बाद सामने आया कि यहां के अधिकतर उपकरण ठीक नहीं थे। काफी कुछ उपकरण जर्जर हो चुके थे जिन्‍हें सही नहीं करवाया गया था। वहीं कारखाने के सिक्‍योरिटी मैन्‍यूल इंग्लिश में थे जबकि वहां पर अधिकतर काम करने वाले छोटे तबके के लोग थे जिन्‍हें इंग्लिश नहीं आती थी। उनको उपकरणों के रखरखाव या दूसरी सुरक्षा के बारे में भी कोई जानकारी नहीं थी। 2-3 दिसंबर की रात कंपनी ने एक टैंक में जरूरत से ज्‍यादा गैस मौजूदा थी। यहां का तापमान भी सामान्‍य से अधिक था। यहां पर मौजूद हर टैंक की कैपेसिटी 68 हजार लीटर लिक्विड एमआईसी की थी। लेकिन इनको केवल 50 फीसद तक ही भरा जाता था। लेकिन उस रात एक टैंक में इसको नजरअंदाज किया गया था।

हादसे वाली रात कुछ कर्मचारी अंडरग्राउंड टैंक 610 के पास पाइपलाइन की सफाई कर रहे थे। उस दौरान यहां का तापमान 200 डिग्री तक पहुंच गया था, जबकि इसको महज 5 डिग्री होना चाहिए था। इसकी वजह से एक फ्रीजर प्‍लांट का बंद करना पड़ा। यहां की बिजली कट चुकी थी। तापमान बढ़ने की वजह से गैस दूसरे पाइप के जरिए लीक होने लगी। कुछ कसर खराब वॉल्‍व ने पूरी कर दी थी। रिसाव के कुछ देर बाद सिक्‍योरिटी अलार्म बज गया। जहरीली गैस भोपाल के आसमान में फैलने लगी थी। वहीं दूसरी तरफ संचालक इससे लगातार इनकार कर रहे थे। सुबह तक हालात खराब हो चुके थे। प्रशासन ने आननफानन में यहां के लोगों को इलाका खाली करने का निर्देश दे दिया था, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। हादसे की गंभीरता को भांपते हुए एंडरसन देश छोड़कर भाग गया। इसके बाद कई सरकारों ने उसको वापस लाने की कोशिश की लेकिन नाकाम रहीं। वर्ष 2006 में राज्‍य सरकार ने कोर्ट में दायर एक हलफनामे में घायल हुए लोगों की संख्‍या 558,125 बताई थी। इनमें अस्‍थाईतौर पर विकलांग हुए लोगों की संख्‍या 38478 थी जबकि स्‍थाई विकलांग 3900 थे।

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