7th anniversary of Jheeram massacre: बस्तर विवि अब होगा शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय: सीएम

झीरम नक्सल कांड की बरसी सोमवार को पहली बार सरकारी स्तर पर घटना में मारे गए कांग्रेस नेता समेत अन्य लोगों को श्रद्धांजलि दी गई।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Mon, 25 May 2020 05:37 PM (IST) Updated:Mon, 25 May 2020 05:37 PM (IST)
7th anniversary of Jheeram massacre: बस्तर विवि अब होगा शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय: सीएम
7th anniversary of Jheeram massacre: बस्तर विवि अब होगा शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय: सीएम

रायपुर, राज्य ब्यूरो। झीरम नक्सल कांड की बरसी सोमवार को पहली बार सरकारी स्तर पर घटना में मारे गए कांग्रेस नेता समेत अन्य लोगों को श्रद्धांजलि दी गई। इस दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस घटना में मारे गए महेंद्र कर्मा के नाम पर बस्तर विश्वविद्यालय का नाम रखने की घोषणा की है। यह आयोजन अब हर वर्ष होगा। इसके साथ ही पूरे प्रदेश में श्रद्धांजलि सभाओं का आयोजन किया गया। 

झीरम हत्याकांड की सातवीं बरसी पर प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में श्रद्धांजलि कार्यक्रम 

सोमवार को झीरम हत्याकांड की सातवीं बरसी पर प्रदेश कांग्रेस कार्यालय राजीव भवन में श्रद्धांजलि कार्यक्रम रखा गया. जिसमें पहुंच कर सीएम भूपेश बघेल ने शहीदों को श्रद्धांजलि दी। श्रद्धांजलि कार्यक्रम में सीएम बघेल ने एक बड़ी घोषणा भी की। उन्होंने कहा कि बस्तर विश्वविद्यालय का नामकरण स्वर्गीय महेन्द्र कर्मा के नाम पर रखा जाएगा।

2013 में झीरम घाटी में नक्सलियों द्वारा 29 लोग मारे गए थे

सात साल पहले 25 मई 2013 में झीरम घाटी में नक्सलियों द्वारा 29 लोग मारे गए थे। आज झीरम हत्याकांड की सातवीं बरसी पर प्रदेश कांग्रेस कार्यालय राजीव भवन, झीरम में श्रद्धांजलि कार्यक्रम रखा गया. जिसमें पहुंच कर सीएम भूपेश बघेल ने शहीदों को श्रद्धांजलि दी. इस कार्यक्रम में विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम सहित अन्य नेता मौजूद थे।

बघेल ने कहा- आज का दिन हम कभी भूल नहीं सकते

इस श्रद्धांजलि कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि आज से ठीक 7 साल पहले एक भयानक दुर्घटना घटित हुई थी। झीरम हमले में हमारे प्रथम पंक्ति के नेता शहीद हो गए थे। आज का दिन हम कभी भूल नहीं सकते हैं। उनकी दूरदर्शिता हमको आज भी प्रतिदिन कार्य करने के लिए प्रेरित करती है।

शहीद जवानों को नमन

मुख्यमंत्री ने कहा, हम उन जवानों को भी नमन करते हैं, जिन्होंने उस काले दिन अपनी जान गंवाई थी। साथ में अब तक नक्सलवादी हिंसा में जान गंवाने वाले जवानों और नागरिकों को भी श्रद्धा-सुमन अर्पित करते हैं. झीरम श्रद्धांजलि दिवस घोषित किए गए इस दिन पर प्रदेश के सभी शासकीय व अर्धशासकीय कार्यालयों पर शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाएगी।

दिग्गज कांग्रेसी नेता महेंद्र कर्मा, नंदकुमार पटेल, कद्दावर नेता विद्याचरण शुक्ल शहीद हो गए थे

श्रद्धांजलि कार्यक्रम में सीएम बघेल ने एक बड़ी घोषणा भी की। उन्होंने कहा कि बस्तर विश्वविद्यालय का नामकरण स्वर्गीय महेन्द्र कर्मा के नाम पर रखा जाएगा। आपको बता दें कि इस हमले में जान गवाने वालों में राज्य के दिग्गज कांग्रेसी नेता शहीद हो गए थे। जिसमें बस्तर टाइगर कहलाने वाले महेंद्र कर्मा भी शामिल थे। आज उन्हीं के नाम पर बस्तर विश्वविद्यालय का नाम रखने की घोषणा की गई। महेंद्र कर्मा के अलावा इसमें तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, कद्दावर नेता विद्याचरण शुक्ल और उदय मुदलियार समेत 29 लोग शामिल थे।

कोरोना के कारण प्रदेश में स्कूलों के खेल कैलेंडर पर मंडरा रहा खतरा

कोरोना की वजह से इस साल का स्कूल का खेल कैलेंडर जीरो ईयर घोषित हो सकता है। वजह यह है कि कोरोना के कारण अभी टीम गेम नहीं हो सकेंगे। इसका असर राष्ट्रीय प्रतियोगिता पर भी पड़ेगा। जुलाई में ब्लॉक इसके बाद जिला और फिर राज्य स्तरीय प्रतियोगिता के बाद नेशनल के लिए किया जाता है टीम का चयन।

