Bhima Koregaon Case: गौतम नवलखा, आनंद तेलतुंबडे ने मांगी आत्मसमर्पण की मोहलत, कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित
Bhima Koregaon Case सुप्रीम कोर्ट ने एक्टिविस्ट गौतम नवलखा और आनंद तेलतुंबडे की याचिका पर अपना आदेश फिलहाल सुरक्षित रख लिया है।
नई दिल्ली, एएनआइ। Bhima Koregaon Case, सुप्रीम कोर्ट में आज एक्टिविस्ट गौतम नवलखा और आनंद तेलतुंबडे की याचिका पर सुनवाई हुई। एक्टिविस्ट गौतम नवलखा और आनंद तेलतुंबडे ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर आत्मसमर्पण के लिए और समय मांगा है। उनके वकील ने SC को बताया कि दोनों की उम्र 65 वर्ष से अधिक है और उन्हें दिल की बीमारी है। वकील ने कहा कि कोरोना वायरस के समय जेल जाना वास्तव में मौत की सजा है।
इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने याचिका का विरोध किया और कहा कि यह केवल और ज्यादा समय लेने का एक तरीका है। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर अपना आदेश फिलहाल सुरक्षित रख लिया है।
आयोग ने शरद पवार को भेजा समन
इससे पहले 18 मार्च को महाराष्ट्र में भीमा कोरेगांव आयोग (Bhima Koregaon Commission) ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (Nationalist Congress Party) के प्रमुख शरद पवार (Sharad Pawar) को 4 अप्रैल को आयोग के सामने पेश होने के लिए कहा है। आयोग उन कारणों की पूछताछ कर रहा है जिसके कारण महाराष्ट्र में 2018 में भीमा कोरेगांव हिंसा हुई थी।
गौरतलब है कि अभी कुछ दिन पहले ही भीमा कोरेगांव हिंसा की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी को सौंपने के बाद शिवसेना और एनसीपी के बीच खींचतान बढ़ गयी थी। जिसे लेकर एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने उद्धव ठाकरे के निर्णय पर नाखुशी जतायी थी और पार्टी के सभी 16 मंत्रियों की बैठक भी बुलाई थी। ज्ञात हो कि एल्गार परिषद की जांच का कार्य भी एनआइए को ही सौंपा गया है।
एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कोल्हापुर में एक रैली के दौरान मोदी सरकार पर जांच अपने हाथ में लेने का आरोप लगाया था, पहले ये जांच का कार्य राज्य सरकार के पास था। शरद पवार ने कहा था कि महाराष्ट्र सरकार भीमा कोरे गांव मामले पर कुछ निर्णय लेने वाली थी, इसलिए केंद्र सरकार ने एल्गार परिषद के मामले को अपने हाथ में लिया। जबकि कानून व्यवस्था राज्य सरकार के हाथ होनी चाहिये।