कृषि विधेयकों के विरोध में थमा पंजाब, हरियाणा में भी प्रदर्शन; सेना के वाहन व एंबुलेंस रोकी
प्रदर्शनकारियों ने सुबह दस बजे से शाम चार बजे तक लगभग सभी नेशनल हाईवे जाम कर दिए। अमृतसर-जम्मू नेशनल हाईवे पर तो ट्रैफिक सुचारू रहा लेकिन दिल्ली नेशनल हाईवे पर कई जगह किसानों ने ट्रैक्टर खड़े कर धरना दिया।
नई दिल्ली, जेएनएन। कृषि विधेयकों के विरोध में शुक्रवार को आयोजित बंद का पंजाब में व्यापक असर रहा। नेशनल हाईवे जाम किए जाने से आवाजाही पूरी तरह बंद रही। ट्रेनें दूसरे दिन भी नहीं चलीं। इससे लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। हरियाणा में पंजाब के सीमावर्ती इलाकों में असर दिखा, लेकिन शेष हिस्से में हालात सामान्य रहे। राजस्थान व उत्तर प्रदेश समेत ज्यादातर राज्यों में आंशिक असर रहा। पंजाब में 31 किसान संगठनों के इस विरोध-प्रदर्शन को भाजपा को छोड़ सभी राजनीतिक पार्टियों, बस यूनियनों व कर्मचारी-व्यापारी यूनियनों और कलाकारों का समर्थन मिला।
प्रदर्शनकारियों ने सुबह दस बजे से शाम चार बजे तक लगभग सभी नेशनल हाईवे जाम कर दिए। अमृतसर-जम्मू नेशनल हाईवे पर, तो ट्रैफिक सुचारू रहा, लेकिन दिल्ली नेशनल हाईवे पर कई जगह किसानों ने ट्रैक्टर खड़े कर धरना दिया। हरियाणा-पंजाब की सीमा पर सेना के वाहन और एंबुलेंस भी रोक दी गई। यहां देर रात तक लोग फंसे रहे। कुछ जगह जबरन बाजार बंद कराए गए, जिससे लोगों को जरूरी सामान के लिए परेशानी उठानी पड़ी।
विशेष ट्रेनों का परिचालन पहले ही रद कर दिए जाने के बावजूद किसान रेल ट्रैक पर टेंट लगाकर जमे रहे। श्री मुक्तसर साहिब के लंबी में शिअद अध्यक्ष सुखबीर बादल और पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ट्रैक्टर लेकर धरने में पहुंचे। इस बीच, भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता रहे अमृतसर के एडवोकेट आरपी सिंह मैणी ने कृषि विधेयकों को पंजाब विरोधी बताते हुए पार्टी से इस्तीफा दे दिया।
आगे क्या.. एक अक्टूबर से फिर रोकेंगे रेल
अमृतसर में रेल ट्रैक पर धरना दे रहे किसानों ने एलान किया कि उनका धरना 29 सितंबर तक जारी रहेगा। इसके बाद एक अक्टूबर से फिर रेल रोकेंगे। भारतीय किसान यूनियन ने भी यही चेतावनी दी। आम आदमी पार्टी ने कहा है कि वह ग्राम सभा बुलाओ, गांव बचाओ, पंजाब बचाओ मुहिम शुरू करेगी।