1181 क्वारंटाइन सेंटर में 15218 श्रमिक, सैंपलिंग सिर्फ 2848

अभी तक जिले में 15218 प्रवासी मजदूर वापसी कर चुके है। जिन्हें जिले में बनाए गए 1181 क्वारंटाइन सेंटर में रखा गया है। मालूम हो कि इनके आने से कोरोना संक्रमित के मामले सामने आने लगे है। चार दिन के भीतर ही 38 सक्रिय कोरोना संक्रमित मिल गए है। जबकि जांच सिर्फ 2848 श्रमिकों की हुई है। अभी भी 12370 श्रमिकों का सैंपलिंग नहीं हो सका है। इससे साफ है कि इनके जांच के साथ ही बड़ी संख्या में कोरोना संक्रमितों की संख्या में इजाफा होगा। जिले में अभी भी 50 हजार से ज्यादा श्रमिकों की वापसी होगी।

क्वारंटाइन सेंटर के लिए पंचायतों को सरकार ने जारी नहीं किया फंड भाजपा ने उठाए सवाल

राज्य सरकार ने 14वें वित्त आयोग की राशि को अब तक जारी नहीं किया है, जिसके कारण पंचायतों में क्वारंटाइन सेंटर की व्यवस्था ठीक नहीं हो पा रही है। रायपुर सांसद सुनील सोनी ने कहा कि पंचायत में सरपंच और गांव के लोग आपस में मिलकर क्वॉरंटाइन सेंटर चला रहे हैं। केंद्र सरकार की ओर से राशि जारी होने के बाद भी पंचायतों को नहीं दिया जा रहा है।

छत्तीसगढ़ में पीपीई किट की पहली खेप पहुंची

छत्तीसगढ़ में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए सरकार ने पीपीपी किट की सप्लाई में तेजी लाने का निर्देश दिया है। एक सप्ताह पहले सरकार ने टेंडर करके ढाई लाख पीपीई किट सप्लाई का आर्डर फाइनल किया था। उसकी पहली खेप प्रदेश में पहुंच गई है। इन्हें राज्य के अलग-अलग अस्पतालों में वितरित भी कर दिया गया है। सीजीएमएससी के डायरेक्टर भुवनेश यादव ने बताया कि आइसीएमआर की गाइडलाइन के आधार पर पीपीई किट और मास्क की खरीदी की जा रही है।

दो माह बाद देश के अलग-अलग राज्यों से आज आएंगी सात फ्लाइटें

घरेलू विमान सेवा शुरू होने के साथ ही छत्तीसगढ़ के रायपुर एयरपोर्ट पर सोमवार दिनभर सात फ्लाइटें आएंगी। सरकार ने इसके लिए पहले से तैयार कर रखी है। फ्लाइट से निकलने से लेकर एयरपोर्ट के बाहर आने और क्वारंटाइन को लेकर सरकार ने कड़े निर्देश जारी किए हैं।

करंट से चीतल का शिकार, एक गिरफ्तार चार फरार

बागबाहरा वन परिक्षेत्र के आमानारा जंगल में शिकार के लिए बिछाए गए करंट प्रवाहित तार में फंसकर एक चीतल की मौत हो गई। घटना स्थल से वन विभाग ने एक आरोपित को गिरफ्तार कर लिया है। वहीं चार आरोपित मौके से फरार हो गए। मामले में वन्यप्राणी अधिनियम के तहत कार्रवाई कर फरार आरोपितों की तलाश की जा रही है।

छत्तीसगढ़ में लाख की खेती को मिलेगा कृषि का दर्जा

छत्तीसगढ़ में लाख की खेती की अपार संभावनाएं है। यहां के किसान कुसुम, पलाश और बेर के वृक्षों में परंपरागत रूप से लाख की खेती करते हैं, लेकिन व्यवस्थित व आधुनिक तरीके से लाख की खेती न होने की वजह से उन्हें लागत के एवज में अपेक्षित लाभ नहीं मिल पाता है। वन विभाग ने लाख की खेती को लाभकारी बनाने के उद्देश्य से इसे कृषि का दर्जा देने और कृषि सहकारी समितियों के माध्यम से अन्य कृषकों की तरह लाख की खेती करने वाले किसानों को भी ऋण उपलब्ध कराने का सुझाव देते हुए सरकार को प्रस्ताव दिया था। सरकार ने इसे मंजूर कर लिया है।

आज भी मौजूद हैं अंग्रेजों के जमाने के कुएं, संरक्षण से बढ़ेगा भूजल स्तर

आजादी से पहले नागपुर प्रेसीडेंसी के समय अंग्रेज अफसरों ने महाराष्ट्र की सीमा से लगे भोपालपटनम से बीजापुर समेत कई अन्य मार्गों के किनारे कुएं बनाए थे। ईंट और गारे से जोड़ाई कर इन्हें पक्का किया गया था। यह कार्य अंग्रेजी हुकूमत की फारेस्ट्री विभाग के अफसरों के मार्गदर्शन में कराया गया था। कुएं एक निश्चित दूरी पर थे, ताकि पर्यावरण और वाटर लेवल का संतुलन बना रहे। यह अंग्रेज शिकारियों, पैदल राहगीरों को राहत देने के लिए था। इसमें जलकर भी निहित था। खास बात यह कि कुएं घने जंगल के करीब खोदे गए थे। आज भी ये कुएं मूल स्वरूप हैं। अगर इन्हें संरक्षित किया जाए तो वाटर रिसोर्स का बड़ा जरिया साबित हो सकते हैं।

कोरोना मीटर छत्तीसगढ़

नए केस-            01

कुल संक्रमित-   217

स्वस्थ्य हुए-         64

एक्टिव मरीज-   153

मौत -              शून्य।

chat bot
आपका साथी